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भू-आकृतियों के विकास के दो महत्वपूर्ण पहलू क्या हैं?

 प्रश्न। 

 भू-आकृतियों के विकास के दो महत्वपूर्ण पहलू क्या हैं?

उत्तर। 

भू-आकृति पृथ्वी की सतह का छोटा से मध्यम भाग को कहते है; भू-आकृतियों के उदाहरण हैं- पर्वत, मैदानी, पहाड़ियाँ, घाटी, समुद्रतट आदि।

भू-आकृतियों के विकास का अर्थ है -  भू-आकृतियों का एक भू-आकृति से दूसरे में परिवर्तन या एक बार बनने के बाद अलग-अलग भू-आकृतियों का परिवर्तन होने के अवस्थाओं को बोलते हैं । पर्वत निर्माण, घाटी का चौड़ा होना, पर्वत से पहाड़ियों में परिवर्तन आदि भू-आकृतियों के विकास के उदाहरण हैं।

भू-आकृतियों के विकास के दो पहलू निम्नलिखित हैं:

  • जलवायु संबंधी बदलाव  [बहिर्जात बल]
  • भूमि द्रव्यमान की लंबवत या क्षैतिज गति [अंतर्जात बल]

जलवायु संबंधी बदलाव  मुख्य रूप से विभिन्न भू-आकृति एजेंटों जैसे बहते पानी, हवाएं, हिमनद, आदि द्वारा भू-आकृतियों के एक रूप को भू-आकृतियों के दूसरे रूप में बदलने का कार्य करती है। अपक्षय, क्षरण और निक्षेपण तीन प्रमुख प्रक्रियाएं हैं जो बहिर्जात बलों के तहत काम करती हैं।

भूमि द्रव्यमान की ऊर्ध्वाधर या क्षैतिज गति मुख्य रूप से नए भू-आकृतियों के  निर्माण में कार्य करती है। भू-भाग का उत्थान [पर्वत  निर्माण ] या भू-भाग का जलमग्न [अवसाद] अंतर्जात शक्तियों का परिणाम है।

जलवायु संबंधी बदलाव और भूमि की ऊर्ध्वाधर या क्षैतिज गति, भू-आकृतियों के विकास के दो महत्वपूर्ण पहलू हैं।


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