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स्थानान्तरी( झूम) कृषि क्या है? इस कृषि के क्या हानियाँ हैं?

  प्रश्न।

स्थानान्तरी( झूम) कृषि क्या है? इस कृषि के क्या हानियाँ हैं?

( अध्याय - 4 कृषि  , कक्षा  8 NCERT संसाधन एवं विकास (भूगोल) )

उत्तर।

स्थानांतरित खेती को "कर्तन एवं दहन " कृषि के रूप में भी जाना जाता है क्योंकि इसमें फसलों को उगाने के जंगल को साफ किया जाता है और उसको जला कर राख का उपयोग मृदा में उर्वरता बढ़ाने के लिए किया जाता हैं। झूम खेती की महत्वपूर्ण फ़सलें मक्का, रतालू, आलू और कसावा हैं।


स्थानांतरित खेती एक प्रकार की आदिम निर्वाह कृषि है और यह अमेज़ॅन बेसिन, उष्णकटिबंधीय अफ्रीका, दक्षिण पूर्व एशिया का हिस्सा और पूर्वोत्तर भारत जैसे घने जंगलों वाले क्षेत्रों में प्रचलित है।

स्थानांतरित खेती पूरी तरह से स्थानीय जलवायु तथा प्राकृतिक उर्वरता पर निर्भर करता है। इसमें प्रौद्योगिकी का ना के बराबर उपयोग किया जाता है और उत्पाद को उपयोग जीवन निर्वाह के लिए किया जाता है। 


दो से तीन कृषि वर्षों तक खेती के बाद, मिट्टी अपनी उर्वरता खो देती है, फिर भूमि को छोड़ दिया जाता है और खेती करने के लिए दूसरे जंगल को साफ करते हैं।


चूँकि स्थानान्तरित कृषि क्षेत्र भारी वर्षा वाले क्षेत्र होते हैं, इसलिए परित्यक्त भूमि पर प्राकृतिक वनस्पति का शीघ्र पुनर्जनन होता है।


स्थानांतरित खेती के हानियाँ :

स्थानांतरित खेती के निम्नलिखित हानियाँ हैं -

इससे वनों की कटाई, मिट्टी का कटाव, और भूमि का क्षरण होता है जिससे पर्यावरण को भारी नुकसान होता हैं।

भूमि पर बढ़ते जनसँख्या दबाव के कारण , स्थानांतरित खेती आज की दुनिया में एक सतत अभ्यास  नहीं है।


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