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प्राथमिक, द्वितीयक और तृतीयक क्षेत्रकों के बीच परस्पर निर्भरता का एक उदाहरण दीजिए। इसको प्रवाह चित्र (फ्लो चार्ट) का प्रयोग करते हुए समझाइए।

प्रश्न :

प्राथमिक, द्वितीयक और तृतीयक क्षेत्रकों के बीच परस्पर निर्भरता का एक उदाहरण दीजिए। इसको प्रवाह चित्र (फ्लो चार्ट) का प्रयोग करते हुए समझाइए।

( अध्याय 14 :  हमारे आस-पास की आर्थिक गतिविधियाँ, कक्षा 6 सामाजिक विज्ञान NEW NCERT )

उत्तर।

प्राथमिक, द्वितीयक और तृतीयक क्षेत्रकों के बीच परस्पर निर्भरता का उदाहरण है - पाठ्यपुस्तक का निर्माण और वितरण। 

जैसा की हम जानते है- हमारी पाठ्यपुस्तक को बनाने के लिए कागज का उपयोग करते है और कागज बनाने के लिए लकड़ी या घास का उपयोग करते है और लकड़ी या घास सीधे प्रकृति माँ से आता है। 

प्राथमिक, द्वितीयक और तृतीयक क्षेत्रकों के बीच परस्पर निर्भरता का एक उदाहरण दीजिए। इसको प्रवाह चित्र (फ्लो चार्ट) का प्रयोग करते हुए समझाइए।


इसको आर्थिक क्षेत्रक से हम इस प्रकार समझते है -

प्राथमिक क्षेत्रक : प्रकृति माँ से हम लकड़ी या घास प्राप्त करते है और इसको परिवहन ( तृतीयक क्षेत्र ) के मदत से कागज उद्योग ( द्वितीयक क्षेत्र ) में भेजते है। 

द्वितीयक क्षेत्रक : इसमें हम मशीन के मदत से लकड़ी /घास /लुगदी से कागज बनाते है और उस पर मुद्रण करके अनेक प्रकार के पाठ्यपुस्तक तैयार करते है। 

तृतीयक क्षेत्रक : तैयार पाठ्यपुस्तक को परिवहन, गोदाम और दुकानों के माध्यम से विद्यार्थियों तक पहुंचाते है।


प्रवाह चित्र (Flow Chart)


प्राथमिक क्षेत्रक

   ↓

पेड़ से लकड़ी/लुगदी का संग्रह

   ↓

द्वितीयक क्षेत्रक

   ↓

कागज का निर्माण और मुद्रण (पाठ्यपुस्तक तैयार करना)

   ↓

तृतीयक क्षेत्रक

   ↓

परिवहन → गोदाम → दुकानों तक वितरण → विद्यार्थी तक पहुँचना


निष्कर्ष:

  • प्राथमिक क्षेत्रक प्राकृतिक कच्चे माल (लकड़ी) उपलब्ध कराता है।
  • द्वितीयक क्षेत्रक इसे तैयार उत्पाद (पाठ्यपुस्तक) में बदलता है।
  • तृतीयक क्षेत्रक इन उत्पादों को उपभोक्ताओं तक पहुँचाने का काम करता है।


 कोई भी क्षेत्रक अकेला कार्य पूरा नहीं कर सकता। सभी तीन क्षेत्रक परस्पर जुड़े हैं और एक-दूसरे पर निर्भर हैं।

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