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ग्रामीण बस्तियों में पर्यावरण के मुद्दे UPSC

ग्रामीण बस्तियों में निम्नलिखित प्रकार के पर्यावरणीय मुद्दे शामिल हैं।

  • प्राकृतिक पर्यावरण के मुद्दे
  • मानव निर्मित पर्यावरण के मुद्दे
    • कृषि की गलत पद्धतियां
    • सिंचाई के गलत तरीके
    • बुनियादी ढांचे की कमी


प्राकृतिक पर्यावरण के मुद्दे

  • नदियों के किनारे वाले ग्रामीण बस्ती में बाढ़ का हमेशा खतरा बना रहता है और बाढ़ के कारण मानव, पशु, सामान और आजीविका को भारी नुकसान उठाना पड़ता है।
  • बरसात के मौसम में बाढ़ और गंदगी से बहुत सारी जल से उत्पन्न होने वाली बीमारियां फैलती है ।
  • तटीय क्षेत्र के ग्रामीण बस्ती में चक्रवात और तूफान का खतरा लगा रहता है ।
  • पहाड़ी ग्रामीण बस्ती में भूस्खलन और बादल फटने का खतरा लगा रहता है ।


मानव निर्मित पर्यावरण के मुद्दे

  • रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों के उपयोग से मिट्टी और जल प्रदूषण की समस्याएँ पैदा होती हैं
  • नाइट्रोजन उर्वरकों के अधिक उपयोग से जल निकाय में सुपोषण (यूट्रोफिकेशन) हो जाता है।
  • गलत  कृषि पद्धति, गलत भूमि प्रबंधन, वनों की कटाई से मिट्टी का क्षरण हो रहा  है।
  • अधिक जनसंख्या से कृषि भूमि पर अधिक बोझ पैदा हो रही है
  • लाभ को अधिकतम करने के लिए नगदी भसल उगाने का प्रचलन बढ़  रहा है जिसके कारण मृदा में एक विशेष पोषक तत्व की कमी हो जा रहा है।
  • पूर्वोत्तर भारत के पहाड़ी क्षेत्र में झूम खेती से पर्यावरण को काफी नुकसान होता है।
  • फसल के बुवाई से पहले खेतो में बचे पुराने खेती के अवशेष जलने के कारण वायु प्रदूषण होता है।  इसके कारण दिल्ली के आस पास क्षेत्र में प्रदुषण की समस्या ठंडी के मौसम में बढ़ जाती  है। 



सिंचाई की गलत पद्धति से पैदा होने वाली समस्या :

  • अत्यधिक भूजल निकासी से भूजल स्तर में गिरावट आती है।
  • सिंचाई प्रणाली के माध्यम से पानी के रिसने से मिट्टी का अम्लीकरण होता है और मलेरिया और अन्य बीमारियों का प्रजनन क्षेत्र होता है।
  • अधिक सिंचाई के कारण मिट्टी का कटाव

बुनियादी ढांचे की कमी :

  • शौचालय और सीवेज के बुनियादी ढांचे की कमी के कारण खुले में शौच ग्रामीण बस्तियों में ज्यादा होती है जिसके परिणामस्वरूप कई संचारी रोग पैदा होते हैं और बच्चे की उच्च मृत्यु दर का कारण बनता है। 
  • एलपीजी, सीएनजी की अनुपस्थिति से वनों की कटाई होती है जिसका अलग ही पर्यावरण नुकसान है। 
  • ग्रामीण बस्तियाँ शहरी बस्तियों की तुलना में अधिक असुरक्षित हैं क्योंकि ग्रामीण बस्तियों में बुनियादी ढाँचे कमजोर जिसके कारण जरा सी आपदा आने से ग्रामीण बस्तियों को कभी नुकसान सहना पड़ता हैं।


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