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भारत के अत्यंत उष्ण एवं शुष्क तथा अत्यंत शीत एवं आर्द्र प्रदेशों में जनसंख्या का घनत्व निम्न है। इस कथन के दृष्टिकोण से जनसंख्या के वितरण में जलवायु की भूमिका को स्पष्ट कीजिए।

 प्रश्न 5. 

भारत के अत्यंत उष्ण  एवं शुष्क तथा अत्यंत शीत एवं आर्द्र प्रदेशों में जनसंख्या का घनत्व निम्न है। इस कथन के दृष्टिकोण से जनसंख्या के वितरण में जलवायु की भूमिका को स्पष्ट कीजिए।  

( NCERT class 12, अध्याय 1. जनसंख्या : वितरण, घनत्व , वृद्धि, और संघटन , भारत लोग और अर्थव्यवस्था)

उत्तर। 

जनसंख्या वितरण और भौतिक, सामाजिक-आर्थिक और ऐतिहासिक कारकों के बीच घनिष्ठ संबंध है। भौतिक कारकों में, जलवायु के साथ-साथ उच्चावच, मृदा ,  और पानी की उपलब्धता बड़े पैमाने पर जनसंख्या वितरण के पैटर्न को निर्धारित करते हैं। जलवायु कारक-वर्षा और तापमान, दोनों प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से जनसंख्या के वितरण को प्रभावित करते हैं।

भारत के अत्यंत उष्ण  एवं शुष्क तथा अत्यंत शीत एवं आर्द्र प्रदेशों में जनसंख्या का घनत्व निम्न है और निम्न जनसंख्या के वितरण में जलवायु की भूमिका निम्न लिखित हैं -

  • भारत के बहुत गर्म और शुष्क क्षेत्रों जैसे राजस्थान के पश्चिमी भाग और पश्चिमी घाट के वर्षा छाया क्षेत्र में जनसंख्या घनत्व कम है। उच्च तापमान और कम वर्षा,  इस क्षेत्र को उच्च जनसंख्या बसने के लिए अनुपयुक्त बनाती है क्योंकि इस क्षेत्र में पीने और सिंचाई के लिए पानी की कमी रहती है इसके आलावा इतने गर्म जलवायु में लोग रहना कम पसंद करते हैं ।
  • भारत के शुष्क और बहुत ठंडे क्षेत्रों जैसे लद्दाख, अरुणाचल प्रदेश और हिमालयी क्षेत्र के उत्तरी भाग में भी कम आबादी है क्योंकि इस क्षेत्र में अत्यधिक ठंडी जलवायु होती है। इतनी ठण्ड जलवायु में अनाज उत्पादन नहीं किया जा सकता है साथ ही यहाँ पर जल की कमी रहती है।
  • भारत के आर्द्र क्षेत्र जैसे चेरापूंजी, पश्चिमी घाट, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, और सुंदरबन डेल्टा आर्द्र क्षेत्र हैं और इसके कारण यहाँ बहुत घने जंगलों पाए जाते  हैं, और इसलिए यह कृषि और आर्थिक विकास के लिया ज्यादा उपयोगी नहीं होता हैं।  ज्यादा वर्षा भी  आर्थिक विकास में बाधा उत्पन्न करती है, इसलिए यहाँ कम जनसंख्या घनत्व पाया जाता हैं। 

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