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वायुमंडलीय परिसंचरण के त्रि कोशिकीय मॉडल की विस्तार से विवेचना कीजिए।

प्रश्न। 

वायुमंडलीय परिसंचरण के त्रि कोशिकीय मॉडल की विस्तार से विवेचना कीजिए।  (UPSC geography optional paper 1 2019, 20 Marks)

उत्तर। 

पृथ्वी के गोलाकार आकार, झुकी हुई धुरी में पृथ्वी के घूमने, और परिक्रमण के कारण; सूर्यातप का वितरण पूरी पृथ्वी की सतह पर समान नहीं है, और असमान तापन से दाब प्रवणता उत्पन्न होती है; परिणामस्वरूप, तीन निम्न दाब पेटियाँ और चार उच्च दाब पेटियाँ पृथ्वी पर स्थायी रूप से विकसित हैं। दाब पेटियों का स्थान नीचे दिए गए चित्र में दर्शाया गया है।

World Pressure Belt
World Pressure Belt 

जैसा कि हम जानते हैं कि हवाएं हमेशा उच्च दबाव से कम दबाव की ओर बहती हैं, और गर्म होने पर हवा ऊपर उठती है और ठंडा होने पर नीचे बैठती है।

हवा की निम्नलिखित तीन प्रकार की गति वायुमंडलीय परिसंचरण को वृत्ताकार बनाती है:

  • निम्न वायुमंडलीय पेटी पर वायु का ऊपर उठना।
  • उच्च वायुमंडलीय पेटियों पर हवा का डूबना।
  • उच्च वायुमंडलीय दाब से निम्न वायुमंडलीय दाब की ओर सतही पवनों की गति।

प्रत्येक गोलार्द्ध में बड़े क्षेत्रों में हवा की तीन परिसंचरण गति होती है, और इन्हें कोशिका भी कहा जाता है:

  • हैडली कोशिका।
  • फेरेल कोशिका।
  • ध्रुवीय कोशिका।

इन कोशिकाओं [वायुमंडलीय परिसंचरण] के 2 डी प्रतिनिधित्व को वायुमंडलीय परिसंचरण का त्रि-कोशिकीय मॉडल कहा जाता है।

Tri cellular Model of atmospheric circulation
Tri cellular Model of atmospheric circulation


हैडली कोशिका।

  • आईटीसीजेड(ITCZ) के पास एक निम्न वायुमंडलीय दाब पेटी होती है क्योंकि इस क्षेत्र में उच्च सूर्यातप प्राप्त होता है और यह दोनों गोलार्द्धों से दो व्यापारिक पवनो का मिलन क्षेत्र भी है। इस क्षेत्र में पवने क्षोभसीमा (ट्रोपोपॉज़ ) तक ऊपर उठती है और रुद्धोष्म ह्रास के कारण ठंडी हो जाती है। ठंडी हवा इसी क्षेत्र (निम्न वायुमंडलीय दाब पेटी ) में नीचे नहीं बैठती है क्योंकि यहां पवने ऊपर उठ रही होती है, यह उत्तरी और दक्षिणी ध्रव की ओर चल कर दोनों गोलार्द्धों में लगभग 30 से 35 डिग्री अक्षांशों में नीचे बैठती है।
  • ऊपरी क्षोभमंडल की सीमा पर, पवने 30 डिग्री उत्तर और दक्षिण अक्षांश से आगे नहीं बढ़ पाती है क्योकि पवने ठंडी होकर भर हो जाती है और यह दोनों गोलार्द्धों में 30 से 35 डिग्री अक्षांश के करीब नीचे बैठती है।
  • सतह पर, 30 डिग्री उत्तर और दक्षिण गोलार्ध से पवन का कुछ हिस्सा भूमध्य रेखा की ओर व्यापारिक हवाओं के रूप में चलता है [उच्च दबाव से निम्न दबाव वाली हवा की गति]।
  • 0 डिग्री अक्षांश से 30 डिग्री उत्तर और दक्षिण अक्षांश के बीच पवनो की संचलन गति को हेडली सेल कहा जाता है।

फेरेल कोशिका।

  • दोनों गोलार्द्धों में 35 से 60 डिग्री अक्षांश तक पवनो की संचलन गति को फेरेल कोशिका कहते हैं।
  • सतहों पर, 30 डिग्री उत्तर और दक्षिण गोलार्ध से ठंडी हवा ध्रुवों की ओर चलती है जिसे पश्चिमी हवाएं कहा जाता है। सतह पर चलने से यह गर्म हो जाती है और 60 से 65 उत्तर और दक्षिण अक्षांशों पर ऊपर उठने लगती है।
  • ऊपरी क्षोभमंडल में, 60 से 65 उत्तर और दक्षिण अक्षांशों से ऊपर उठी हवा का कुछ हिस्सा ध्रुव की ओर बढ़ती है और ध्रुवीय आक्षांसो पर नीचे बैठती है। हवा का एक हिस्सा भूमध्य रेखा की ओर बढ़ता है और ठंडा हो जाता है और 30 से 35 डिग्री अक्षांश पर नीचे बैठता है।

ध्रुवीय कोशिका।

  • दोनों गोलार्द्धों में 65 से 90 डिग्री अक्षांश तक वायु की संचलन गति को ध्रुवीय कोशिका कहते हैं।
  • सतह पर, चूंकि ध्रुव में कम तापमान और उच्च दबाव होता है, इस प्रकार हवा ध्रुवों से भूमध्य रेखा की ओर पूर्वी हवाओं के रूप में चलती है। सतह पर चलते हुए हवा को गर्मी मिलती है और यह दोनों गोलार्द्धों में 60 से 65 डिग्री अक्षांश पर ऊपर उठती है।
  • ऊपरी परत में 60 से 65 डिग्री अक्षांश से ऊपर उठी हवा ध्रुवों की ओर चलती है और ठंडा होने के बाद ध्रुवों पर नीचे बैठ जाती है।
  • दोनों गोलार्द्धों में 65 से 90 डिग्री अक्षांश तक वायु की संचलन गति को ध्रुवीय कोशिका कहते हैं।

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