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पेंक का ढाल प्रतिस्थापन सिद्धांत | भू-आकृतिक | भूगोल

वाल्टर पेनक एक जर्मन भूगोलवेत्ता थे, ढाल प्रतिस्थापन  का सिद्धांत पेंक ने दिए थे। भू-आकृतियों के विकास और अपरदन की प्रक्रिया में, नए ढलान का विकास होता है और समय के साथ ढलान का प्रतिस्थापन होता है।


slopes types
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पेंक के अनुसार ढाल चार प्रकार की होती है:

  • उत्तल ढाल ( Convex)
  • सीधी ढाल ( Free face)
  • रेक्टिलिनियर ढाल ( Rectilinear slope)  
  • अवतल ढाल ( Concave slope)

उत्तल ढाल:

  • भूभाग की विशेषता जिसमे वृत्त के बाहरी भाग जैसे ढलान होती है, उत्तल ढलान कहलाती है। यह विवर्तनिक उत्थान द्वारा विकसित होता है।

सीधी ढाल :

  • सीधी ढाल एक खड़ी दीवार जैसी ढलान है ।

रेक्टिलिनियर ढाल :

  • यह एक पहाड़ी ढलान की तरह एक रैखिक धीमी ढलान है।

अवतल ढाल :

यह एक भूभाग की विशेषता है जिसमें एक गोलाकार कटोरा के आतंरिक भाग जैसे ढाल होता है जिसे अवतल ढलान कहा जाता है।


पेंक का ढाल प्रतिस्थापन सिद्धांत:

पेंक के अनुसार

  • उत्तल और मुक्त/सीधी  ढाल समानांतर पीछे हटते है। 
  • मुक्त/सीधी  ढाल समानांतर पीछे हटते है। 
  • उत्तल ढलान में तीव्र अपरदन होता है 
  • पीछे हटते ढलान (उत्तल और मुक्त/सीधी ) बाद में एक अवतल  ढलान पर एक साथ मिलता है।
  • रेक्टिलिनियर ढलान में अधिक क्षरण नहीं होता है, केवल अपघटित सामग्री का परिवहन होता है।
  • अवतल ढलान पर, क्षरण सामग्री का निक्षेपण होता है।
  • बाद में समय के साथ, मुक्त/सीधी  ढाल और उत्तल ढलान, रेक्टिलिनियर ढलान में परिवर्तित हो जाता है।
  • अंत में, रेक्टिलिनियर ढलानों अवतल ढलानों में बदल जाते है।
  • भू-आकृतियों के कायाकल्प के साथ ढलानों को बदलने की प्रक्रिया जारी रहती है।


एक प्रवणित ढलान/ श्रेणीबद्ध ( Graded slope ) क्या है?

पेंक के अनुसार, एक श्रेणीबद्ध ढलान के तीन भाग होते हैं:

  • अपरदन का क्षेत्र
  • परिवहन का क्षेत्र
  • निक्षेपण का क्षेत्र

अपरदन क्षेत्र के अंतर्गत उत्तल और मुक्त ढाल आता है क्योंकि इन ढलानों पर कटाव कार्य होते हैं।

रेक्टिलिनियर ढलान में न तो अपरदन  होता है और न ही निक्षेपण होता है। सिर्फ अपरदन क्षेत्र से अपरदित सामग्री को अवतल ढलान पर ले जाया जाता है।

निक्षेपण क्षेत्र अवतल ढाल पर है।


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