2024
सामान्य हिंदी
General Hindi
निर्धारित समय: तीन घंटे
अधिकतम अंक : 150
विशेष अनुदेश / SPECIFIC INSTRUCTIONS
नोट: (i) सभी प्रश्न अनिवार्य हैं।
(ii) प्रत्येक प्रश्न के अंत में निर्धारित अंक अंकित हैं।
(iii) पत्र, प्रार्थना पत्र या किसी अन्य प्रश्न के उत्तर के साथ अपना अथवा अन्य किसी का नाम, पता (प्रश्न-पत्र में दिए गए नाम, पदनाम आदि को छोड़कर) एवं अनुक्रमांक न लिखें । आवश्यक होने पर क, ख, ग का उल्लेख कर सकते हैं।
1. निम्नलिखित गद्यांश के आधार पर नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
सही प्रकार का समाजीकरण होने पर समाज के सदस्य सामाजिक नियमों के अनुरूप व्यवहार करते हैं। यदि ग़लत समाजीकरण हो जाता है तो विपथगामी व्यवहार में वृद्धि होती है। इसलिए समाजीकरण के दायित्व से सम्बन्धित जो व्यक्ति होते हैं उन पर सामाजिक नियंत्रण का बहुत बड़ा दायित्व होता है। बॉटोमोर के अनुसार शिक्षा बच्चे के प्रारम्भिक समाजीकरण का सबसे दृढ़ आधार है। शैक्षिक व्यवस्था नैतिक विचारों को स्पष्ट करके और अंशतः व्यक्ति का बौद्धिक विकास करके सामाजिक नियमन में योगदान देती है। शिक्षा का उद्देश्य व्यक्ति को समाज की विभिन्न इकाइयों से परिचित करवाना है। शिक्षा का केवल सैद्धान्तिक महत्त्व ही नहीं, अपितु उसकी व्यावहारिक उपयोगिता भी है। सामाजिक नियंत्रण के अन्य साधन जहाँ व्यक्ति को दबावपूर्ण ढंग से सामाजिक नियमों को मानने के लिए बाध्य करते हैं, वहाँ शिक्षा उसे स्वतः आत्म-विश्लेषण द्वारा अप्रभावात्मक ढंग से सामाजिक नियमों का पालन करने की प्रेरणा देती है। एक तो समाजीकरण हमें करणीय व्यवहार की जानकारी कराता है, दूसरे । वेपथगामी व्यवहार की निन्दा की भी हमसे अपेक्षा रखता है। अतः करणीय व्यवहार के बीच सन्तुलन रखकर समाजीकरण, जो शिक्षा का एक भाग है, समाज में सबसे बड़ी नियंत्रक शक्ति के रूप में कार्य करता है। समाजीकरण हमें अव्यवस्था की अत्यन्त विषम स्थिति से बचाकर सामान्य रूप से सामाजिक क्रियाओं के संचालन में सहायक होता है। परिणामस्वरूप सामाजिक नियंत्रण बना रहता है। शिक्षा का सामाजिक नियंत्रण से दूसरा महत्त्वपूर्ण कार्य हमारे जीवन में ज्ञान का विकास करना है। जब हममें ज्ञान का विकास होगा तब हम इस स्थिति में होंगे कि अच्छे-बुरे, उचित अनुचित की पहचान कर सकें। जब हम उचित को अनुचित से अलग कर लेंगे तब हम अनुचित व्यवहार को जीवन से हटा देंगे तथा उचित व्यवहार का प्रयोग करेंगे। उचित व्यवहार वही होगा जो सामाजिक मानदण्डों के अनुरूप है। अतः हम ज्ञान के विकास के साथ उचित व्यवहार को समझेंगे तथा उसका पालन करेंगे जिससे सामाजिक नियंत्रण स्वतः बना रहेगा। शिक्षा हमें तर्क प्रदान करती है तथा भावुक, अतार्किक एवं व्यक्तिपरक निर्णयों से मुक्त होने की प्रेरणा देती है। इसलिए हम देखते हैं कि एक अशिक्षित व्यक्ति आवेश में आकर कुछ भी अहित कर बैठता है, जबकि शिक्षित व्यक्ति कठिन-से-कठिन परिस्थिति में भी धैर्यपूर्वक निर्णय लेकर अपने विवेक का परिचय देता है। संक्षेप में, शिक्षा व्यक्ति को आत्म-नियंत्रण सिखाती है। चूँकि व्यक्ति समाज की इकाई है, अतः व्यक्ति के स्तर पर नियंत्रण रहने से सामाजिक नियंत्रण तो स्वतः हो जाता है।
(क) उपरिलिखित गद्यांश का आशय अपने शब्दों में लिखिए । ( 5)
(ख) समाजीकरण के लिए सामाजिक नियंत्रण के अन्य साधन से शिक्षा क्यों भिन्न है ? ( 5)
(ग) गद्यांश की रेखांकित पंक्तियों की व्याख्या कीजिए। ( 20)
उत्तर (क):
इस गद्यांश का आशय यह है कि —
शिक्षा समाज में सबसे प्रभावी सामाजिक नियंत्रण का दृढ़ साधन है। जब किसी व्यक्ति का सही प्रकार से समाजीकरण होता है, तो वह समाज के नियमों और मानदंडों के अनुरूप आचरण करता है। यदि समाजीकरण गलत दिशा में होता है, तो व्यक्ति विपथगामी (असामाजिक या अनुचित) व्यवहार करने लगता है।
शिक्षा व्यक्ति के नैतिक, बौद्धिक और भावनात्मक विकास में सहायक होती है। यह व्यक्ति को केवल सैद्धांतिक ज्ञान ही नहीं देती, बल्कि उसे आत्म-विश्लेषण, तर्कपूर्ण विचार और उचित-अनुचित की पहचान करने की क्षमता भी प्रदान करती है। इसके परिणामस्वरूप व्यक्ति स्वयं अपने आचरण को नियंत्रित कर पाता है, जिससे पूरे समाज में अनुशासन और सामाजिक नियंत्रण स्वतः बना रहता है।
संक्षेप में, शिक्षा व्यक्ति को आत्म-नियंत्रण, तर्कशीलता और सामाजिक उत्तरदायित्व का बोध कराती है, जिससे समाज में व्यवस्था और समरसता बनी रहती है।
उत्तर (ख ):
सामाजिक नियंत्रण के अन्य साधन व्यक्ति पर दबाव डालकर उसे सामाजिक नियमों का पालन करने के लिए बाध्य करते हैं, जबकि शिक्षा व्यक्ति को स्वतः प्रेरणा देती है कि वह आत्म-विश्लेषण और समझदारी के आधार पर सामाजिक नियमों का पालन करे।
अर्थात्, शिक्षा दबावपूर्ण नहीं, बल्कि सहज और आंतरिक प्रेरणा के माध्यम से समाजीकरण कराती है। इसी कारण शिक्षा सामाजिक नियंत्रण के अन्य साधनों से भिन्न है।
उत्तर (ग ):
गद्यांश की रेखांकित पंक्तियों की व्याख्या इस प्रकार है -
शिक्षा व्यक्ति को विवेक, धैर्य और आत्म-नियंत्रण सिखाती है। एक अशिक्षित व्यक्ति प्रायः भावनाओं में बहकर, बिना सोचे-समझे निर्णय ले लेता है, जिससे स्वयं का और समाज का अहित हो सकता है। इसके विपरीत, एक शिक्षित व्यक्ति किसी भी कठिन परिस्थिति में शांत मन से सोचकर निर्णय लेता है और अपने आचरण में संयम रखता है।
उदाहरण के रूप में —
यदि किसी व्यक्ति से सड़क पर किसी ने टकरा कर गाड़ी खरोंच दी, तो अशिक्षित व्यक्ति गुस्से में आकर झगड़ा या हिंसा कर सकता है। लेकिन एक शिक्षित व्यक्ति स्थिति को समझते हुए शांतिपूर्वक बातचीत से समस्या का समाधान करेगा।
इस प्रकार, शिक्षा व्यक्ति में आत्म-नियंत्रण और विवेक की भावना विकसित करती है। जब प्रत्येक व्यक्ति स्वयं नियंत्रित रहता है, तो पूरे समाज में अनुशासन, व्यवस्था और सामाजिक नियंत्रण स्वतः बना रहता है।
2. सहयोग से ही जीवन है, स्पर्धा तो अन्ततः विनाश और मृत्यु की ओर ले जाती है। हम अपने साथ अन्य को भी लें, यदि वह पिछड़ जाता है तो उसकी मदद करें। यदि हम सभी परस्पर यह भाव अपनाते हैं तो हम एक-दूसरे के संकट में साथी बनकर एक-दूसरे को बचाएँगे और विकास के मार्ग पर एक-दूसरे को प्रोत्साहित करेंगे। सहयोग की इस प्रक्रिया में ही जीवन सुरक्षित है। यदि हम अपना ही स्वार्थ सामने रखकर अन्य की टाँग खींचते हुए स्वयं को ही आगे बढ़ाएँगे तो यह स्पर्धा होगी और यह स्पर्धा एक-दूसरे को ख़िलाफ़ करते हुए आपस में लड़ने भिड़ने और अन्ततः एक-दूसरे का विनाश करने का कारण बनेगी । प्रथम एवं द्वितीय विश्व युद्ध अपने-अपने साम्राज्य, उपनिवेश तथा व्यापार को बढ़ाने के संघर्ष का परिणाम थे जिसमें व्यापक नरसंहार हुआ। वस्तुतः स्पर्धा मानव संस्कृति के लिए विनाश का मार्ग है। व्यक्तियों एवं राष्ट्रों के बीच आपसी सहयोग से ही मानव संस्कृति सुरक्षित है। वर्तमान में यह जो भूमण्डलीकरण और आर्थिक उदारीकरण का नारा है, वह विकसित देशों के आर्थिक साम्राज्य को बढ़ाने का नवीनतम अभियान है जिसमें विकसित देशों के आपसी हित भी टकरा रहे हैं तथा जिसमें नए विश्व संकट की आशंकाएँ उभर रही हैं।
उपर्युक्त गद्यांश के आधार पर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
(क) गद्यांश का उचित शीर्षक दीजिए। ( 5)
(ख) स्पर्धा और सहयोग में अन्तर स्पष्ट कीजिए। ( 5)
(ग) गद्यांश का संक्षेपण (लगभग एक-तिहाई शब्दों में) कीजिए। ( 20)
उत्तर (क)
गद्यांश का उचित शीर्षक होगा - "सहयोग का महत्त्व और स्पर्धा का परिणाम" या "सहयोग ही जीवन का आधार"
उत्तर ख) गद्यांश के अनुसार स्पर्धा और सहयोग में अन्तर निम्नलिखित है -
1. सहयोग में हम सब एक-दूसरे की मदद करते हैं जबकि स्पर्धा में व्यक्ति केवल अपना लाभ सोचते है।
2. सहयोग से एकता, प्रेम और विकास की भावना बढ़ता है जबकि स्पर्धा द्वेष, संघर्ष और विनाश की ओर ले जाता है।
3. सहयोग से समाज, मानवता, राष्ट, और संस्कृति सुरक्षित रहती है जबकि स्पर्धा मानव संस्कृति के लिए विनाशकारी सिद्ध होती है जैसा कि प्रथम एवं द्वितीय विश्व युद्ध में हुआ था ।
उत्तर (ग )
गद्यांश का संक्षेपण:
सहयोग ही जीवन का आधार है, जबकि स्पर्धा विनाश का कारण बनती है। जब हम एक-दूसरे की सहायता करते हैं तो समाज में एकता और विकास संभव होता है। परंतु जब हम केवल अपना स्वार्थ देखते हुए दूसरों को नीचे गिराने की कोशिश करते हैं, तो संघर्ष और विनाश होता है। विश्व युद्ध स्पर्धा का ही परिणाम थे। वर्तमान में, भूमण्डलीकरण और आर्थिक उदारीकरण नए आर्थिक साम्राज्य को बढ़ाने ( स्पर्धा ) का तरीका है जो नए विश्व संकट की ओर ले जा रहा है। अतः मानव संस्कृति की सुरक्षा और शांति के लिए परस्पर सहयोग आवश्यक है।
3. (क) उत्तर प्रदेश पुलिस महानिदेशक की ओर से 'क' जिला पुलिस अधीक्षक को पत्र लिखिए जिसमें सम्बद्ध जिले में आपराधिक घटनाओं की रोकथाम के लिए कठोर कार्यवाही करने का अनुदेश हो । (10)
उत्तर :
प्रेषक:
पुलिस महानिदेशक,
उत्तर प्रदेश पुलिस मुख्यालय,
लखनऊ।
प्राप्तकर्ता:
जिला पुलिस अधीक्षक,
जनपद — ‘क’।
पत्र क्रमांक: ___________
दिनांक: ___________
विषय: जनपद में आपराधिक घटनाओं की रोकथाम हेतु कठोर कार्यवाही करने के संबंध में।
महोदय,
यह ज्ञात हुआ है कि आपके जनपद में हाल के दिनों में आपराधिक घटनाओं में वृद्धि हुई है, जिससे जनसामान्य में असुरक्षा की भावना उत्पन्न हो रही है। यह स्थिति अत्यंत चिंताजनक है और पुलिस प्रशासन की साख पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रही है।
अतः आपसे निर्देशित किया जाता है कि आप अपने जनपद में आपराधिक गतिविधियों की रोकथाम हेतु कठोर एवं प्रभावी कार्यवाही सुनिश्चित करें। सभी थानों की नियमित निगरानी करें, गश्त व्यवस्था को सुदृढ़ बनाएं तथा अपराधियों के विरुद्ध त्वरित एवं निर्णायक कदम उठाएँ।
इसके अतिरिक्त, संवेदनशील क्षेत्रों में विशेष सतर्कता बरती जाए और आवश्यकतानुसार अतिरिक्त पुलिस बल की तैनाती की जाए। आप की गई कार्यवाही की विस्तृत रिपोर्ट प्रतिदिन इस कार्यालय को प्रेषित करें।
भवदीय,
(हस्ताक्षर)
(पुलिस महानिदेशक)
उत्तर प्रदेश पुलिस, लखनऊ।
(ख) उप सचिव, गृह मंत्रालय, भारत सरकार की ओर से सभी राज्य सरकारों को परिपत्र लिखिए जिसमें प्रसूति-पूर्व भ्रूण लिंग परीक्षण पर पूर्ण प्रतिबन्ध लगाने का प्रावधान हो ताकि 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' अभियान सफल हो सके। (10)
उत्तर :
भारत सरकार
गृह मंत्रालय
नई दिल्ली
परिपत्र क्रमांक: _________
दिनांक: _________
प्रेषक:
उप सचिव, गृह मंत्रालय,
भारत सरकार, नई दिल्ली।
प्राप्तकर्ता:
सभी राज्य सरकारें एवं केंद्रशासित प्रदेशों के प्रशासक।
विषय: प्रसूति-पूर्व भ्रूण लिंग परीक्षण पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने के संबंध में।
महोदय / महोदया,
यह मंत्रालय यह संज्ञान में लाया गया है कि देश के विभिन्न भागों में प्रसूति-पूर्व भ्रूण लिंग परीक्षण के प्रकरण अब भी देखे जा रहे हैं, जो भ्रूण हत्या जैसी गंभीर सामाजिक बुराई को बढ़ावा देते हैं। यह स्थिति “बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ” अभियान की भावना एवं उद्देश्य के प्रतिकूल है।
अतः निर्देशित किया जाता है कि सभी राज्य सरकारें अपने-अपने राज्यों में ऐसे परीक्षणों पर पूर्ण प्रतिबंध सुनिश्चित करें। इस हेतु चिकित्सा संस्थानों, निदान केंद्रों तथा निजी अस्पतालों की सघन निगरानी की जाए तथा भ्रूण लिंग परीक्षण अधिनियम, 1994 के प्रावधानों का कठोरता से पालन कराया जाए।
इस दिशा में दोषी पाए जाने वाले व्यक्तियों या संस्थानों के विरुद्ध कानूनी कार्यवाही तत्काल प्रारंभ की जाए। साथ ही, जन-जागरण अभियानों के माध्यम से जनता में यह संदेश फैलाया जाए कि बेटी ही जीवन और समाज की आधारशिला है।
राज्य सरकारें की गई कार्यवाही की विस्तृत रिपोर्ट प्रत्येक माह गृह मंत्रालय को भेजें।
भवदीय,
(हस्ताक्षर)
(उप सचिव)
गृह मंत्रालय, भारत सरकार, नई दिल्ली।
4. निम्नलिखित शब्दों के विलोम लिखिए । ( 10)
सारयुक्त, सकाम, पुरस्कृत, पूर्वकालीन, उत्थान, समीप, ईश्वर, कृत्रिम, रोगी, ऊर्ध्वगामी ।
उत्तर :
दिए गए शब्दों के विलोम इस प्रकार हैं —
सारयुक्त — निरर्थक
सकाम — निष्काम
पुरस्कृत — दण्डित
पूर्वकालीन — उत्तरकालीन
उत्थान — पतन
समीप — दूर
ईश्वर — असुर
कृत्रिम — प्राकृतिक
रोगी — स्वस्थ
ऊर्ध्वगामी — अधोगामी
5. (क) निम्नलिखित शब्दों में प्रयुक्त उपसर्गों का निर्देश कीजिए । ( 5 )
दुष्प्राप्य, अध्यात्म, अभ्युदय, स्वागत, प्रत्यक्ष ।
उत्तर :
उपसर्ग वह शब्दांश या अव्यय होता है जो किसी मूल शब्द के पहले लगकर उसके र्थ में परिवर्तन या विशेषता उत्पन्न करता है।
दिए गए शब्दों में प्रयुक्त उपसर्ग इस प्रकार हैं —
दुष्प्राप्य — दुष्- (अर्थ: कठिन, बुरा)
अध्यात्म — अधि- (अर्थ: ऊपर, श्रेष्ठ)
अभ्युदय — अभि- (अर्थ: ओर, दिशा में)
स्वागत — सु- (अर्थ: अच्छा, शुभ)
प्रत्यक्ष — प्रति- (अर्थ: सामने, विरोध में,)
5. (ख) निम्नलिखित शब्दों में प्रयुक्त प्रत्ययों को पृथक् कीजिए । ( 5)
पावक, पाणिनीय, झाडू,शक्ति, बलिष्ठ।
उत्तर :
प्रत्यय वह शब्दांश या अव्यय होता है जो मूल शब्द के बाद लगकर उसके अर्थ, रूप या वर्ग में परिवर्तन करता है।
दिए गए शब्दों में प्रयुक्त प्रत्यय इस प्रकार हैं -
1. पावक: पाव ( मूल शब्द ) + क ( प्रत्यय )
पव (शुद्ध करना)+ क(अर्थ: अग्नि) बना है — शुद्ध करने वाला।
2. पाणिनीय: पाणिनि ( मूल शब्द ) + य ( प्रत्यय ) ‘
पाणिनि’ से ‘पाणिनीय’ (अर्थ: पाणिनि से संबंधित)।
3. झाड़ू: झाड़ ( मूल शब्द ) +ऊ ( प्रत्यय )
‘झाड़’ में ‘ऊ’ प्रत्यय लगने से ‘झाड़ू’ (झाड़ने का उपकरण) बना।
4. शक्ति: शक् ( मूल शब्द ) + ति ( प्रत्यय ) =
‘शक्त’ (सक्षम) से ‘शक्ति’ (सामर्थ्य) शब्द बना।
5. बलिष्ठ: बल ( मूल शब्द ) + इष्ठ ( प्रत्यय )
‘बल’ से ‘बलिष्ठ’ (बहुत बलवान) शब्द बना।
6. निम्नलिखित वाक्यांशों या पदबंध के लिए एक-एक शब्द लिखिए । ( 10)
(i) जो कहीं लौटकर आया हो
(ii) जो अपनी जन्मभूमि छोड़कर विदेश में वास करता हो
(iii) जिसे करना बहुत कठिन हो
(iv) जिस पर अभियोग लगाया गया हो
(v) जो अपनी पत्नी के साथ हो
उत्तर :
दिए गए वाक्यांशों के लिए एक-एक शब्द इस प्रकार हैं —
- जो कहीं लौटकर आया हो — पुनरागमन
- जो अपनी जन्मभूमि छोड़कर विदेश में वास करता हो — परदेशी
- जिसे करना बहुत कठिन हो — दुष्कर
- जिस पर अभियोग लगाया गया हो — अभियुक्त
- जो अपनी पत्नी के साथ हो —सहपत्नी
7. (क) निम्नलिखित वाक्यों को शुद्ध कीजिए। ( 5)
(i) हमें अपने माता-पिता की आज्ञानुसार चलना चाहिए।
(ii) वह डरती डरती घर में घुसी ।
(iii) आज मैं हरी-हरी मटर लाया हूँ।
(iv) उसने सारा दोष अपने सिर पर ले लिया।
(v) मनुष्य इसलिए परिश्रम करता है ताकि उसे अपना पेट पालना है।
उत्तर :
दिए गए वाक्यों के शुद्ध रूप इस प्रकार हैं —
(i) हमें अपने माता-पिता की आज्ञा अनुसार चलना चाहिए।
(ii) वह डरते-डरते घर में घुसी।
(iii) आज मैंने हरी-हरी मटर लायी है।
(iv) उसने सारा दोष अपने सिर ले लिया।
(v) मनुष्य इसलिए परिश्रम करता है ताकि वह अपना पेट पाल सके।
7. (ख) निम्नलिखित शब्दों की वर्तनी शुद्ध कीजिए । (5)
एकत्रित, उत्तरदाई,निरपराधी,दुरावस्था, ग्रिहप्रवेश ।
उत्तर :
दिए गए शब्दों की शुद्ध वर्तनी इस प्रकार है —
एकत्रित → शुद्ध: एकत्र
उत्तरदाई→ शुद्ध: उत्तरदायी
निरपराधी → शुद्ध: निरपराध
दुरावस्था → शुद्ध: दुर्वस्था
ग्रिहप्रवेश → शुद्ध: गृहप्रवेश
8. निम्नलिखित मुहावरों लोकोक्तियों का अर्थ लिखिए और उनका वाक्यों में इस प्रकार प्रयोग कीजिए कि अर्थ स्पष्ट हो जाए। 10+20-30
(i) कोल्हू का बैल
(ii) गूलर का फूल
(iii) गंगा नहाना
(iv) घड़ों पानी पड़ना
(v) हाथ पीले कर देना
(vi) ओखली में सिर दिया तो मूसल का क्या डर
(vii) काठ की हाँडी एक ही बार चढ़ती है
(viii) नक्कारखाने में तूती की आवाज कौन सुने
(ix) रस्सी जल गई पर ऐंठन न गई
(x) हींग लगे न फिटकरी रंग भी चोखा हो
उत्तर :
(i) कोल्हू का बैल:
मुहावरें का अर्थ: कठिन परिश्रम करने वाला व्यक्ति
वाक्य में प्रयोग:
किसान अपने खेत में दिन-रात काम करता है, पर मुनाफा ज़्यादातर व्यापारी का होता है; वह तो कोल्हू का बैल है।
कंपनी में मेहनती कर्मचारी सिर्फ काम करता रहता है, उसकी मेहनत का फायदा मालिक उठाता है, जैसे कोल्हू का बैल।
(ii) गूलर का फूल
मुहावरें का अर्थ: दुर्लभ होना या दिखाई न देना
वाक्य: मेरा पडोसी की खुशी गूलर के फूल जैसी थी, कभी नजर नहीं आती है ।
(iii) गंगा नहाना
मुहावरें का अर्थ: कोई बड़ा और कठिन काम पूरा करके निश्चिंत होना
वाक्य: "बेटी की शादी करके हम तो गंगा नहा लिए।"
(iv) घड़ों पानी पड़ना:
मुहावरें का अर्थ: बहुत शर्मिंदा होना या अत्यंत लज्जित होना
वाक्य: परीक्षा में चोरी करते हुए पकड़े जाने पर उउसे घड़ों पानी पड़ गया।
(v) हाथ पीले कर देना:
मुहावरें का अर्थ: किसी का विवाह कर देना,
वाक्य: महेश ने अपनी बेटी के हाथ पीले कर दिए
(vi) ओखली में सिर दिया तो मूसल का क्या डर:
मुहावरें का अर्थ: जब आपने कोई बड़ा और जोखिम भरा काम शुरू करने का फैसला कर लिया है, तो बाद में आने वाली मुश्किलों या बाधाओं से डरना नहीं चाहिए।
वाक्य: जब कोई व्यक्ति अपना खुद का व्यवसाय शुरू करने का फैसला करता है, तो उसे पता है कि यह आसान नहीं होगा, लेकिन फिर वह सोचता है, "ओखली में सिर दिया तो मूसल से क्या डर
(vii) काठ की हाँडी एक ही बार चढ़ती है
मुहावरें का अर्थ: छल कपट का व्यवहार हमेशा नहीं चलता
वाक्य: रमेश ने मेरे से एक बार झूठ बोलकर पैसे उधार ले लिए, लेकिन अब उसे दोबारा पैसे नहीं देंगे और कहेंगे कि "काठ की हांडी एक बार ही चढ़ती है"।
(viii) नक्कारखाने में तूती की आवाज कौन सुने
मुहावरें का अर्थ: छोटे या सामान्य व्यक्ति की बात महत्वपूर्ण जगह पर ध्यान नहीं जाती।
वाक्य: वह गरीब आदमी अपनी शिकायत लेकर गया, लेकिन नक्कारखाने में तूती की आवाज कौन सुने।
(ix) रस्सी जल गई पर ऐंठन न गई
मुहावरें का अर्थ: सब कुछ बर्बाद हो जाने के बाद भी व्यक्ति का घमंड या अकड़ कम नहीं होती
वाक्य: किसी व्यक्ति ने जुआ और शराब में अपनी सारी दौलत गंवा दी, लेकिन फिर भी वह अभिमानी होकर ऐसे चलता है मानो उसके पास बहुत पैसा हो। इस स्थिति में कहा जा सकता है कि "रस्सी जल गई पर ऐंठन न गई"।
(x) हींग लगे न फिटकरी रंग भी चोखा हो
मुहावरें का अर्थ: बिना किसी विशेष मेहनत या खर्च के भी अच्छा काम हो जाना
वाक्य: इस बार की फसल बिना सिंचाई किए हो गया क्योकि अच्छी बारिश हो गई थी और फसल भी अच्छी हुई , हींग लगे न फिटकरी रंग भी चोखा हो।
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