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कबीर के दादाजी और अध्यापक की गतिविधि का अंतर | आर्थिक और गैर-आर्थिक गतिविधियों में अंतर

प्रश्न :

कबीर के दादाजी आस-पास के बच्चों को स्वैच्छिक रूप से निःशुल्क पढ़ाते है। यह आर्थिक गतिविधि है या गैर-आर्थिक? यह गतिविधि आपके अध्‍यापक द्वारा विद्यालय में पढ़ाए जाने से किस प्रकार भिन्न है? अपने सहपाठियों के साथ चर्चा कीजिए।

( अध्याय 13 : कार्य का महत्त्व, कक्षा 6 सामाजिक विज्ञान NEW NCERT )

उत्तर। 

कबीर के दादाजी आस पास के बच्चों को स्वैच्छिक रूप से नि:शुल्क पढ़ाते हैं, इसलिए यह एक गैर-आर्थिक गतिविधि है क्योंकि इसमें कबीर के दादाजी किसी धन या आय अर्जन के उद्देश्य से नहीं कर रहे है, बल्कि यह समाज में सेवा और सहयोग की भावना से कर रहे है।


दूसरी ओर, हमारे विद्यालय के अध्यापक जब हमें पढ़ाते हैं तो उसके बदले उन्हें वेतन मिलता है। अध्यापक आय अर्जन या बेतन के उद्देश्य से हमें पढ़ाते है, इसलिए अध्यापक का कार्य एक आर्थिक गतिविधि है।

कबीर के दादाजी और अध्यापक की गतिविधि का अंतर | आर्थिक और गैर-आर्थिक गतिविधियों में अंतर


अंतर:

कबीर के दादाजी का कार्य : नि:शुल्क सेवा है इसलिए गैर-आर्थिक गतिविधि है। 

विद्यालय के अध्यापक का कार्य आय अर्जन ( वेतन के साथ) के लिए है , इसलिए आर्थिक गतिविधि है। 


निष्कर्ष :

गैर-आर्थिक गतिविधियाँ समाज में सेवा और सहयोग की भावना पैदा करती हैं, जबकि आर्थिक गतिविधियाँ जीवन-यापन और आय प्राप्ति के लिए आवश्यक होती हैं।


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