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भारत के प्रमुख राज्यों में मानव विकास के स्तरों में किन कारकों ने स्थानिक भिन्नता उत्पन्न की है?

 प्रश्न। 

भारत के  प्रमुख राज्यों में मानव विकास के स्तरों में किन कारकों ने स्थानिक भिन्नता उत्पन्न की है? 

( NCERT class 12, अध्याय 3-  मानव विकास , भारत लोग और अर्थव्यवस्था)

उत्तर। 

मानव विकास एक विकास की प्रकिया है जिसमे लोगो की विकल्प और जीने के गुणवत्ता के स्तर बढ़ाया जाता है।  साक्षरता, अच्छी आय और स्वस्थ लंबी उम्र प्रदान करके मानव विकास किया जाता है।

भारत में राज्यों के बीच मानव विकास के स्तरों में स्थानिक भिन्नता है इसके दो मुख्य कारक हैं:

  • साक्षरता दर में भिन्नता। 
  • सामाजिक-आर्थिक विकास का स्तर में भिन्नता। 

2011 की जनगणना के अनुसार:

  • सामान्य तौर पर, कम साक्षरता दर और आर्थिक विकास के निम्न स्तर के कारण पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड को छोड़कर उत्तरी भारत के अन्य राज्यों के मानव विकास का स्तर दक्षिणी राज्यों की तुलना में कम है। उदाहरण के लिए, छत्तीसगढ़ (23), उड़ीसा (22), बिहार (21), और मध्य प्रदेश (20) की मानव विकास रैंक भारत में सबसे नीचे है।
  • कम साक्षरता दर और कम लिंगानुपात होने के बावजूद, दिल्ली (2), हिमाचल प्रदेश (3), पंजाब (5), महाराष्ट्र (7), और हरियाणा (9) जैसे राज्य की मानव विकास का स्तर है क्योकि वहां पर उच्च आर्थिक विकास है।
  • उच्च साक्षरता दर और उच्च आर्थिक विकास के कारण दक्षिणी राज्यों ने मानव विकास के स्तर पर अच्छा प्रदर्शन किया। उदाहरण के लिए, केरल(1), गोवा(4), तमिलनाडु(8)।
  • उच्च साक्षरता दर के कारण  ही असम को छोड़कर पूरे पूर्वोत्तर राज्यों में उच्च मानव विकास (रैंक 6) है।

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