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असहयोग आंदोलन के दौरान उत्तर प्रदेश की भूमिका की विवेचना कीजिए। | UPPSC General Studies-V (5) Mains Solutions 2023

 प्रश्न। 

असहयोग आंदोलन के दौरान उत्तर प्रदेश की भूमिका की विवेचना कीजिए। 

 (UPPSC Mains General Studies-V/GS-5 2023 Solutions)

उत्तर। 

1919 के जलियांवाला बाग नरसंहार और दमनकारी रोलेट एक्ट की प्रतिक्रिया के रूप में 1920 में असहयोग आंदोलन शुरू किया गया था।

इस आंदोलन का नेतृत्व महात्मा गांधी और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (आईएनसी) ने किया था।

असहयोग आंदोलन का प्राथमिक उद्देश्य स्वराज (स्व-शासन) प्राप्त करना था। इस आंदोलन की प्रमुख गतिविधियाँ ब्रिटिश संस्थानों का बहिष्कार करना, भारतीय निर्मित वस्तुओं को बढ़ावा देना, खादी का उपयोग करना और अहिंसक विरोध, हड़ताल और सविनय अवज्ञा के माध्यम से ब्रिटिश शासन का शांतिपूर्वक विरोध करना था।

इस आंदोलन में उत्तर प्रदेश ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया।


ब्रिटिश शासन में उत्तर प्रदेश के बारे में:

1902 में, अंग्रेजों ने आगरा और अवध प्रांतों को मिलाकर एक प्रांत बना दिया, जिसे आगरा और अवध का संयुक्त प्रांत कहा गया।

1935 में, आगरा और अवध के संयुक्त प्रांत ने इसका नाम बदलकर "संयुक्त प्रांत" कर दिया।

24 जनवरी 1950 को: संयुक्त प्रांत का नाम बदलकर उत्तर प्रदेश कर दिया गया। इसीलिए 2018 से 24 जनवरी को उत्तर प्रदेश के स्थापना दिवस के रूप में मनाया जाता है।


असहयोग आंदोलन (1920-1922) के दौरान उत्तर प्रदेश की भूमिका:


जन लामबंदी:

किसानों, श्रमिकों, छात्रों और महिलाओं सहित उत्तर प्रदेश के लाखों लोगों ने असहयोग आंदोलन में भाग लिया और ब्रिटिश संस्थानों, उत्पादों और सेवाओं का बहिष्कार किया।


स्थानीय नेताओं का उदय:

असहयोग आंदोलन में, उत्तर प्रदेश के कुछ प्रमुख नेताओं जैसे मोतीलाल नेहरू, जवाहरलाल नेहरू, चितरंजन दास, मदन मोहन मालवीय और गोबिंद बल्लभ पंत ने समर्थन जुटाया, जागरूकता बढ़ाई और आंदोलन के पक्ष में जनता की राय को बढ़ाया।


ब्रिटिश संस्था का बहिष्कार:

उत्तर प्रदेश में ब्रिटिश स्कूलों, कॉलेजों, अदालतों और विधान परिषदों सहित ब्रिटिश संस्थानों का बहिष्कार देखा गया।


चौरी चौरा (1922) घटना:

असहयोग आन्दोलन के सत्याग्रहियों ने गोरखपुर के चौरी चौरा थाने को जला दिया, इस घटना में बाईस पुलिसकर्मी मारे गये। इस घटना के बाद गांधी जी ने असहयोग आंदोलन बंद कर दिया।


उत्तर प्रदेश ने असहयोग आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, राष्ट्रवादी भावना के विकास, जनता को संगठित करने में योगदान दिया और स्वतंत्रता के लिए भारत के संघर्ष को तेज किया।

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