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मृदा अपरदन रेंगती हुई मौत है | मृदा संरक्षण के विभिन्न उपाय

 प्रश्न.

"मृदा अपरदन रेंगती हुई मौत है।" कथन की व्याख्या करते हुए, मृदा संरक्षण के विभिन्न उपायों को सुझाइए।

(UPSC 2024 भूगोल वैकल्पिक पेपर 1)

उत्तर।

"मृदा अपरदन रेंगती हुई मौत है" यह कथन मृदा के उस धीरे-धीरे लेकिन सतत क्षरण की ओर संकेत करता है जो सतही रूप से अदृश्य होते हुए भी दीर्घकालिक रूप से भूमि की उर्वरता, कृषि उत्पादन, और पारिस्थितिक संतुलन को विनाश की ओर ले जाता है। 

मृदा अपरदन (Soil Erosion) वह प्रक्रिया है जिसमें वायु, जल, हिम या मानव क्रियाओं द्वारा मृदा की ऊपरी उपजाऊ परत हटा दी जाती है।


"रेंगती हुई मौत" क्यों कहा गया है?

1. धीमा लेकिन घातक प्रभाव:

यह प्रक्रिया भूकंप या बाढ़ जैसी आकस्मिक आपदाओं की तरह नज़र नहीं आती, परंतु समय के साथ स्थायी क्षति पहुँचाती है।


2. उर्वरता की क्षति:

ऊपरी मृदा परत में पोषक तत्व और जैविक पदार्थ होते हैं; इनके हटने से भूमि बंजर हो जाती है।


3. मरुस्थलीकरण की प्रक्रिया:

निरंतर अपरदन से भूमि की गुणवत्ता घटती है, जिससे वह कृषि के अयोग्य हो जाती है।


4. कृषि उत्पादकता में गिरावट:

मृदा की संरचना, जल धारण क्षमता व पोषकता क्षीण हो जाती है, जिससे फसल उत्पादन में कमी आती है।


5. जल संसाधनों पर प्रभाव:

नदियों और जलाशयों में गाद भरने से उनकी भंडारण क्षमता घटती है, और जलीय पारिस्थितिक तंत्र पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।


मृदा संरक्षण के उपाय:

1. यांत्रिक (Mechanical) उपाय:

क ) कंटूर हल चलाना (Contour Ploughing):

ढलानों पर समान रेखाओं में हल चलाने से जल बहाव कम होता है और मृदा संरक्षित रहती है।


ख ) सीढ़ीनुमा खेती (Terracing):

पर्वतीय ढलानों पर सीढ़ीनुमा खेत बनाकर जल की गति को धीमा किया जाता है।


ग) बाँध और चेक डैम:

नालों में बाँध बनाकर मृदा के बहाव को रोका जाता है।


घ) विंडब्रेक और शेल्टर बेल्ट:

शुष्क क्षेत्रों में पंक्तियों में वृक्ष लगाकर पवन की गति को नियंत्रित किया जाता है।


2. कृषि आधारित (Agronomic) उपाय:

क) फसल चक्र (Crop Rotation):

विभिन्न फसलों को बदल-बदल कर बोने से मृदा की उर्वरता बनी रहती है।


ख) कवर फसलें (Cover Cropping):

दलहनी फसलें और घास लगाकर मृदा की सतह ढकी रहती है, जिससे अपरदन रुकता है।


ग ) पट्टीदार खेती (Strip Cropping):

अपरदन-प्रवण और रोधी फसलों को बारी-बारी से उगाकर जल बहाव कम किया जाता है।


घ ) मल्चिंग (Mulching):

पौधों के अवशेषों से मृदा को ढँक कर उसमें नमी और संरचना बनाए रखी जाती है।


3. वनीकरण आधारित उपाय:

वनारोपण एवं पुनर्वनीकरण (Afforestation & Reforestation):

पेड़-पौधों की जड़ें मृदा को बाँधती हैं और अपरदन को रोकती हैं।


4. नीतिगत एवं समुदाय आधारित उपाय:

क) वाटरशेड प्रबंधन (Watershed Management):

क्षेत्रीय जल संसाधनों और मृदा का समेकित प्रबंधन।


ख ) जागरूकता अभियान:

ग्राम स्तर पर मृदा संरक्षण की जानकारी और सहभागिता को बढ़ावा देना।


ग) भूमि उपयोग नियमन:

भू-परिसंपत्तियों का वैज्ञानिक और संतुलित उपयोग।


निष्कर्ष:

मृदा अपरदन एक मूक और सतत खतरा है, जो यदि समय रहते न रोका जाए, तो यह पर्यावरणीय संकट, भोजन सुरक्षा और सतत विकास के लिए गंभीर चुनौती बन सकता है। अतः आवश्यक है कि यांत्रिक, कृषि, पारिस्थितिक तथा नीतिगत उपायों को सम्मिलित कर समेकित मृदा संरक्षण रणनीति अपनाई जाए।

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