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भीष्म पितामह के जीवन से नैतिक मूल्य और सिद्धांत (UPSC नैतिकता पेपर के लिए)

 परिचय:

महाभारत के भीष्म पितामह का जीवन नैतिक मूल्यों और नैतिक दुविधाओं का समृद्ध स्रोत है, जिनमें से कई UPSC की नैतिकता (GS पेपर IV) के लिए अत्यंत प्रासंगिक हैं।


नीचे नैतिक मूल्यों और सिद्धांतों की एक संरचित सूची दी गई है, तथा UPSC पाठ्यक्रम से उनका संबंध बताया गया है:


1. धर्म (कर्तव्य बोध)

भीष्म ने आजीवन ब्रह्मचर्य और हस्तिनापुर के सिंहासन की सेवा का व्रत लिया।


नैतिक मूल्य: व्यक्तिगत इच्छाओं से ऊपर कर्तव्य के प्रति प्रतिबद्धता।

UPSC दृष्टिकोण: एक सिविल सेवक को सार्वजनिक हित और संविधानिक मूल्यों के लिए अक्सर व्यक्तिगत इच्छाओं का बलिदान देना पड़ता है।


2. त्याग और वैराग्य (त्याग)

भीष्म ने अपने पिता की खुशी और राज्य की स्थिरता के लिए सिंहासन और पारिवारिक जीवन का त्याग कर दिया।


नैतिक मूल्य: स्वार्थ से ऊपर समाज और राष्ट्र का हित।

UPSC लिंक: यह भावनात्मक बुद्धिमत्ता और नेतृत्व में अपेक्षित बलिदान की भावना से जुड़ा है।


3. संस्था के प्रति निष्ठा बनाम व्यक्ति विशेष

भीष्म ने हस्तिनापुर की गद्दी के प्रति निष्ठा निभाई, भले ही इसका मतलब कौरवों के साथ खड़े होना था।


नैतिक द्वंद्व: निष्ठा बनाम नैतिकता।

UPSC दृष्टिकोण: संस्था के प्रति निष्ठा और नैतिक निष्पक्षता के बीच संतुलन एक सिविल सेवक की प्रमुख चुनौती है।


4. नैतिक दुविधा और निर्णय लेना

भीष्म जानते थे कि कौरव गलत हैं, फिर भी उन्होंने अपने व्रत के कारण उनका साथ दिया।

नैतिक सिद्धांत: धर्म संकट (कर्तव्य और अंत:करण के बीच संघर्ष)।

UPSC विषय: नैतिक दुविधा और विवेक के आधार पर निर्णय लेने का महत्व।


5. आत्म-नियंत्रण और संयम

बलशाली योद्धा होने के बावजूद भीष्म ने कभी अपने बल का अन्यायपूर्ण या क्रोध में प्रयोग नहीं किया।


नैतिक मूल्य: सत्ता में रहकर भी संयम और अनुशासन।

UPSC प्रासंगिकता: सिविल सेवकों को संकट की स्थिति में भी धैर्य और संतुलन से काम लेना चाहिए।


6. न्याय बनाम आज्ञापालन

द्रौपदी के अपमान को जानते हुए भी भीष्म सिंहासन के प्रति वफादारी के कारण मौन रहे।


नैतिक शिक्षा: अन्याय के समय मौन रहना भी एक प्रकार की अन्याय में भागीदारी होती है।

GS IV लिंक: नैतिक साहस और गलत के विरुद्ध आवाज़ उठाने का महत्व।


7. ज्ञान और मार्गदर्शन (राजधर्म)

शरशैया पर लेटे हुए भीष्म ने युधिष्ठिर को राजधर्म और सुशासन का उपदेश दिया।


 नैतिक मूल्य: मार्गदर्शन, लोक सेवा की नैतिकता, और संविधानिक मर्यादा।

 UPSC प्रासंगिकता: यह नैतिक और दार्शनिक चिंतकों के विचारों एवं शासन में मूल्यों से संबंधित है।

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