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शीतोष्ण चक्रवात का निर्माण फैलाव अक्ष की स्थिति पर कैसे निर्भर करता है

प्रश्न: 

शीतोष्ण चक्रवात का निर्माण फैलाव अक्ष (Axis of Dilation) की स्थिति पर निर्भर करता है। स्पष्ट कीजिए।
(UPSC भूगोल वैकल्पिक 2024, 
NCERT: Class: XI-Geography;Chapter:9

)


उत्तर:

शीतोष्ण चक्रवात (Temperate Cyclones), जिन्हें मध्य अक्षांशीय चक्रवात भी कहते हैं, वायुमंडल में दो विपरीत वायुदाब क्षेत्रों (उष्ण व शीत ) के बीच बनने वाले परिसंचरण तंत्र होते हैं। इनका निर्माण मुख्यतः फैलाव अक्ष (Axis of Dilation) पर होता है।


फैलाव अक्ष क्या है?

  • फैलाव अक्ष वह क्षेत्र है जहाँ दो विभिन्न वायुमंडलीय धाराएँ (जैसे — ध्रुवीय ठंडी हवा और उष्ण कटिबंधीय गर्म हवा) आपस में टकराती हैं।

  • यह क्षेत्र फ्रंटल ज़ोन कहलाता है और यही शीतोष्ण चक्रवात की उत्पत्ति का क्षेत्र होता है।


शीतोष्ण चक्रवात का निर्माण फैलाव अक्ष



शीतोष्ण चक्रवात के निर्माण में फैलाव अक्ष की भूमिका:

  1. विपरीत वायुधाराओं की उपस्थिति:

    • फै़लाव अक्ष पर दो अलग-अलग तापमान और घनत्व की वायुधाराएँ मिलती हैं — जैसे ठंडी ध्रुवीय वायु और गर्म उपोष्णकटिबंधीय वायु।

  2. फ्रंटल सतह का निर्माण:

    • ये धाराएँ एक ठंडे मोर्चे (Cold Front) और गर्म मोर्चे (Warm Front) का निर्माण करती हैं, जहाँ पर वायुदाब में तीव्र परिवर्तन होता है।

  3. विक्षोभ (Disturbance) की उत्पत्ति:

    • जब यह स्थिति असंतुलित होती है, तब वायुमंडलीय विघटन (Perturbation) उत्पन्न होता है, जिससे चक्रवात का बीज पड़ता है।

  4. कोरिओलिस बल का प्रभाव:

    • पृथ्वी के घूर्णन के कारण बनने वाला कोरिओलिस बल इन हवाओं को घूमने के लिए मजबूर करता है, जिससे एक चक्रवातीय परिसंचरण बनता है।

  5. जेट स्ट्रीम की सहायता:

    • जेट स्ट्रीम की स्थिति यदि फै़लाव अक्ष के ऊपर होती है, तो यह ऊपर से डाइवर्जेंस प्रदान करती है और चक्रवात को तीव्र बनाने में मदद करती है।


उदाहरण:

  • उत्तर अटलांटिक क्षेत्र में अमेरिका और यूरोप के बीच कई शीतोष्ण चक्रवात फै़लाव अक्ष पर उत्पन्न होते हैं।

  • उत्तर भारत में पश्चिमी विक्षोभ (Western Disturbances) भी इसी सिद्धांत पर आधारित हैं।


निष्कर्ष:

फैलाव अक्ष वह मुख्य भौगोलिक स्थिति है जहाँ शीतोष्ण चक्रवातों की उत्पत्ति होती है। यह अक्ष हवा, तापमान और वायुदाब के असंतुलन की वह रेखा है, जो चक्रवात की ऊर्जा का स्रोत बनती है। अतः, इसका स्थान और अवस्था शीतोष्ण चक्रवात के निर्माण में अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

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