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रीना का दिन Class 1 Question Answer Hindi Chapter 3 | [ BASIC HINDI Learning]

   NCERT class 1 Hindi Sarangi chapter 3 Rina Ka Din-Solutions 

Class 1 Hindi Chapter 3 Reena Ka Din-Summary:

सारांश – "रीना का दिन":

रीना एक अनुशासित, सुशील , और मेहनती  बच्ची है। वह हर दिन जल्दी उठती है और अपने बिस्तर को ठीक करती है। फिर नीम की दातुन से दाँत साफ करती है, अच्छे से नहाकर साफ कपड़े पहनती है और बालों में तेल लगाकर कंघी करती है।


वह माँ के बनाए पराठे और सब्ज़ी स्वाद से खाती है, माँ से गले मिलती है और स्कूल के लिए निकल जाती है। रास्ते में उसकी सहेली दीपा मिलती है। दोनों एक-दूसरे को “सुप्रभात” कहती हैं और हँसते-खेलते स्कूल पहुँचती हैं।


स्कूल में प्रार्थना के बाद वह कक्षा में जाती है। अध्यापिका के आते ही सभी बच्चे “नमस्ते” करते हैं। रीना ध्यान लगाकर पढ़ाई करती है, सहेलियों के साथ खेलती है और थोड़ी शरारत भी करती है।


घर लौटकर रीना हाथ-मुँह धोती है और स्कूल की बातें अपने परिवार को बताती है। फिर वह अपने छोटे भाई के साथ खेलती है।


रात को वह जल्दी सो जाती है। उसकी दादी प्यार से उसे “शुभरात्रि” कहकर सुला देती हैं।


मुख्य संदेश:

रीना का दिन हमें स्वच्छता, अनुशासन, परिवार और स्कूल जीवन के महत्व को सिखाता है। यह पाठ बच्चों को दिनचर्या और अच्छे व्यवहार की प्रेरणा देता है।



Class 1 Hindi Chapter 3 Reena Ka Din Question Answer

Rina Ka Din Class 1 Question Answer:


बातचीत के लिए :


1. रीना सुबह अपनी सहेली से मिलने पर क्या कहती है?

उत्तर : 

रीना अपनी सहेली दीपा से मिलती है और “सुप्रभात” कहती है।


2. रीना की दादी रात को सोने से पहले रीना से क्या कहती हैं?

उत्तर : 

रीना की दादी उसे रात को प्यार से "शुभरात्रि" कहकर सुलाती हैं।


3. आप क्या कहकर बड़ों का अभिवादन करते हैं?

उत्तर : 

मैं बड़ों को देखकर "नमस्ते" या "प्रणाम" कहकर अभिवादन करता/करती हूँ।


4. घर पर जब कोई अतिथि आते हैं, तो आप क्या कहकर उनका स्वागत करते हैं?

उत्तर : 

 मैं अतिथियों का स्वागत "नमस्ते, आइए, स्वागत है" कहकर करता/करती हूँ।


5. अगर आपको रास्ते में कोई परिचित जन मिल जाएँ, तो आप क्या कहते हैं?

उत्तर : 

मैं उन्हें देखकर "नमस्ते", "सुप्रभात" या "कैसे हैं आप?" कहता/कहती हूँ।


खोजें-जानें :

प्रश्न 1.

पता कीजिए कि आपके सहपाठियों के घर पर अभिवादन कैसे करते हैं?

उत्तर :

मैंने अपने सहपाठियों से पूछा कि वे अपने घर पर बड़ों का अभिवादन कैसे करते हैं। मुझे अलग-अलग उत्तर मिले:

कुछ सहपाठी "नमस्ते" कहकर बड़ों का अभिवादन करते हैं।

कुछ बच्चे "प्रणाम" कहते हैं।

कुछ बच्चे हाथ जोड़कर झुकते हैं और बड़ों के पैर छूते हैं।

कुछ बच्चे "सत श्री अकाल", "आदाब" या "सलाम" भी कहते हैं — यह उनके घर की भाषा और परंपरा पर निर्भर करता है।

निष्कर्ष:

हर घर में बड़ों का अभिवादन करने का तरीका थोड़ा अलग हो सकता है, लेकिन सभी का उद्देश्य सम्मान देना और स्नेह प्रकट करना होता है।


प्रश्न 2.

पता कीजिए कि आपके सहपाठियों के घर पर अभिवादन कैसे करते हैं? अभिनय सहित समझाइए कि आप-

1. मंजन कैसे करते हैं?

2. कैसे नहाते हैं?

3. बाल कैसे बनाते हैं?

4. खाना कैसे खाते हैं?

5. हाथ कैसे धोते हैं?

6. कैसे सोते हैं?

उत्तर :

यह प्रश्न बच्चों में दैनिक क्रियाओं की समझ, अनुशासन और स्वच्छता की आदतें विकसित करने के लिए है। नीचे हर क्रिया का सादा विवरण और उसके साथ कैसे उसका अभिनय (नाटकीय प्रस्तुति) किया जा सकता है, वह दिया गया है:

 1. मंजन कैसे करते हैं?

अभिनय:

हाथ में ब्रश पकड़कर दिखाएँ कि आप दाँतों को ब्रश कर रहे हैं। साथ ही मुँह को इधर-उधर घुमा कर साफ कर रहे हैं।


 2. कैसे नहाते हैं?

अभिनय:

दोनों हाथों से सिर पर पानी डालने का अभिनय करें। फिर हाथों से शरीर पर साबुन लगाने और धोने का अभिनय करें।


3. बाल कैसे बनाते हैं?

अभिनय:

एक हाथ से तेल लगाने और दूसरे हाथ से कंघी करने का अभिनय करें।


 4. खाना कैसे खाते हैं?

अभिनय:

थाली सामने रखकर हाथ से खाना खाने का अभिनय करें और खुश होकर चबाने का भाव दिखाएँ।


5. हाथ कैसे धोते हैं?

अभिनय:

दोनों हाथों से रगड़ने, अंगूठा घुमाने और पानी से धोने का अभिनय करें।


6. कैसे सोते हैं?

अभिनय:

आँखें बंद कर हाथ सिर के नीचे रखकर सोने का अभिनय करें और हल्की साँस लेते हुए शांत मुद्रा में रहें।


शिक्षक सुझाव:

बच्चों को एक-एक करके मंच पर बुलाएँ और इन क्रियाओं का अभिनय करवाएँ। इससे उन्हें शब्दों का अर्थ भी समझ में आएगा और व्यवहार में लाना भी आसान होगा।


खेल-खेल में :

मिट्टी से ‘घर-घर’ खेल की चीज़ें बनाइए, जैसे- चूल्हा, थाली, कटोरी आदि। अब अपने मित्रों के साथ मिलकर ‘घर-घर’ खेलिए।

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उत्तर :

‘घर-घर’ खेल बच्चों की कल्पनाशक्ति और सामाजिक व्यवहार को विकसित करता है। आइए इसे खेल-खेल में मज़ेदार और रचनात्मक बनाते हैं।


1. मिट्टी से बनाइए खेल की चीज़ें:

बच्चे मिट्टी या आटे से निम्नलिखित वस्तुएँ बना सकते हैं:

चूल्हा – एक छोटा गोल चूल्हा बनाएँ, जिसमें लकड़ी या मिट्टी की लकड़ियाँ रख सकते हैं।

थाली – चपटी और गोल थाली बनाइए।

कटोरी – छोटी गोल प्यालियाँ बनाएँ, जिनमें "सब्ज़ी" रखी जा सके।

गिलास – पानी या दूध के लिए।

रोटी-सब्ज़ी – मिट्टी से रोटी, लड्डू, पराठा, सब्ज़ी जैसी चीज़ें बनाकर "खाना" तैयार करें।

गैस सिलेंडर/बर्तन – कल्पनाशील चीज़ें जो घर में होती हैं।


2. मिलकर खेलिए ‘घर-घर’:

अब जब चीज़ें बन गईं, तो दोस्तों के साथ मिलकर यह खेलिए:

भूमिका बाँटिए:

कोई माँ बने, कोई पिता, कोई बच्चा, कोई मेहमान, कोई पड़ोसी।

सभी को अपनी भूमिका के अनुसार बोलना और व्यवहार करना चाहिए।

उदाहरण:

माँ कहती है – “आज मैंने आलू की सब्ज़ी बनाई है। थाली में खाना परोसती हूँ।”

बच्चा कहता है – “मुझे दो रोटी चाहिए माँ।”

मेहमान आता है – “नमस्ते, क्या मैं अंदर आ सकता हूँ?”

पिता कहते हैं – “मैं दफ़्तर जा रहा हूँ, खाना जल्दी दीजिए।”

खेल के फायदे:

बोलने की कला में सुधार

सहयोग और समझ बढ़ती है

रचनात्मकता विकसित होती है

मिट्टी से खेलना स्पर्श ज्ञान (sensory skills) को मजबूत करता है


सबके घर :
रेखा खींचकर पशु-पक्षियों को उनके घर तक पहुँचाइए –
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उत्तर :

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चित्रकारी और लेखन :

आपको अपने घर में क्या-क्या अच्छा लगता है और क्यों? चित्रों की सहायता से बताइए। इन शब्दों में से आप अपने चित्र के लिए कुछ शब्द चुन सकते हैंरसोई, कमरा, बरामदा, आँगन, छज्जा, छत, माँ, पिता, दादी, दादा, कहानी, खीर, दूध आदि।

उत्तर :

 शब्दों की सहायता से उत्तर:

1.मुझे अपने घर का आँगन बहुत अच्छा लगता है, क्योंकि वहाँ मैं हर दिन खेलता हूँ।

2. दादी मुझे बरामदे में कहानी सुनाती हैं, जो मुझे बहुत पसंद है।

3. माँ जब रसोई में खीर बनाती हैं, तो उसकी मीठी खुशबू पूरे घर में फैल जाती है।

4. मेरे पिता मेरे साथ छत पर चलते हैं, हम मिलकर पतंग उड़ाते हैं।

5. मेरा कमरा मेरा सबसे प्यारा स्थान है, क्योंकि वहाँ मेरी किताबें, खिलौने और चित्र हैं।


सोचिए और बताइए :

1 . आप घर में कौन-कौन से काम करते हैं? सही का चिह्न लगाइए-

आप घर में कौन-कौन से काम करते हैं? सही का चिह्न लगाइए-


उत्तर :

आप घर में कौन-कौन से काम करते हैं? सही का चिह्न लगाइए-



2. 

हाथ हैं मेरे छोटे-छोटे,

काम करूँ मैं बड़े-बड़े।

उत्तर :

इसका मतलब है कि भले ही बच्चे के हाथ छोटे हैं, लेकिन उसके इरादे और हौसले बहुत बड़े हैं। वह यह कहना चाहता है कि उम्र या आकार से फर्क नहीं पड़ता — मैं मेहनत से बड़े और अच्छे काम कर सकता हूँ।

शिक्षा:

मेहनत और लगन से हर कोई बड़ा काम कर सकता है।

आत्मविश्वास, इच्छा शक्ति और निरंतर प्रयास ही सफलता की कुंजी हैं।

छोटे बच्चे भी सीखकर और कोशिश करके कई अच्छे कार्य कर सकते हैं।


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