1. अरस्तू के "स्वर्ण मध्य" (Golden Mean) का क्या अर्थ है?
क) संतुलन के माध्यम से धन प्राप्त करना
ख) व्यवहार के दो चरम सीमाओं के बीच का मध्य मार्ग
ग) प्रशासन में गणितीय संतुलन
घ) हर स्थिति में नियमों का कठोर पालन
उत्तर: ख) व्यवहार के दो चरम सीमाओं के बीच का मध्य मार्ग
अरस्तू के अनुसार, सद्गुण अत्यधिकता और न्यूनता के बीच स्थित होता है। उदाहरण: साहस — दुस्साहस और कायरता के बीच।
2. अरस्तू के अनुसार, मानव जीवन का सर्वोच्च उद्देश्य क्या है?
क) भौतिक संपत्ति
ख) यूडेमोनिया (सच्चा सुख)
ग) प्रसिद्धि और पहचान
घ) सख्त नियमों का पालन
उत्तर: ख) यूडेमोनिया (समृद्धि/सच्चा सुख)
यूडेमोनिया का अर्थ है सद्गुणों से युक्त जीवन जीना और व्यक्तिगत एवं सामाजिक कल्याण प्राप्त करना।
3. अरस्तू की नैतिकता में "फ्रोनसिस (Phronesis)" का अर्थ है:
क) वैज्ञानिक तर्क
ख) भावनात्मक बुद्धिमत्ता
ग) सैन्य अनुशासन
घ) व्यावहारिक बुद्धिमत्ता
उत्तर: घ) व्यावहारिक बुद्धिमत्ता
फ्रोनसिस का अर्थ है जीवन की वास्तविक परिस्थितियों में सही नैतिक निर्णय लेने की योग्यता।
4. अरस्तू के अनुसार नैतिकता का मुख्य उद्देश्य क्या है?
क) गलत कार्यों के लिए दंड
ख) लाभ को अधिकतम करना
ग) प्राधिकरण के प्रति अंधी निष्ठा
घ) सद्गुणपूर्ण चरित्र का निर्माण
उत्तर: घ) सद्गुणपूर्ण चरित्र का निर्माण
अरस्तू की नैतिकता सद्गुण जैसे ईमानदारी, साहस, न्याय आदि के विकास पर बल देती है।
5. अरस्तू के अनुसार न्याय का सही अर्थ क्या है?
क) शासक को प्रसन्न करना
ख) सभी को समान अवसर देना
ग) लोगों को उनके योग्यतानुसार देना
घ) टकराव से बचना
उत्तर: ग) लोगों को उनके योग्यतानुसार देना
अरस्तू के अनुसार, न्याय वितरणात्मक होता है — जिसमें हर व्यक्ति को उसके गुण या योग्यता के अनुसार प्राप्त होता है।
अरस्तू का न्याय का सिद्धांत यह सिखाता है कि न्याय का मतलब समानता नहीं, बल्कि उपयुक्तता है — हर व्यक्ति को उसकी योग्यता, कर्म या आवश्यकता के अनुसार मिलना चाहिए।
6. अरस्तू की नैतिक विचारधारा नियम आधारित नैतिकता से कैसे भिन्न है?
क) उन्होंने सभी नियमों को नकारा
ख) वे परिणामों पर अधिक ध्यान देते थे
ग) उन्होंने राजनीति से नैतिकता को अलग माना
घ) उन्होंने चरित्र और सद्गुणों पर जोर दिया, नियमों पर नहीं
उत्तर: घ) उन्होंने चरित्र और सद्गुणों पर जोर दिया, नियमों पर नहीं
अरस्तू की नैतिकता आंतरिक गुणों के विकास पर आधारित है, न कि केवल बाहरी नियमों के पालन पर।
7. अरस्तू के अनुसार नैतिक विकास सबसे अच्छे ढंग से कौन प्राप्त कर सकता है?
क) अमीर और शक्तिशाली लोग
ख) कानून में प्रशिक्षित लोग
ग) धार्मिक संन्यासी
घ) वे नागरिक जो सार्वजनिक जीवन में भाग लेते हैं
उत्तर: घ) वे नागरिक जो सार्वजनिक जीवन में भाग लेते हैं
अरस्तू ने माना कि सामाजिक और राजनीतिक जीवन (Polis) में भागीदारी नैतिक जीवन को प्रोत्साहित करती है।
8. निम्न में से कौन अरस्तू की नैतिकता में एक प्रमुख सद्गुण नहीं है?
क) साहस
ख) ईमानदारी
ग) लोभ
घ) संयम
उत्तर: ग) लोभ
लोभ अत्यधिकता का प्रतीक है और अरस्तू की दृष्टि में यह एक दोष (vice) है, न कि सद्गुण।
9. अरस्तू की नैतिकता में तर्क (Reason) की क्या भूमिका है?
क) तर्क भावनाओं के बाद आता है
ख) तर्क केवल वैज्ञानिक ज्ञान के लिए होता है
ग) तर्क नैतिक निर्णयों का मार्गदर्शन करता है और सद्गुणों का निर्माण करता है
घ) तर्क राजनीतिक नियंत्रण लाता है
उत्तर: ग) तर्क नैतिक निर्णयों का मार्गदर्शन करता है और सद्गुणों का निर्माण करता है
अरस्तू के अनुसार, तर्कसंगत सोच नैतिक जीवन और सद्गुणों के विकास का आधार है।
10. अरस्तू की नैतिकता UPSC GS IV में किस विषय से सबसे अधिक मेल खाती है?
क) उपयोगितावाद (Utilitarianism)
ख) भावनात्मक बुद्धिमत्ता
ग) निजी संबंधों में नैतिकता
घ) नैतिकता और मानव इंटरफ़ेस
उत्तर: घ) नैतिकता और मानव इंटरफ़ेस
अरस्तू का दर्शन व्यक्ति और समाज के संबंध में नैतिकता पर केंद्रित है — जो "Ethics and Human Interface" का मूल तत्व है।
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