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आर्थिक गतिविधियों के तीन क्षेत्रक (सेक्टर) आपस में किस प्रकार संबंधित है?

 प्रश्न :

आर्थिक गतिविधियों के तीन क्षेत्रक (सेक्टर) आपस में किस प्रकार संबंधित है?

( अध्याय 14 :  हमारे आस-पास की आर्थिक गतिविधियाँ, कक्षा 6 सामाजिक विज्ञान NEW NCERT )

उत्तर। 

हमारे सभी आर्थिक गतिविधियों का मूलभूत श्रोत धरती माता ( प्रकृति ) है, यही से सब कुछ प्राप्त होता है , इसी में सब समा भी जाता है। लेकिन आर्थिक गतिविधि के उत्पादन के प्रकृति व् स्वरुप की हिसाब से तीन क्षेत्रक में बाटा गया है - प्राथमिक, द्वितीयक और तृतीयक — जो एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं और परस्पर सहयोग करते हैं और इसी से सभी देश के अर्थव्यस्था चलती है। 

आर्थिक गतिविधियों के तीन क्षेत्रक (सेक्टर) आपस में किस प्रकार संबंधित है?


आइये देखते है ये तीनो क्षेत्र आपस में कैसे जुड़े हुए है -


1. प्राथमिक क्षेत्र (Primary Sector):

यह क्षेत्र प्रकृति माँ से सीधे संसाधन प्राप्त करने वाले कार्यों से जुड़ा है। इसमें कृषि, पशुपालन, मत्स्य पालन, खनन और वनों से लकड़ी प्राप्त करना जैसी गतिविधियाँ आती हैं।

उदाहरण:

किसान गेहूँ, धान, गन्ना आदि उगाते हैं।

खदानों से कोयला और लौह अयस्क निकाला जाता है।


2. द्वितीयक क्षेत्र (Secondary Sector):

इस क्षेत्र में प्राथमिक क्षेत्र से प्राप्त कच्चे माल को प्रसंस्करण करके, आवश्यक वस्तुओं का निर्माण किया जाता है।

उदाहरण:

गन्ने से चीनी बनाना।

कपास से कपड़ा तैयार करना।

लोहे से गाड़ियाँ और मशीनें बनाना।


3. तृतीयक क्षेत्र (Tertiary Sector):

इसे सेवा क्षेत्र भी कहा जाता है। यह न तो कच्चा माल पैदा करता है और न ही वस्तुओं का निर्माण करता है, बल्कि यह दोनों क्षेत्रों को आवश्यक सेवाएँ प्रदान करता है ताकि वे सुचारू रूप से चल सकें।

उदाहरण:

परिवहन सेवाएँ (कच्चे माल को खेत या खदान से फैक्ट्री तक पहुँचाना, और बनी हुई वस्तुओं को बाजार तक पहुँचाना)।

बैंकिंग और बीमा (किसानों, व्यापारियों और उद्योगपतियों को आर्थिक सहायता और सुरक्षा प्रदान करना)।

संचार और सूचना तकनीक (कारोबार और विपणन को आगे बढ़ाना)।


तीनो क्षेत्रों में आपसी संबंध:

ये तीनों क्षेत्र एक-दूसरे से गहराई से जुड़े हुए हैं।

यदि किसान (प्राथमिक क्षेत्र) गेहूँ नहीं उगाएंगे तो आटा बनाने की मिल (द्वितीयक क्षेत्र) काम नहीं कर पाएगी।

यदि मिल (द्वितीयक क्षेत्र) आटा बनाएगी लेकिन उसे बाजार तक पहुँचाने के लिए परिवहन और दुकानदार (तृतीयक क्षेत्र) न हों, तो उपभोक्ता तक यह वस्तु नहीं पहुँच पाएगी।

इसी तरह यदि परिवहन सेवाएँ हों लेकिन कच्चा माल ही उपलब्ध न हो, तो सेवा क्षेत्र भी ठप पड़ जाएगा।


इस प्रकार, प्राथमिक क्षेत्र आधार है, द्वितीयक क्षेत्र रूपांतरणकर्ता है और तृतीयक क्षेत्र सेवा प्रदाता है। तीनों क्षेत्रों की आपसी निर्भरता से ही किसी भी देश की अर्थव्यवस्था सुचारू रूप से चलती है।

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