Search Post on this Blog

मानव भूगोल में पर्यावरण नियतिवाद की अवधारणा की व्याख्या कीजिए।

 प्रश्न। 

मानव भूगोल में पर्यावरण नियतिवाद की अवधारणा की व्याख्या कीजिए।

कक्षा 12: मानव भूगोल के मूल सिद्धांत, अध्याय 1 मानव भूगोल-प्रकृति एवं विषय क्षेत्र)

उत्तर।

जैसा कि हम जानते हैं कि मानव भूगोल भौतिक पर्यावरण और मनुष्यों के बीच संबंधों का अध्ययन है।

पहले हमारा समाज आदिम था उस समय कम तकनीकी विकास और निम्न सामाजिक-आर्थिक विकास था।  इस अवस्था में लोगों ने स्वयं को प्रकृति के अनुसार ढाल लिया था। वे वही खाते हैं जो प्राकृतिक रूप से उपलब्ध था और उनके सुख-दुख आसपास के वातावरण के साथ साझा किए जाते थे। मानव प्राकृतिक था, वे प्रकिति के प्रकोप से डरते थे और दया के लिए प्रकृति की पूजा करते थे।

मनुष्य अपने आप को बनाए रखने के लिए प्रकृति के साथ पूर्ण सामंजस्य में रहता था। भौतिक वातावरण आदिम समाज के लिए  "मातृ प्रकृति" बन गया था ।

आदिम मानव समाज और प्रकृति की प्रबल  शक्तियों के बीच की संबंध को पर्यावरणीय निश्चयवाद (नियतिवाद)  कहा गया।

पर्यावरणीय निश्चयवाद (नियतिवाद) मानव भूगोल का एक विचार है जो मानता है कि मानव क्रियाएँ प्रकृति की प्रबल शक्तियों के अधीन हैं। मानव की सारी क्रियाये जैसे खाना, पीना, रहना , आदि सब पृकिती द्वारा निर्धारित होती हैं। 

You may like also:

Previous
Next Post »