प्रश्न।
ग्रामीण क्षेत्रों की सामाजिक आर्थिक परिवर्तन में सामाजिक वानिकी के प्रभावों का परीक्षण कीजिए।
( UPSC 2024 भूगोल पेपर 1; Syllabus : जैवभूगोल; NCERT: कक्षा XI भूगोल-अध्याय-5 )
उत्तर:
सामाजिक वानिकी से तात्पर्य वनों के प्रबंधन एवं संरक्षण तथा बंजर भूमि पर वनीकरण से है, जिससे ग्रामीण एवं जनजातीय समुदायों की ईंधन लकड़ी, चारा तथा इमारती लकड़ी की आवश्यकताओं की पूर्ति हो सके और पारिस्थितिक संतुलन को सुधारा जा सके।
सामाजिक वानिकी की अवधारणा सर्वप्रथम 1976 में राष्ट्रीय कृषि आयोग द्वारा प्रस्तुत की गई थी। इसके बाद यह ग्रामीण विकास एवं पर्यावरण संरक्षण से जुड़े कार्यक्रमों, जैसे कि महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (MGNREGA) और संयुक्त वन प्रबंधन (Joint Forest Management – JFM) का एक प्रमुख घटक बन गई।
सामाजिक वानिकी (Social Forestry) का उद्देश्य स्थानीय ग्रामीण समुदायों को वनों के संरक्षण, उत्पादन और प्रबंधन में भागीदार बनाना है, जिससे पर्यावरणीय सुधार के साथ-साथ आर्थिक व सामाजिक लाभ भी मिलें।
ग्रामीण क्षेत्रों में सामाजिक वानिकी के सामाजिक-आर्थिक प्रभाव:
1. रोज़गार और आय का स्रोत:
वृक्षारोपण, कटाई, उत्पादों की बिक्री से रोज़गार मिलता है।
विशेष रूप से महिलाएँ और भूमिहीन वर्ग इससे आर्थिक रूप से सशक्त होते हैं।
2. ईंधन, चारा और लकड़ी की आपूर्ति:
ग्रामीणों को जलावन, पशु चारा और निर्माण के लिए लकड़ी मिलती है।
इससे वनों पर सीधा दबाव घटता है।
3. भूमि सुधार और पर्यावरणीय लाभ:
बंजर व क्षरणयुक्त भूमि का उपयोग हो पाता है।
मिट्टी अपरदन में कमी और जलवायु संतुलन में मदद मिलती है।
4. सामुदायिक भागीदारी और निर्णय क्षमता:
ग्राम पंचायतों, स्वयंसेवी संगठनों और SHG की भागीदारी से सामूहिक विकास को बढ़ावा।
5. महिलाओं और वंचित वर्गों का सशक्तिकरण:
महिलाओं को आय के नए स्रोत मिलते हैं (जैसे – मधुमक्खी पालन, लघु वानिकी उत्पाद)।
6. ग्रामीण-शहरी संबंधों को मजबूत करना:
वानिकी उत्पादों का विपणन कर ग्रामीण क्षेत्रों को बाजार से जोड़ा जाता है।
उदाहरण:
भारत के राज्यों जैसे मध्य प्रदेश, ओडिशा, गुजरात में सफल Joint Forest Management कार्यक्रम।
कर्नाटक में Social Forestry Programme के तहत लाखों पौधे रोपित हुए, जिससे गाँवों में आयवृद्धि हुई।
निष्कर्ष (Conclusion):
सामाजिक वानिकी ग्रामीण जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाती है और पर्यावरणीय संरक्षण के साथ सतत विकास को बढ़ावा देती है। यह एक द्वि-आयामी रणनीति है – जो आर्थिक उत्थान और प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण को साथ लेकर चलती है।
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