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विकासशील देशों में नगरीय बस्तियों की समस्याओं का विवेचन कीजिए।

 प्रश्न । 

विकासशील देशों में नगरीय बस्तियों की समस्याओं का विवेचन कीजिए।

( कक्षा 12: मानव भूगोल के मूल सिद्धांत, अध्याय 10 मानव बस्ती) 

उत्तर। 

नगरीय बस्तियाँ वे मानव बस्तियाँ हैं जिनकी अधिकांश आबादी विनिर्माण और सेवा क्षेत्रों जैसी गैर-प्राथमिक गतिविधियों में शामिल है।

विशेष रूप से विकासशील देशों में नगरीय बस्तियाँ के पास पैसे कम होता है और जनसंख्या ज्यादा होता है इस कारण से नगरीय बस्तियाँ विभिन्न समस्याओं से ग्रस्त होते हैं।

विकासशील देशों में नगरीय बस्तियों की आम समस्याएं दो प्रकार के है। पहला आवास , पेयजल, बिजली, सीवेज निपटान, अस्पतालों और स्कूलों जैसी बुनियादी बुनियादी सुविधाओं की कमी। दूसरा, प्रदूषण की समस्या जिसमे वायु और जल प्रदूषण मुख्य हैं।

शहरी समस्याओं को निम्नलिखित शीर्षों में वर्गीकृत किया जा सकता है;


आर्थिक समस्या;

नगरीय बस्तियों में बुनियादी ढांचे और सुविधाओं के लिए वित्त की अक्सर कमी होती है। अपर्याप्त वित्तीय संसाधन तथा भ्रस्टाचार के कारण नगरीय बस्तियों में बुनियादी सुविधाओं की कमी देखने को मिलता हैं। 

ग्रामीण-से-शहरी के अति प्रवास के कारण, नगरीय क्षेत्र में आर्थिक के कम अवसर होते जा रहा है और शहरी केंद्र में तेजी से झुग्गियां बस्तियाँ (गन्दी बस्ती ) बढ़ रहे हैं ।

नगरीय आबादी में व्यापक आय असमानता होती है और यह बढ़ता ही जा रहा है।


सामाजिक-सांस्कृतिक समस्याएं;

शहरी क्षेत्रों में पुरुष चयनात्मक प्रवासन के कारण शहरों में लिंगानुपात को असंतुलित करता है।

शहरी केंद्रों में उच्च जनसंख्या, आय असमानता और कम आर्थिक अवसर होते है जिसके कारण यह नगरीय बस्तियों में अपराध दर को बढ़ाते हैं। सामाजिक अपराध जैसे बलात्कार, डकैती, हत्या, जबरन वसूली आदि शहरी क्षेत्रों में आम हैं।


पर्यावरणीय समस्याए;

नगरीय जनसँख्या अक्सर वहाँ उपलब्ध संसाधनों से ज्यादा होता है। जिसके कारण वहां उपलब्ध संसाधन जैसे जल, जंगल आदि जैसे प्राकृतिक संसाधनों को तेजी से समाप्त कर देता है।

शहरी क्षेत्रों में भारी मात्रा में कचरा उत्पन्न होता है। कचरे का निस्तारण एक बड़ी चुनौती होती है। कचरे के उचित निपटान ना करने से - जल, वायु और मृदा प्रदूषण हो सकता है।

नदी बाढ़ क्षेत्रों और अन्य जल निकायों के अतिक्रमण के कारण नगरीय क्षेत्र में बाढ़ उत्पन्न करता हैं।

शहरी क्षेत्रों में आजकल ऊर्जा की भारी खपत के कारण नगरीय बस्तिया "गर्मी द्वीप का प्रभाव" जैसा काम करता है; नतीजतन, यह चक्रवातों को आकर्षित करता है। उदाहरण के लिए, भारत के पूर्वी और पश्चिमी तट की शहरी बस्तियों के "गर्मी द्वीप का प्रभाव" के कारण तट से चक्रवात अपनी ओर आकर्षित होते है।

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