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खपत पैटर्न एवं विपणन दशाओं में परिवर्तन के संदर्भ में, भारत में फसल प्रारूप ( क्रॉपिंग पैटर्न) में हुए परिवर्तनों की व्याख्या कीजिए। | UPSC 2023 General Studies Paper 3 Mains PYQ

प्रश्न। 

खपत पैटर्न एवं विपणन दशाओं में परिवर्तन के संदर्भ में, भारत में फसल प्रारूप ( क्रॉपिंग पैटर्न) में हुए परिवर्तनों की व्याख्या कीजिए।

(UPSC 2023 General Studies Paper 3 (Main) Exam, Answer in 150 words)

उत्तर।

फसल प्रारूप ( क्रॉपिंग पैटर्न) एक विशिष्ट अवधि में भूमि पर खेती की गई फसलों के प्रकार और व्यवस्था को संदर्भित करते हैं। इसमें किसी विशेष क्षेत्र में लगाए गए फसलों का चयन और अनुक्रम शामिल है।


फसल प्रारूप ( क्रॉपिंग पैटर्न) जलवायु, मिट्टी के प्रकार, जल की उपलब्धता, बाजार की मांग और सरकारी नीतियों से प्रभावित होते हैं।


भारत में फसल प्रारूप ( क्रॉपिंग पैटर्न) के कुछ उदाहरण हैं:

  • खरीफ फसलें (धान, बाजरा, कपास, मूंगफली, आदि)
  • रबी फसलों (गेहूं, सरसों, चना, मटर, आदि)
  • ज़ैद फसलों (तरबूज, ककड़ी और सब्जी)


पिछले चार दशकों में भारत में फसल प्रारूप ( क्रॉपिंग पैटर्न) में बदलाव हुए हैं। यह खपत पैटर्न और विपणन स्थितियों में बदलाव से प्रभावित है।

किसान, खपत पैटर्न और विपणन दशाओं के हिसाब से अपनी फसल को उगाता है। 


बदलते खपत पैटर्न :

बाजरा की खेती का क्षेत्र कम हो गया है क्योंकि आजकल लोग बाजरा (बाजरा, जोवर, और रागी) के बजाय अनाज (चावल/गेहूं) खाना पसंद करते हैं


पारंपरिक सब्जियों (करैला) की जगह नई सब्जियों (आलू, टमाटर, फूलगोभी) की बढ़ती मांग के कारण, किसान इन सब्जिओं को उगाना चालू किया हैं। 


जैविक खाद्य पदार्थों की बढ़ती मांग के कारण जैविक फसलों की खेती के क्षेत्रों में वृद्धि हुई।


बदलती विपणन स्थिति:


निर्यात के अवसर:

1991 में एलपीजी सुधार के बाद, कृषि वस्तुओं के निर्यात के अवसर बढ़ गए। वैश्विक बाजार में विशिष्ट फसलों की मांग में वृद्धि के साथ, किसान निर्यात संभावनाओं का लाभ उठाने के लिए उस फसल की खेती करने की ओर रुख करते हैं।

उदाहरण के लिए, कपास की फसल क्षेत्रों में वृद्धि हुई है क्योंकि वैश्विक बाजार में इसकी उच्च मांग है।


सरकारी नीतियां:

सरकार एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) के माध्यम से कुछ फसलों को प्रोत्साहित करती है, जिससे धान, गेहूं और गन्ने जैसी कुछ फसलों के बढ़ने में वृद्धि होती है।


इनपुट लागत:

बीज, उर्वरक, और कीटनाशकों जैसे कृषि आदानों की कीमतों में उतार -चढ़ाव फसल के फैसलों को प्रभावित करते हैं। किसान उन फसलों को उगाना पसंद करता है जिनकी कम इनपुट लागत होती है।


बाजार का बुनियादी ढांचा:

परिवहन और भंडारण सुविधाओं में सुधार बाजारों में बेहतर पहुंच प्रदान करके और कटाई के बाद के नुकसान को कम करके फसल पैटर्न को प्रभावित करता है।


अनुबंध खेती:

निगमों और किसानों के बीच अनुबंध खेती के परिणामस्वरूप फसल विविधीकरण और भारत में नई फसलों की शुरूआत हुई। उदाहरण के लिए, गुजरात में आलू की फसल।


सारांश में, उपभोक्ता वरीयताओं, बाजार की स्थिति, सरकारी नीतियों और तकनीकी प्रगति का परस्पर क्रिया भारत में फसल पैटर्न की गतिशील प्रकृति में योगदान देती है।

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