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ध्रुवीय प्रदेशो में रहने वाले जानवरों की फर एवं त्वचा मोटी क्यों होती है, कारण बताइए। | कक्षा 7 NCERT - हमारा पर्यावरण (भूगोल) , सामाजिक विज्ञान

  प्रश्न। 

ध्रुवीय प्रदेशो में रहने वाले जानवरों की फर एवं त्वचा मोटी क्यों होती है, कारण बताइए। 

( अध्याय 6: प्राकृतिक वनस्पति एवं वन्य जीवन , कक्षा 7-हमारा पर्यावरण (भूगोल) , सामाजिक विज्ञान )

उत्तर।   

ध्रुवीय प्रदेशो में रहने वाले जानवरों की फर एवं त्वचा मोटी कई महत्वपूर्ण कारणों से होती है, जो मुख्य रूप से उन्हें जीवित रहने और अत्यधिक ठंड और कठोर परिस्थितियों के अनुकूल होने में मदद करती है।


ध्रुवीय प्रदेशो में रहने वाले जानवरों की फर एवं त्वचा मोटी मुख्य कारण निम्नलिखित हैं:


इन्सुलेशन:

मोटे फर और त्वचा अत्यधिक ठंड के खिलाफ उत्कृष्ट इन्सुलेशन प्रदान करते हैं। इन्सुलेशन गुण शरीर की गर्मी को बनाए रखने में मदद करते हैं। 


ठंडी पवन से सुरक्षा:

ध्रुवीय क्षेत्रों में अक्सर तेज़, ठंडी हवाएँ चलती हैं। मोटा फर वायु रोकने का काम करता है और शरीर से होने वाली गर्मी के नुकसान को कम करता है।


वॉटरप्रूफिंग:

मोटा फर एक जलरोधी परत के रूप में कार्य करता है, जो उन क्षेत्रों में आवश्यक है जहां जानवरों को अक्सर बर्फ और पानी के साथ संपर्क करना पड़ता है। यह फर को सूखा रखने में मदद करता है, गर्मी के नुकसान और शीतदंश को रोकता है।


उर्जा संरक्षण:

गर्मी के नुकसान को कम करके, मोटे फर और त्वचा इन जानवरों को ऊर्जा बचाने में मदद करते हैं, जो महत्वपूर्ण है क्योंकि ध्रुवीय वातावरण में भोजन दुर्लभ होता है।


ठंडे जल में जीवन रक्षा:

कई ध्रुवीय जानवर ठंडे जल में महत्वपूर्ण समय बिताते हैं। समुद्र के ठंडे पानी में उनके शरीर को गर्म रखने के लिए मोटा फर और चिकनापन महत्वपूर्ण है।


ये अनुकूलन पृथ्वी के ध्रुवीय प्रदेश जो सबसे  सबसे ठंडा होता है, में ध्रुवीय जानवरों के अस्तित्व के लिए आवश्यक हैं।

जानवरों की फर एवं मोटी त्वचा, इन प्राणियों को अपने शरीर का तापमान बनाए रखने, भोजन की तलाश करने और उन परिस्थितियों में पनपने की अनुमति देते हैं जो अधिकांश अन्य जानवरों के लिए घातक होंगी।

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