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"जनसंख्या एक तेल की बूंद की तरह नहीं फैली है, बल्कि इसका फैलाव प्रवाल के पुज्जो की तरह हुआ है

 प्रश्न। 

 "जनसंख्या एक तेल की बूंद की तरह नहीं फैली है, बल्कि इसका फैलाव प्रवाल के पुज्जो की तरह हुआ है "- भारत में नगरीकरण को दृष्टिगत रखते हुए उक्त कथन की न्यायोचित व्याख्या कीजिये। ( UPPSC, 2020, 15 Marks)

उत्तर। 

"जनसंख्या तेल की एक बूंद की तरह नहीं फैली, बल्कि इसका फैलाव प्रवाल के पुज्जो की तरह हुआ है", यह बयान विडाल डी ला ब्लाचे का है।

भारत में शहरीकरण में उपरोक्त कथन का औचित्य निम्नलिखित है :

ला ब्लाचे का मानना ​​था कि किसी भी स्थान की आबादी लगातार बदलती रहती है लेकिन तेजी से अपने चारो तरफ नहीं फैलती है लेकिन प्रवाल की तरह अपने स्थान पर घनित होता है धीरे धीरे फैलता है। 

उदाहरण के लिए, 

  • भारतीय शहरी केंद्र जैसे मुंबई, दिल्ली और कोलकाता आदि में भीड़भाड़ है और आबादी तेल की एक बूंद की तरह नहीं फैल रही है।


जैसे प्रवाल का विकास कई कारकों पर निर्भर होता है वैसे ही क्षेत्र की जनसंख्या कई कारकों जैसे संसाधनों की उपलब्धता, बुनियादी ढांचे और संचार सुविधाओं, सुरक्षा आदि पर निर्भर होते है।

उदाहरण के लिए,

  • अनुकूल रहने के वातावरण के कारण सूरत, आगरा, हैदराबाद, पुणे, बेंगलुरु, आदि भारत के तेजी से बढ़ते शहरी केंद्र हैं।
  • बोकारो स्टील सिटी जैसे कुछ शहरों की आबादी कम अवसरों के कारण स्थिर है।

नए औद्योगिक विकास, युद्ध, महामारी, गृहयुद्ध, आपदा आदि से क्षेत्र की आबादी परेशान हो जाती है लेकिन यह अस्थायी होता है जैसे प्रवाल विरंजन होता है।

उदाहरण के लिए,

  • दिल्ली और मुंबई जैसे बड़े मेट्रो शहरों के आसपास के नए उपग्रह शहर अपने अनुकूल रहने की स्थिति के कारण विकसित हो रहे हैं और इसके लिए मेट्रो शहरों के प्रदुषण भी कारक  है। 


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