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हिंद महासागर की तलीय स्थलाकृति

 प्रश्न.

हिंद महासागर की तलीय स्थलाकृति को उपयुक्त रेखाचित्रो द्वारा विस्तार से समझाइए। 

(UPSC 2024 भूगोल वैकल्पिक)

उत्तर.

हिंद महासागर आकार में प्रशांत और अटलांटिक महासागरों के बाद तीसरा सबसे बड़ा महासागर है। इसकी तलीय स्थलाकृति अत्यंत जटिल है, जो मुख्यतः टेक्टोनिक गतिविधियों, गाद निक्षेपण, मध्य महासागरीय रिज, भंग क्षेत्र (Fracture Zones), घाटियों, और गहन खाइयों से निर्मित हुई है।

हिंद महासागर की तलीय स्थलाकृति


मुख्य स्थलाकृतिक विशेषताएँ:

1. मध्य महासागरीय रिज प्रणाली (Mid-Oceanic Ridge System)

सेंट्रल इंडियन रिज (Central Indian Ridge - CIR) उत्तर-दक्षिण दिशा में विस्तृत है और हिंद महासागर को पूर्वी व पश्चिमी घाटियों में बाँटता है।

इसका उत्तरी विस्तार कार्ल्सबर्ग रिज (Carlsberg Ridge) के रूप में जाना जाता है।


2. महासागरीय घाटियाँ (Oceanic Basins)

अरब सागर घाटी (Arabian Basin) – CIR के पश्चिम में, अरब प्रायद्वीप के पास।

बंगाल की खाड़ी घाटी (Bay of Bengal Basin) – पूर्व में, जहाँ हिमालयी नदियों से भारी गाद का निक्षेप हुआ है।

सेंट्रल इंडियन बेसिन (Central Indian Basin) – CIR और चागोस-लक्षद्वीप रिज के बीच।

पर्थ बेसिन (Perth Basin) – पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया के समीप।


3. गहराई वाले मैदान (Abyssal Plains)

मध्य महासागरीय रिज के दोनों ओर स्थित।

ये मैदान महीन कणों और पैलजिक गाद से ढके होते हैं।


4. पनडुब्बी रिज (Submarine Ridges)

चागोस-लक्षद्वीप रिज – लक्षद्वीप से चागोस द्वीपसमूह तक फैली हुई।

सेशेल्स-मॉरिशस रिज – दक्षिण-पश्चिम में स्थित, माइक्रो-कॉन्टिनेंटल खंडों से संबंधित।


5. समुद्र-तली खाइयाँ (Submarine Trenches)

सुंडा गर्त (Sunda Trench) – इंडोनेशिया द्वीपसमूह के पास स्थित, यह उपसरणीय सीमा (subduction zone) से जुड़ी है।

मकरान गर्त (Makran Trench) – पाकिस्तान और ईरान के मकरान तट के पास।


6. द्वीप और पठार (Islands and Plateaus)

मास्करीन पठार (Mascarene Plateau) – सेशेल्स और मॉरिशस के बीच स्थित, ज्वालामुखी द्वीपों सहित।

मालदीव और लक्षद्वीप द्वीप समूह – कोरल एटोल्स और डूबे हुए बैंक।


निष्कर्ष:

हिंद महासागर की तलीय स्थलाकृति विविध और जटिल है, जो प्लेट विवर्तनिकी, तलछट जमाव और ज्वालामुखीय गतिविधियों से निर्मित हुई है। यह स्थलाकृति महासागरीय जल प्रवाह, खनिज संसाधनों और भू-राजनीति को भी प्रभावित करती है।

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