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विभिन्न प्रकार की ग्रामीण बस्तियों के लक्षणों की विवेचना कीजिए। विभिन्न भौतिक पर्यावरणों में बस्तियों के प्रारूपों के लिए उत्तरदाई कारक कौन-से हैं?

 प्रश्न। 

विभिन्न प्रकार की ग्रामीण बस्तियों के लक्षणों की विवेचना कीजिए। विभिन्न भौतिक पर्यावरणों में बस्तियों के प्रारूपों के लिए उत्तरदाई कारक कौन-से हैं? 

( NCERT class 12, अध्याय 4: मानव बस्तियाँ , भारत लोग और अर्थव्यवस्था)

उत्तर। 

ग्रामीण बस्तियाँ प्रायः विरल और छोटी बस्तियाँ होती हैं। ग्रामीण बस्तियों की अधिकांश आबादी कृषि या प्राथमिक गतिविधियों में शामिल होती है। गांव और हेमलेट ग्रामीण बस्तियों के उदाहरण हैं।

ग्रामीण बस्तियों के प्रकार काफी हद तक अवस्थिति क्षेत्र ( मैदान , पहाड़ी , रेगिस्तान ) और अंतर-घर की दूरी पर निर्भर करते हैं। भारत की ग्रामीण बस्तियों को मोटे तौर पर चार प्रकारों में विभाजित किया जा सकता है:

  • गुच्छित, संकुलित अथवा अकेन्द्रित (क्लस्टर्ड या कॉम्पैक्ट या एग्लोमेरेटेड या न्यूक्लियेटेड ) 
  • अर्ध -गुच्छित या विखंडित (अर्ध-संकुल या खंडित) ।
  • पल्लीकृत ( हैमलेट)
  • परिक्षिप्त  अथवा एकाकी ।

गुच्छित, संकुलित अथवा अकेन्द्रित (क्लस्टर्ड या कॉम्पैक्ट या एग्लोमेरेटेड या न्यूक्लियेटेड ):

संकुलित बस्तियाँ को कॉम्पैक्ट या एग्लोमेरेटेड या न्यूक्लियेटेड सेटलमेंट के रूप में भी जाना जाता है। संकुलित बस्ति में घरों की बीच की दूरिया बहुत ही कम होती हैं। संकुलित बस्तियाँ के रहने का क्षेत्र है वहां के कार्यकारणी क्षेत्र जैसे आसपास के खेतों, खलिहान और चरागाहों से अलग होता है। इस प्रकार के बस्तियों में कुछ पहचानने योग्य पैटर्न जैसे आयताकार, रेडियल, रैखिक, तारा, आदि का प्रारूप देखने को मिलता हैं।

संकुलित ग्रामीण बस्तियों के कारण:

  • सड़क, जलमार्ग आदि जैसी संचार सुविधाओं की उपलब्धता:
  • उदाहरण के लिए, ग्रामीण बस्तियों के आयताकार पैटर्न आयताकार सड़कों के समानांतर पाए जाते हैं।
  • सड़कों और नदियों के समानांतर रेखीय ग्रामीण बस्तियाँ बनती हैं।
  • सुरक्षा या रक्षा कारण:
    • मध्य भारत के बुंदेलखंड क्षेत्र और नागालैंड में सुरक्षा की दृष्टि से लोग पास पास में रहना पसंद करते हैं।
  • राजस्थान में, लोग उपलब्ध जल संसाधनों के इस्टतम  उपयोग के लिए संकुलित रहते हैं।

अर्ध-संकुल बस्तियाँ:

अर्ध-संकुल बस्तियों को खंडित बस्तियों के रूप में भी जाना जाता है। यह दो तरह से बनता है:

  • यह विखंडित बस्तियों के प्रतिबंधित क्षेत्रों में संकुलन (क्लस्टरिंग) की प्रवृत्ति के परिणामस्वरूप होता है।
  • यह सघन बस्तियों के अलगाव या विखंडन का भी परिणाम है। इसमें , गांव का एक या अधिक वर्ग के लोग मुख्य संकुलित (क्लस्टर) कस्बे से थोड़ी दूर स्वेच्छा या मज़बूरी से रहता है।

सामान्य तौर पर, प्रमुख समुदाय गाँव के मध्य भाग पर कब्जा कर लेता है जबकि दिहाड़ी मजदूर या समाज के निचले तबके के लोग गाँव के बाहरी हिस्से में बस जाते हैं।

अर्ध संकुल बस्तियाँ सामान्यतः गुजरात के मैदानी क्षेत्र तथा राजस्थान के कुछ भागों में पाई जाती हैं।

पल्लीकृत ( हैमलेट):

  • हेमलेटेड बस्तियाँ आमतौर पर भौतिक रूप से अलग की गई बस्तियों के टुकड़े हैं और इसकी कई अलग-अलग इकाइयाँ और विशिष्ट नाम हैं। उदाहरण के लिए पन्ना, परा, पल्ली, नगला, धानी, टोला आदि कुछ परिचित नाम हैं।
  • बड़े गांवों का विभाजन आमतौर पर सामाजिक और जातीय कारकों से प्रेरित होता है।
  • हेमलेटेड बस्तियाँ आमतौर पर मध्य और निचले गंगा के मैदानों, छत्तीसगढ़ और हिमालय की निचली घाटी में पाई जाती हैं।

परिक्षिप्त अथवा एकाकी:

  • परिक्षिप्त अथवा एकाकी बस्तियाँ आकर में छोटी होती है और यह अक्सर पहाड़ियों के सुदूर जंगल में अलग-अलग झोपड़ियों या बस्तियों के रूप में पाया जाता है।
  • यह आमतौर पर मेघालय, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और केरल जैसे उबड़-खाबड़ इलाकों में पाया जाता है।


विभिन्न भौतिक पर्यावरणों में बस्तियों के प्रारूपों के लिए उत्तरदाई कारक निम्नलिखित है:

  • कई कारक हैं जो विभिन्न प्रकार की ग्रामीण बस्तियों के लिए जिम्मेदार हैं उनमे से भौतिक पर्यावरण मुख्य हैं। 
  • भू-भाग की प्रकृति, ऊँचाई, जलवायु और पानी की उपलब्धता जैसे भौतिक कारक बस्तियों के प्रारूपों के लिए मुख्य उत्तरदाई कारक हैं। 
  • मरुस्थलीय क्षेत्रों में संकुलित बस्तियाँ पानी की उपलब्धता से प्रेरित होती हैं।
  • अनुकूल जलवायु संकुलित बस्ती का पक्ष लेती है और कठोर जलवायु लोगों को परिक्षिप्त तरीके से जीने के लिए मजबूर करती है।
  • सांस्कृतिक और जातीय कारक- सामाजिक संरचना, जाति और धर्म भी भौतिक वातावरण द्वारा नियंत्रित होते हैं।
  • मध्य गंगा क्षेत्र, मुख्य रूप से बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश में निचले मैदानों में बस्तियां के प्रारूप सामाजिक और जातीय कारकों से प्रभावित होती हैं।
  • सुरक्षा और रक्षा: बुंदेलखंड और नागालैंड क्षेत्र में संकुलित बस्ती के मुख्य कारक चोरी और हिंसा के खिलाफ रक्षा है।


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