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नेबुलर परिकल्पना सिद्धांत | पृथ्वी की उत्पत्ति एवं संरचना

 नेबुलर परिकल्पना सिद्धांत:

मूल रूप से नेबुलर परिकल्पना सिद्धांत जर्मन दार्शनिक इमैनुएल कांट द्वारा दिया गया था। 1776 में गणितज्ञ लाप्लास ने इस सिद्धांत को संशोधित किया।
नेबुलर परिकल्पना सिद्धांत के अनुसार:
  • सूर्य एक सौर निहारिका( Nebula) से घिरा हुआ था जिसमें धूल के साथ ज्यादातर हाइड्रोजन और हीलियम के कण शामिल थे। घर्षण और कणों के टकराने से डिस्क के आकार का बादल बनता है। अभिवृद्धि( accretion) की प्रक्रिया और धीमी गति से घूमते हुए पदार्थों के बादल से ग्रहो का निर्माण हुआ |
नेबुलर परिकल्पना सिद्धांत



आलोचना:

  • नेबुलर परिकल्पना सिद्धांत नेबुला की उत्पत्ति के स्रोतों की व्याख्या नहीं करता है।
  • यह नेबुला की गर्मी और गति के स्रोतों की व्याख्या करने में सक्षम नहीं था।
  • निहारिका परिकल्पना के अनुसार, नीहारिका गैसीय अवस्था है इसलिए ग्रह भी गैसीय रूप में होना चाहिए, लेकिन यह सच नहीं है कि ग्रह गैसीय अवस्था में नहीं हैं।
  • सिद्धांत यह समझाने में सक्षम नहीं है कि कैसे गैस नीहारिका ठोस ग्रहों के निर्माण की ओर ले जाती है।
  • सभी ग्रहों और उपग्रहों को उसी दिशा में घूमना चाहिए जिस दिशा में नेबुला घूमता है लेकिन यह सच नहीं है। जैसा कि हम जानते हैं कि शुक्र और यूरेनस को छोड़कर हमारे सौर मंडल के सभी ग्रह घड़ी की विपरीत दिशा में घूमते हैं।

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