सहभागी लोकतंत्र:
लोकतंत्र का उद्देश्य नागरिकों को सशक्त ( Empower) बनाना है ताकि वे ग्रामीण, क्षेत्रीय, नगरीय, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर सक्रिय रूप से भाग ले सकें और अपना तथा देश का विकास कर सके।
इसे ही हम सहभागी लोकतंत्र कहते है।
आज के इस अध्याय में हम नगरीय क्षेत्रो में स्थानीय शासन के बारे में पढ़ने वाले है। आप जानते होंगे कि , नगरीय क्षेत्र ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में अधिक जटिल और विविध होता है, इसलिए नगरीय शासन भी अधिक जटिल माना जाता है।
भारतीय शासन प्रणाली को समझने के लिए स्थानीय से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक एक पिरामिड का चित्रण किया गया है।
इस पिरामिड का आधार स्थानीय शासन है, जो जनता के सबसे निकट है, और शीर्ष पर संघीय (केंद्रीय) सरकार है।
नगरीय स्थानीय की संरचना:
नगरीय क्षेत्रों में स्थानीय सरकार की संरचनाओं को नगरीय स्थानीय निकाय कहा जाता है।
नागरिकों की जरूरतों और समस्याओं को देखते हुए स्थानीय स्तर पर निर्णय लेने का अधिकार ( स्वायत्तता/ Autonomy) इन्हें प्राप्त है।
वार्ड प्रणाली:
नगरों और कस्बों को छोटे-छोटे इकाइयों में विभाजित किया गया है जिसे वार्ड कहा जाता है।
वार्ड समितियाँ स्वास्थ्य शिविर, प्लास्टिक विरोधी अभियान जैसी गतिविधियों में सहयोग करती हैं।
ये स्थानीय समस्याओं (जैसे जल रिसाव, नालियों का जाम, सड़क टूटना) को संबंधित अधिकारियों तक पहुँचाती हैं।
नगरीय स्थानीय के प्रमुख कार्य:
नगरीय स्थानीय के निम्नलिखित प्रमुख कार्य है -
- आधारभूत ढाँचे जैसे सड़कें, पुल, सार्वजनिक परिवहन, पानी और सीवेज सिस्टम, ऊर्जा आपूर्ति, टेलीफोन लाइनें, और कचरा प्रबंधन आदि की देखभाल।
- कब्रगाहों का रखरखाव।
- अपशिष्ट संग्रहण एवं निपटान।
- सरकारी योजनाओं का क्रियान्वयन।
- स्थानीय कर और अर्थदंड वसूलना।
- आर्थिक और सामाजिक विकास की योजना बनाना।
नगरीय स्थानीय में नागरिकों की भूमिका:
किसी भी सफल प्रशासन के लिए नागरिकों का सहयोग आवश्यक है।
नगरीय स्थानीय में नागरिकों की भूमिका निम्नलिखित है -
- कूड़े के पृथक्करण का पालन करना।
- जल रिसाव जैसी समस्याओं की तुरंत सूचना देना।
- अपने क्षेत्र की स्वच्छता और रख-रखाव में सक्रिय भागीदारी देना।
नगरीय स्थानीय की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि:
- 1688 में मद्रास कॉरपोरेशन (अब चेन्नई कॉरपोरेशन) भारत की सबसे प्राचीन नगर निगम संस्था है।
- 1792 के संसदीय अधिनियम से इसे कर लगाने की शक्ति मिली और स्व-शासन आरंभ हुआ।
नगर प्रशासन के प्रकार :
- नगर निगम (महानगर निगम): 10 लाख से अधिक जनसंख्या वाले शहरों में होता है।
- नगरपालिका (म्यूनिसिपल काउंसिल): 1 से 10 लाख जनसंख्या वाले नगरों में होता है।
- नगर पंचायत: 1 लाख से कम जनसंख्या वाले कस्बों और नगरों में में होता है।


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