प्रश्न.
"प्रजातियों की समृद्धि में अक्षांशीय प्रवणता, जैव विविधता में एक महत्वपूर्ण भौगोलिक प्रवृत्ति है।" कथन का परीक्षण कीजिए।
(UPSC भूगोल वैकल्पिक 2024)
उत्तर।
अक्षांशीय प्रवणता (Latitudinal Gradient)पृथ्वी पर देखी जाने वाली एक भौगोलिक प्रवृत्ति है , जिसमें कुछ प्राकृतिक या जैविक घटनाएं अक्षांश (latitude) के अनुसार क्रमिक रूप से बदलती हैं, यानी भूमध्य रेखा (Equator) से लेकर ध्रुवों (Poles) की ओर।
अक्षांशीय प्रवणता (Latitudinal Gradient) जैव विविधता की एक सुव्यवस्थित और सार्वभौमिक भौगोलिक प्रवृत्ति है, जिसमें भूमध्यरेखा (Equator) की ओर जैव विविधता में वृद्धि और ध्रुवों की ओर कमी देखी जाती है।
यह प्रवृत्ति इस तथ्य को दर्शाती है कि उष्णकटिबंधीय क्षेत्र (Tropics) प्रजातियों की समृद्धि में समशीतोष्ण (Temperate) और ध्रुवीय (Polar) क्षेत्रों की तुलना में कहीं अधिक समृद्ध होते हैं।
प्रजातियों की समृद्धि में अक्षांशीय प्रवणता:
1. जलवायु की स्थिरता:
उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में लाखों वर्षों से अपेक्षाकृत स्थिर जलवायु रही है।
यह नई प्रजातियों के विकास (Speciation) और विलुप्ति दर में कमी को प्रोत्साहित करती है।
2. अधिक उत्पादकता (Productivity):
भूमध्यरेखीय क्षेत्रों को अधिक सौर ऊर्जा और वर्षा प्राप्त होती है।
इससे प्राथमिक उत्पादकता, पारिस्थितिक जटिलता और पोषण तंत्र अधिक विकसित होता है।
3. लंबे जैविक सक्रिय काल:
उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में मौसमीय चरम सीमाएं कम होती हैं।
परिणामस्वरूप जीवों की निरंतर जैविक सक्रियता और विशिष्टीकरण बढ़ता है।
4. पर्यावास विविधता (Habitat Heterogeneity):
उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में अधिक सूक्ष्म-पर्यावास (microhabitats) और निचेस (niches) होते हैं।
इससे अधिक संख्या में प्रजातियों के सह-अस्तित्व की संभावना होती है।
5. जीवों के मध्य मजबूत पारस्परिक क्रियाएं:
उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में जीवों के बीच प्रतिस्पर्धा, सहजीवन, और परभक्षण जैसे जैविक पारस्परिक संबंध अधिक तीव्र होते हैं।
ये संबंध प्रजातीय विभाजन और विविधता को बढ़ावा देते हैं।
उदाहरण:
1. अमेज़न वर्षावन (दक्षिण अमेरिका):
पृथ्वी की कुल भूमि का <5% क्षेत्र कवर करता है, लेकिन इसमें विश्व की लगभग 10% ज्ञात प्रजातियाँ पाई जाती हैं।
2. इंडो-बर्मा और ट्रॉपिकल एंडीज़ क्षेत्र:
अत्यधिक स्थानिक (endemic) प्रजातियों और जैव विविधता वाले हॉटस्पॉट।
3. आर्कटिक और अंटार्कटिक क्षेत्र:
कठोर जलवायु के कारण जैव विविधता अत्यंत कम।
निष्कर्ष:
अक्षांशीय प्रवणता जैव विविधता अध्ययन में एक मौलिक सिद्धांत है।
यह न केवल पारिस्थितिक और विकासात्मक प्रक्रियाओं की समझ को बढ़ाता है, बल्कि संरक्षण रणनीतियों में भी सहायक है। उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में अधिक जैव विविधता होने के कारण, इन पर मानवीय दबाव भी अधिक है — अतः इन क्षेत्रों में संरक्षण प्रयासों को प्राथमिकता देना आवश्यक है।
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