प्रश्न :
प्राथमिक क्षेत्रक क्या हैं ? यह द्वितीयक क्षेत्रक से किस प्रकार भिन्न है? दो उदाहरण दीजिए।
( अध्याय 14 : हमारे आस-पास की आर्थिक गतिविधियाँ, कक्षा 6 सामाजिक विज्ञान NEW NCERT )
उत्तर।
प्राथमिक क्षेत्रक की परिभाषा:
प्राथमिक क्षेत्रक वे आर्थिक गतिविधियाँ हैं जिनमें प्राकृतिक संसाधनों ( धरती माँ ) से सीधे वस्तुएँ प्राप्त की जाती हैं। इसमें वे आर्थिक कार्य आते हैं जहाँ मनुष्य बिना किसी बड़े औद्योगिक रूपांतरण के प्रकृति से सामग्री लेता है।
उदाहरण:
कृषि कार्य – जैसे धान, गेहूँ, गन्ना या सब्ज़ियों की खेती।
मत्स्य पालन – नदियों, झीलों और समुद्रों से मछलियाँ पकड़ना।
खनन – कोयला, लोहा, सोना इत्यादि निकालना।
द्वितीयक क्षेत्रक की परिभाषा:
द्वितीयक क्षेत्रक वे आर्थिक गतिविधियाँ हैं जिनमें प्राथमिक क्षेत्र से प्राप्त कच्चे माल को प्रसंस्कृत ( रूपांतरित ) करके नए वस्तुओं या तैयार माल में बदला जाता है।
उदाहरण:
गेहूँ (कच्चा माल, प्राथमिक क्षेत्र) से आटा बनाना।
कपास से कपड़ा तैयार करना।
लकड़ी से फर्नीचर बनाना।
प्राथमिक और द्वितीयक क्षेत्रक में अंतर:
दोनों में निम्नलिखित अंतर है -
1. मुख्य कार्य:
प्राथमिक क्षेत्रक में हम प्रकृति से सीधे संसाधन प्राप्त करते है जबकि द्वितीयक क्षेत्रक में प्राथमिक क्षेत्रक में तैयार कच्चे माल को प्रसंस्कृत करते है।
2. उदाहरण:
प्राथमिक क्षेत्रक के कार्य का उदाहरण कृषि, खनन, मत्स्य पालन आदि है जबकि द्वितीयक क्षेत्रक के कार्य उद्योग, फैक्ट्रियाँ, निर्माण कार्य,आदि है।
3. श्रम व पूँजी:
प्राथमिक क्षेत्रक श्रम-प्रधान (अधिक मजदूरी व मेहनत की आवश्यकता) है जबकि द्वितीयक क्षेत्रक पूँजी-प्रधान (मशीनों, तकनीक और निवेश की आवश्यकता) है।
3. महत्व:
प्राथमिक क्षेत्रक प्रायः कम विकसित देशों में सबसे ज्यादा किये जाते है जबकि द्वितीयक क्षेत्रक औद्योगिक देशों ( विकसित देशों ) में प्रमुख भूमिका निभाता है।
4. निर्भरता:
प्राथमिक क्षेत्रक के कार्य सीधे प्रकृति पर निर्भर होते है जबकि द्वितीयक क्षेत्रक के कार्य प्राथमिक क्षेत्रक पर निर्भर निर्भर होते है।
दो उदाहरण सहित स्पष्टिकरण:
1. किसान (प्राथमिक क्षेत्रक) गेहूँ उगाता है, तो उसे मिल (द्वितीयक क्षेत्रक) आटे में बदलती है।
2. जंगल से लकड़ी (प्राथमिक क्षेत्रक) लाई जाती है, तो बढ़ई या उद्योग उसे कुर्सी या अलमारी (द्वितीयक क्षेत्रक) में बदलते हैं।
प्राथमिक क्षेत्रक आधारभूत गतिविधियाँ करता है, जबकि द्वितीयक क्षेत्रक उन्हें उपयोगी वस्तुओं में परिवर्तित करता है। दोनों क्षेत्र परस्पर जुड़े हुए हैं और किसी भी अर्थव्यवस्था के संतुलित विकास के लिए दोनों का सहयोग आवश्यक है।

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