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उद्योगों के स्थानीयकरण के लिए उत्तरदायी कारक

 उद्योग सभी क्षेत्रों में समान रूप से वितरित नहीं होते हैं, यह स्थानीय लाभों के कारण एक विशेष स्थान की ओर आकर्षित होते हैं।


उद्योग एक प्रणाली के रूप में काम करते हैं, इसमें इनपुट, प्रोसेस और आउटपुट घटक होते हैं। निम्नलिखित कारक उद्योगों के स्थान को प्रभावित करते हैं:

  • कच्चे माल तक पहुंच की निकटता 
  • पर्याप्त और सस्ते भूमि उपलब्धता
  • पर्याप्त पानी तक पहुंच
  • सस्ते श्रम तक पहुंच
  • पर्याप्त पूंजी की उपलब्धता 
  • सस्ते ऊर्जा की उपलब्धता 
  • परिवहन और संचार सुविधाओं तक पहुंच
  • बाजार की निकटता 
  • सरकारी प्रोत्साहन की उपलब्धता 
  • समूहन अर्थव्यवस्था 
  • ऐतिहासिक कारक


सभी अनुकूल कारकों को एक स्थान पर प्राप्त करना संभव नहीं है और इसलिए उद्योगों को सबसे उपयुक्त स्थान पर चुना जाता है जहाँ पर उस उद्योग की विनिर्माण में लागत कम  से कम हो और लाभ ज्यादा से ज्यादा हो। 


कच्चे माल तक पहुंच की निकटता :

कुछ बड़े उद्योग जैसे लोहा और स्टील उद्योग के प्रोसेस के दौरान भार खो देते है , अतार्थ जितनी भार का वे कच्चा माल उपयोग करते है उससे बहुत ही कम भार का तैयार माल ( लोहा) बनाते है। इन उद्योगों को उस स्थान पर लगाया जाता है जहां नजदीक में कच्चा माल सस्ते म उपलब्ध होता हैं। 

अन्य,  भारी और वजन घटाने वाली उद्योग जैसे चीनी और सीमेंट उद्योग को कच्चे माल के स्रोतों के बहुत करीब स्थापित किया जाता हैं ।

कुछ उद्योग जिसके कच्चे माल जल्दी खराब होते है इन उद्योगों को कच्चे माल के श्रोतों के नजदीक लगाया जाता है। जैसे कृषि प्रसंस्करण और डेयरी उत्पाद उद्योग ।


सस्ते श्रम तक पहुंच:

कुछ उद्योगों को कुशल श्रम, अकुशल श्रम या दोनों की आवश्यकता होती है।

श्रम बल की सस्ती उपलब्धता उद्योग को आकर्षित करती है। उदाहरण के लिए, सस्ते श्रम स्रोतों की उपलब्धता के कारण बांग्लादेश और वियतनाम में यूरोपीय द्वारा कई कपड़ा उद्योग स्थापित किए गए हैं।


सस्ते ऊर्जा की उपलब्धता :

उद्योग बिना ऊर्जा के नहीं चलते है। ग्रामीण भारत में उद्योगों की कमी देखने को मिलता है क्योंकि ग्रामीण भारत में ऊर्जा की आपूर्ति पर्याप्त नहीं होती है।

कुछ उद्योगों जैसे एल्युमीनियम उद्योग को प्रसंस्करण के लिए बहुत अधिक ऊर्जा की आवश्यकता होती है। इस प्रकार के उद्योग उन क्षेत्रों की ओर आकर्षित होते हैं जहाँ ऊर्जा का सस्ता स्रोत होता है। उदाहरण के लिए, रेणुकूट का आदित्य बिड़ला एल्युमिनियम प्लांट सस्ती ऊर्जा की उपलब्धता के कारण रिहंद बांध के पास स्थापित किया गया था।


परिवहन और संचार सुविधाओं तक पहुंच:

जैसा कि हम जानते हैं, बाजार और कच्चा माल एक जगह उपलब्ध नहीं होता है; इसलिए परिवहन नेटवर्क कच्चे माल के स्रोतों, उद्योगों और बाजार को जोड़ता है।

उद्योगों को चलाने के लिए त्वरित और कुशल परिवहन सुविधाओं की आवश्यकता है। इसलिए परिवहन और संचार लाइनों के पास उद्योग स्थापित करना बेहतर होता है।


बाजार की निकटता :

बाजार का मतलब शहर नहीं है, इसका मतलब उन लोगों से है जिनकी क्रय शक्ति ज्यादा होती है और इन उत्पादों को खरीद सकते हैं। 

कम आबादी वाले क्षेत्र या अफ्रीकी देशों में रहने वाले कम आय वाले लोग उद्योगों को अच्छा बाजार नहीं प्रदान करते हैं। 

यूरोप, उत्तरी अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया का विकसित क्षेत्र एक बड़ा वैश्विक बाजार है क्योकि यहाँ रहने वाले लोगो की उच्च क्रय शक्ति है।

घनी आबादी वाले दक्षिण एशिया, दक्षिण पूर्व एशिया और चीन भी एक बड़ा बाजार प्रदान करते हैं।


सरकारी प्रोत्साहन की उपलब्धता :

कम कर, कर अवकाश, और परिवहन, भूमि और बिजली के लिए सब्सिडी जैसी सरकारी नीतियां भी उद्योग के स्थान को प्रभावित करती हैं।

सरकार समग्र विकास के लिए पिछड़ी और क्षेत्रीय विकास रणनीति अपनाती है। वे पिछड़े क्षेत्रों में उद्योगों को बढ़ावा देते हैं।


समूहन अर्थव्यवस्था :

अग्रणी उद्योग की निकटता से कई उद्योग लाभान्वित होते हैं। उदाहरण के लिए , जहा लोहा और स्टील उद्योग होते उसे के पास अन्य छोटे उद्योग जैसे सरिया बनाने का उद्योग , लोहे के जाली बनाने का उद्योग स्थापित होते हैं। 

उद्योग और शहरीकरण साथ-साथ चलते हैं। इसलिए, कई उद्योग शहरी क्षेत्रों में स्थापित करना पसंद करते हैं।

नगर उद्योगों को बैंकिंग, बीमा, परिवहन, श्रम और परामर्श जैसे बाजार और सेवाएं  प्रदान करता है।


Try to solve the following questions:

  • उद्योगों के स्थानीयकरण के लिए उत्तरदायी कारकों की विवेचना कीजिए । ( 65th BPSC geography)
  • उद्योगों की अवस्थिति के लिए उत्तरदाई कारकों की विश्लेषण कीजिए। ( 60-62nd BPSC geography)

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