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विश्व जलवायु के कोपेन के वर्गीकरण के अक्षांशीय वितरण का वर्णन कीजिए ।

 प्रश्न.

विश्व जलवायु के कोपेन के वर्गीकरण के अक्षांशीय वितरण का वर्णन कीजिए ।

(UPSC  भूगोल वैकल्पिक पेपर 1 2024)

उत्तर.

जर्मन जलवायुविज्ञानी व्लादीमीर कोपेन (Wladimir Köppen) द्वारा विकसित जलवायु वर्गीकरण प्रणाली विश्व की प्रमुख जलवायुओं को तापमान व वर्षा के आधार पर विभाजित करती है। कोपेन की प्रणाली का वर्गीकरण पृथ्वी की अक्षांशीय स्थिति के अनुरूप स्पष्ट रूप से दिखाई देता है, क्योंकि अक्षांशों के अनुसार सौर ऊर्जा वितरण में भिन्नता पाई जाती है।

विश्व जलवायु के कोपेन के वर्गीकरण के अक्षांशीय वितरण इस प्रकार है :

1. उष्णकटिबंधीय जलवायु (Group A):

स्थिति: भूमध्य रेखा के दोनों ओर 0° से 15–20° अक्षांश तक।

उपप्रकार:

  • Af – वर्षावन
  • Am – मानसूनी
  • Aw/As – सवाना

विशेषताएँ: वर्ष भर उच्च तापमान व प्रचुर वर्षा; उष्णकटिबंधीय वनों की उपस्थिति।


2. शुष्क जलवायु (Group B):

स्थिति: 20° से 35° अक्षांश के मध्य, प्रायः महाद्वीपों के पश्चिमी भाग में (जैसे: सहारा, थार)।

उपप्रकार:

  • BWh – गरम मरुस्थल
  • BWk – शीत मरुस्थल
  • BSh/Bsk – स्टेपी

विशेषताएँ: उच्च वाष्पीकरण, कम वर्षा; स्थायी उच्च दबाव क्षेत्रों का प्रभाव।


3. समशीतोष्ण जलवायु (Group C):

स्थिति: 30° से 45° अक्षांश तक, महाद्वीपों के तटीय क्षेत्रों में।

उपप्रकार:

  • Cfa/Cwa – आर्द्र समशीतोष्ण
  • Cfb – समुद्री पश्चिमी तटीय
  • Cs – भूमध्यसागरीय

विशेषताएँ: मौसमी विविधता, मानसून या वायुतंत्रीय प्रभाव।


4. महाद्वीपीय जलवायु (Group D):

स्थिति: 40° से 70° अक्षांश के मध्य, मुख्यतः उत्तरी गोलार्द्ध के महाद्वीपीय आंतरिक भागों में।

उपप्रकार:

  • Dfa/Dfb – आर्द्र महाद्वीपीय
  • Dfc/Dfd – उपआर्कटिक

विशेषताएँ: अत्यधिक तापमान विविधता, लंबी और कठोर सर्दियाँ।


5. ध्रुवीय जलवायु (Group E):

स्थिति: 70° से 90° अक्षांश, दोनों ध्रुवों के समीप।

उपप्रकार:

  • ET – टुंड्रा
  • EF – हिमावरण

विशेषताएँ: न्यूनतम सौर विकिरण, बर्फ व परमाफ़्रॉस्ट का प्रभुत्व।


6. पर्वतीय जलवायु (Group H):

स्थिति: सभी अक्षांशों में ऊँचे पर्वतीय क्षेत्रों में (जैसे: हिमालय, एंडीज़)।

विशेषताएँ: ऊँचाई के कारण तापमान में कमी; अक्षांश की जगह ऊँचाई मुख्य कारक बनती है।


निष्कर्ष:

कोपेन का वर्गीकरण पृथ्वी के जलवायवीय क्षेत्रों का अक्षांशीय वितरण स्पष्ट रूप से दर्शाता है। यह सौर विकिरण, वायुतंत्रीय परिसंचरण और समुद्री प्रभावों के साथ तालमेल में है। इस वर्गीकरण के माध्यम से हम वनस्पति वितरण, मानव आवास और भू-पर्यावरणीय दशाओं को बेहतर समझ सकते हैं।

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