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पर्वत निर्माणकारी प्रक्रिया के नवीनतम दृष्टिकोणों का परीक्षण कीजिए

 प्रश्न। 

पर्वत निर्माणकारी प्रक्रिया के नवीनतम दृष्टिकोणों का परीक्षण कीजिए तथा विश्व के पर्वतों को उनकी उत्पत्ति के आधार पर विभाजित कीजिए। 

( UPSC 2024 Geography Paper 1)

उत्तर। 

पर्वत निर्माण या ओरोजेनेसिस (Orogenesis) से तात्पर्य उन भूवैज्ञानिक प्रक्रियाओं से है जो पर्वतों के निर्माण की ओर ले जाती हैं।

हाल ही में प्लेट विवर्तनिकी सिद्धांत (Plate Tectonics Theory) में हुए विकास ने यह समझने की हमारी दृष्टि को बदल दिया है कि पर्वत किस प्रकार बनते हैं।

पर्वत निर्माण की नवीनतम दृष्टिकोण (Modern Views on Mountain Building):

1. प्लेट विवर्तनिकी सिद्धांत (आधुनिक दृष्टिकोण):

यह सबसे अधिक स्वीकार्य सिद्धांत है।

पर्वत मुख्य रूप से अभिसारी प्लेट सीमाओं (Convergent Plate Boundaries) के कारण बनते हैं:

महाद्वीपीय-से-महाद्वीपीय टक्कर → वलित पर्वत (जैसे हिमालय)।

महासागरीय-से-महाद्वीपीय सबडक्शन → ज्वालामुखीय पर्वत (जैसे एंडीज, रॉकी)।


2. कोबेर का भू-सिंक्लिनल सिद्धांत (Geosynclinal Theory by Kober)

जर्मन भूगोलवेत्ता एल्फ्रेड कोबेर (Alfred Kober) ने पर्वत निर्माण के बारे में एक महत्वपूर्ण सिद्धांत प्रस्तुत किया, जिसे भू-सिंक्लिनल सिद्धांत या Geosynclinal Theory कहा जाता है। यह सिद्धांत प्लेट विवर्तनिकी के पूर्व समय का है और पर्वत निर्माण की प्रक्रिया को एक संकुचनवादी दृष्टिकोण से समझाता है।

कोबेर के अनुसार:

पृथ्वी की पर्पटी पर कुछ हिस्से लंबे समय तक अवसादन जमा होने के कारण भू-सिंक्लिनल (Geosyncline) बनाते हैं।

ये भू-सिंक्लिनल विशाल खाई जैसी संरचनाएं होती हैं जिनमें लाखों वर्षों तक तलछटी सामग्री (sediments) जमा होती रहती है।

बाद में, स्थिर स्थलमंडल (Kratogen) भू-सिंक्लिनल के दोनों ओर से दबाव डालते हैं।

यह दबाव भू-सिंक्लिनल को सिकोड़कर ऊपर की ओर उठा देता है और पर्वत शृंखला का निर्माण होता है।


विश्व के पर्वतों का उत्पत्ति के आधार पर वर्गीकरण:

1. वलित पर्वत (Fold Mountains):

वलित पर्वत प्लेटों के अभिसारी (Convergent) किनारों पर दबाव (Compression forces) के कारण बनते हैं।

जब दो महाद्वीपीय प्लेटें आपस में टकराती हैं, तो तलछटी परतें सिकुड़कर ऊपर उठ जाती हैं और वलित पर्वत बनते हैं।

उदाहरण: हिमालय, आल्प्स, रॉकी पर्वत, एंडीज पर्वत।


2. खंडित पर्वत (Block Mountains):

ये पर्वत भूपातन (Faulting) की प्रक्रिया से बनते हैं, विशेषतः नियमित भ्रंश (Normal Fault) के कारण।

जब पृथ्वी की पर्पटी टूटकर नीचे धँसती है या ऊपर उठती है, तब खंडित पर्वत बनते हैं।

उदाहरण: वोसज (फ्रांस), ब्लैक फॉरेस्ट (जर्मनी), सिएरा नेवादा (अमेरिका)।


3. ज्वालामुखीय पर्वत (Volcanic Mountains):

ये पर्वत ज्वालामुखीय गतिविधियों के कारण बनते हैं, जैसे हॉटस्पॉट या उपसरण (Subduction zones)।

ज्वालामुखीय पदार्थ बाहर निकलकर जमा होता है और धीरे-धीरे एक पर्वत का आकार ले लेता है।

उदाहरण: माउंट फुजी (जापान), माउंट किलिमंजारो (अफ्रीका), हवाई द्वीप समूह।


4. अवशिष्ट पर्वत (Residual Mountains):

ये प्राचीन पर्वतों के अपरदन शेष अवशेष होते हैं।

हवाओं, जल और अन्य अपरदन कारकों के कारण पर्वत का अधिकांश भाग कट जाता है और केवल कठोर भाग बचा रहता है।

उदाहरण: अरावली (भारत), सिएरा (स्पेन)।


5. गुंबदाकार पर्वत (Dome Mountains):

ये पर्वत भूपर्पटी में मैग्मा के अंदरूनी दबाव के कारण ऊपर की ओर उभरे चट्टानी परतों से बनते हैं।

सतह पर कोई ज्वालामुखी विस्फोट नहीं होता, लेकिन नीचे से दबाव से गुंबद जैसी संरचना बनती है।

उदाहरण: एडिरोंडैक पर्वत (अमेरिका), एल्बुर्ज़ पर्वत (ईरान)।


निष्कर्ष (Conclusion):

हाल के भू-विज्ञान संबंधी अनुसंधान यह स्पष्ट करते हैं कि पर्वत निर्माण एक गतिशील और सतत प्रक्रिया है, जिसे प्लेट विवर्तनिकी,  और मेंटल गतिशीलता (mantle dynamics) संचालित करते हैं।


पर्वतों का निर्माण के आधार पर वर्गीकरण करने से भूगोलवेत्ताओं को पृथ्वी के विविध भू-दृश्यों और विवर्तनिक इतिहास को बेहतर ढंग से समझने में सहायता मिलती है

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