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"स्वदेशी" आंदोलन में सूती वस्त्र उद्योग को किस प्रकार विशेष प्रोत्साहन दिया ?

 प्रश्न। 

 "स्वदेशी" आंदोलन में सूती वस्त्र उद्योग को किस प्रकार विशेष प्रोत्साहन दिया ?

( NCERT class 12, अध्याय 8-निर्माण उद्योग , भारत लोग और अर्थव्यवस्था)

उत्तर। 

सूती वस्त्र उद्योग भारत का सबसे बड़ा कृषि आधारित उद्योग है। भारत में अधिकांश सूती वस्त्र उद्योग असंगठित क्षेत्र के अंतर्गत आता है और उद्योग की कुटीर श्रेणी के अंतर्गत आता है।

1854 में, मुंबई में पहली आधुनिक सूती मिल की स्थापना की गई थी। भारत में ब्रिटिश वस्तुओं के प्रचार और ब्रिटेन में भारतीय वस्तुओं की प्रतिकूल परिस्थितियों के कारण ब्रिटिश काल के दौरान सूती वस्त्र उद्योग में धीमी वृद्धि हुई थी।

स्वदेशी आंदोलन (जिसे 1905 में शुरू किया गया था) ने भारत में सूती वस्त्र उद्योग के विकास को विशेष प्रोत्साहन दिया। 

स्वदेशी आंदोलन ने भारतीय वस्तुओं के पक्ष में ब्रिटिश निर्मित सभी वस्तुओं का बहिष्कार करने का आह्वान किया गया जिसके परिणामस्वरूप:

  • आयातित सूती वस्त्र में कुछ हद तक कमी आई।
  • भारतीय निर्मित कपड़े की मांग में वृद्धि हुई ।
  • कई छोटे कपड़ा उद्योग की स्थापना हुई जो ज्यादातर हथकरघों (खादी कपड़ा बनाना ) द्वारा संचालित था।
  • भारत में सूती वस्त्र उद्योग का तेजी से विकास हुआ।

1921 के बाद, भारत में रेलवे नेटवर्क के विकास के साथ, सूती वस्त्र उद्योग का तेजी से विस्तार हुआ।

दक्षिण भारत में, कोयंबटूर, मदुरै और बेंगलुरु में मिलें स्थापित की गईं।

मध्य भारत में, नागपुर, इंदौर, सोलापुर और वडोदरा सूती वस्त्र केंद्र बन गए।

स्थानीय निवेश के आधार पर कानपुर में कई सूती वस्त्र मिलें स्थापित की गईं।

बंदरगाह की सुविधाओं के कारण कोलकाता में मिलों की स्थापना की गई।

तमिलनाडु में कपास मिलों का तेजी से विकास हुआ क्योकि वहां जल विद्युत की प्रचुर उपलब्धता थी।

सस्ते श्रम लागत के कारण उज्जैन, भरूच, आगरा और हाथरस में भी सूती वस्त्र उद्योग स्थापित की गईं।

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