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बालू का स्तूप पर व्याख्यात्मक टिप्पणी लिखिए। ( UPPSC 2007)

 प्रश्न। 

बालू का स्तूप पर व्याख्यात्मक टिप्पणी लिखिए। ( UPPSC 2007)

उत्तर। 

बालू का स्तूप( टिब्बे) एक प्रकार के निक्षेपित स्थलाकृति हैं जो आमतौर पर रेगिस्तानी क्षेत्रों में पाए जाते हैं, लेकिन रेगिस्तानी क्षेत्रों तक सीमित नहीं हैं, यह समुद्र तटों पर भी पाए जाते हैं।

बालू का स्तूप( टिब्बे) के बालू का ढेर (पहाड़ी जैसी संरचनाएं) हैं जो ज्यादातर हवा से बनते हैं। यह मरुस्थल में हवाओं का निक्षेपण कार्य है और यह समुद्र तटों पर लहरों (समुद्री हवाओं के नेतृत्व में) का निक्षेपण कार्य भी है।

शुष्क गर्म मरुस्थल में बालू के टीलों के निर्माण के लिए उपयुक्त स्थान हैं। बालू का स्तूप( टिब्बे) की विभिन्न प्रकार होते हैं।


बालू का स्तूप( टिब्बे)  निम्नलिखित प्रकार के होते हैं:

  • अर्धचंद्राकार (बरखान) टिब्बा
  • परवलयिक टिब्बा
  • सीफ
  • अनुदैर्ध्य टिब्बा
  • अनुप्रस्थ टिब्बा
  • मिश्रित टीले।

बालू का स्तूप

अर्धचंद्राकार टीले:

अर्धचंद्राकार टीले, जिन्हें बरखान भी कहा जाता है, यह रेतीले रेगिस्तान में प्रचुर सख्या में पाये जाते हैं। अर्धचंद्राकार टीले का आकार अक्षर "सी" जैसा होता है। अर्धचंद्राकार टीले की भुजाये पवनो के बहने के दिशा में निकते हैं। 

परवलयिक टिब्बा:

परवलयिक टीलों का आकार बरचन टीलों के विपरीत होता है। ये वहां बनते हैं जहां रेतीले रेगिस्तान आंशिक रूप से वनस्पति से ढके होते हैं और पवनो के दिशा स्थायी होते है।

सीफ :

सीफ टिब्बा बरखान टीलों के समान होते हैं लेकिन इनमें केवल एक पंख होते है।

अनुदैर्ध्य टीले:

अनुदैर्ध्य टीले तब बनते हैं जब रेत की आपूर्ति कम  और पवनो की दिशा स्थायी होती है।  अनुदैर्ध्य टीले कम ऊंचाई वाली रेत की लंबी लकीरें हैं और वे हवा की  दिशा में बनते हैं।

अनुप्रस्थ टीले:

जब बालू पवन की दिशा से समकोण में जमा हो जाती है और उन्हें अनुप्रस्थ टिब्बा कहा जाता है।

मिश्रित टीले:

जब टिब्बा अनुदैर्ध्य, बरचन और अनुप्रस्थ टीलों का मिश्रण बनाते हैं, तो उन्हें मिश्रित टिब्बा कहा जाता है। इस तरह की टिब्बे तब बनते है जब बालू के मात्रा पर्याप्त रूप में होते हैं। 


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