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अध्याय 4: "इतिहास की समय-रेखा एवं उसके स्रोत" का संक्षिप्त सारांश | कक्षा 6 सामाजिक विज्ञान

संक्षिप्त सारांश 


इतिहास क्या है और हम इसका अध्ययन कैसे करते हैं?

इतिहास का अर्थ है – मानव के अतीत का अध्ययन।

हम अपने अतीत की बातें याद करके यह समझ सकते हैं कि समय के साथ क्या बदला है।

अतीत को समझकर हम वर्तमान दुनिया को बेहतर तरीके से समझ सकते हैं।


इतिहास जानने के लिए कौन लोग काम करते हैं और कैसे?

1. भू-वैज्ञानिक (Geologists)

पृथ्वी की मिट्टी, चट्टानों, नदियों, पहाड़ों, महासागरों आदि का अध्ययन करते हैं।

इनसे हमें पता चलता है कि पृथ्वी कैसे बनी और बदली।


2. जीवाश्म वैज्ञानिक (Paleontologists)

करोड़ों वर्ष पुराने पेड़ों, जानवरों और मानवों के जीवाश्म (fossils) का अध्ययन करते हैं।

इससे हमें पता चलता है कि पुराने समय में कौन-कौन जीवित थे।


3. मानव वैज्ञानिक (Anthropologists)

यह लोग मनुष्यों और उनकी सभ्यताओं का अतीत से वर्तमान तक अध्ययन करते हैं।

जैसे: रीति-रिवाज़, रहन-सहन, पहनावा आदि।


4. पुरातत्व वैज्ञानिक (Archaeologists)

ये लोग पुराने अवशेष जैसे:

औज़ार, मिट्टी के बर्तन, मूर्तियाँ, खिलौने, जले अनाज, हड्डियाँ, घर के अवशेष आदि खोजते हैं।

उत्खनन (खुदाई) द्वारा ये इन वस्तुओं को निकालकर उनका अध्ययन करते हैं।


इतिहास में समय की गणना कैसे की जाती है?


1. समय की गणना की पद्धतियाँ:

हर समाज एवं संस्कृति की अपनी-अपनी समय गणना प्रणाली होती है।

समय की गिनती प्रमुख घटनाओं जैसे किसी शासक के शासन की शुरुआत या किसी महान व्यक्ति के जन्म से की जाती थी।


2. आज की समय गणना – ग्रेगोरियन कैलेंडर:

आज विश्वभर में ग्रेगोरियन कैलेंडर का उपयोग होता है:

इसमें 365 दिन होते हैं और हर 4 साल में लीप वर्ष (366 दिन) होता है।

शताब्दी वर्ष लीप वर्ष तभी होते हैं जब वे 400 से विभाज्य हों (जैसे 2000)।


 3. ईसा मसीह के जन्म पर आधारित समय-रेखा:

ईसा के जन्म के बाद के वर्षों को: सी.ई. (कॉमन एरा) / AD कहा जाता है।

ईसा के जन्म से पहले के वर्षों को: बी.सी.ई. (बिफोर कॉमन एरा) / BC कहा जाता है।


उदाहरण:

भारत 1947 में स्वतंत्र हुआ → 1947 सी.ई.

गौतम बुद्ध का जन्म → 560 बी.सी.ई. (आज से लगभग 2583 वर्ष पूर्व)

बी.सी.ई. और सी.ई. के वर्षों के बीच की गणना:

(उपरोक्त वर्ष जोड़ें) – 1

उदाहरण: 560 BCE + 2024 CE − 1 = 2583 वर्ष पूर्व

ग्रेगोरियन कैलेंडर में कोई "वर्ष 0" नहीं होता। 1 BCE के सीधे बाद 1 CE आता है।


4 . समय-रेखा का उपयोग:

समय-रेखा (Timeline) का प्रयोग घटनाओं के क्रम को समझने के लिए किया जाता है।

यह दर्शाती है कि कौन-सी घटना पहले और कौन-सी बाद में हुई।


5. समय की इकाइयाँ:

  • वर्ष: एक साल (365/366 दिन)
  • दशक: 10 साल का कालखंड
  • शताब्दी: 100 साल का कालखंड
  • सहस्राब्दी: 1000 साल का कालखंड


इतिहास के प्रमुख स्रोत


1. मौखिक स्रोत (लोक साहित्य, वंशावली)

उदाहरण: पृथ्वीराज रासो

महत्‍व: राजा-रानी, युद्धों व परंपराओं की जानकारी मिलती है।


2. शिलालेख, ताम्रपत्र, सिक्के, पांडुलिपियाँ

उदाहरण: अशोक के शिलालेख

महत्‍व: राजकीय आदेश, नीतियाँ, धार्मिक सोच को समझने में सहायक।


3. भारतीय साहित्य (वेद, नाटक, इतिहास)

उदाहरण: ऋग्वेद

महत्‍व: वैदिक जीवन, धर्म, शिक्षा, भाषा की जानकारी देता है।


4. वैज्ञानिक और तकनीकी ग्रंथ

उदाहरण: आर्यभट्टीयम्

महत्‍व: प्राचीन विज्ञान और गणित की उन्नति को दर्शाता है।


5. विदेशी यात्रियों के विवरण

उदाहरण: फाह्यान

महत्‍व: बाहरी दृष्टिकोण से भारत की समाज, धर्म, शिक्षा का वर्णन।


6. कलात्मक स्रोत (चित्रकला, मूर्तियाँ, पट्टिकाएँ)

उदाहरण: अजंता की चित्रकला

महत्‍व: परिधान, त्योहार, संस्कृति, धर्म की झलक।


5. उत्खनन से प्राप्त वस्तुएँ

उदाहरण: हड़प्पा से खिलौने, औज़ार

महत्‍व: रहन-सहन, बच्चों की गतिविधियाँ, शिल्प कला।


6. संरचनाएँ (स्मारक, टीले)

उदाहरण: कुतुब मीनार, सांची स्तूप

महत्‍व: वास्तुकला, शासन, धार्मिक आस्था की जानकारी।


7. इतिहास लेखन में योगदान देने वाले क्षेत्र

इतिहासकार, पुरातत्वविद, अभिलेखशास्त्री, मानवविज्ञानी, साहित्य व भाषा विशेषज्ञ।

विज्ञान की मदद से जलवायु, आनुवंशिकी और रासायनिक विश्लेषण द्वारा नई जानकारी प्राप्त होती है।


8. आधुनिक स्रोत

समाचार-पत्र और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया (टीवी, इंटरनेट) – आधुनिक इतिहास के अध्ययन में उपयोगी।


मानव इतिहास की शुरुआत:

आधुनिक मानव (होमो सेपियंस) लगभग 3 लाख वर्ष पूर्व पृथ्वी पर आया।

यह पृथ्वी के इतिहास का बहुत छोटा लेकिन महत्वपूर्ण भाग है।


आदिमानव का जीवन:

वे प्रकृति की चुनौतियों से जूझते हुए टोलियों में रहते थे।

मुख्य रूप से शिकार और खाद्य-संग्रह करते थे।

आश्रय के लिए शैलाश्रय और गुफाओं में रहते थे।

उन्होंने अग्नि का प्रयोग, पत्थर के औज़ारों और हथियारों का निर्माण किया।

शैल-चित्रों से उनके जीवन, शिकार और विश्वासों की जानकारी मिलती है।

उन्होंने आभूषण और उपकरण बनाए और अन्य समूहों से विनिमय भी शुरू किया।


हिम युग और जलवायु परिवर्तन:

हिम युग: लगभग 1 लाख वर्ष पूर्व से 12,000 वर्ष पूर्व तक चला।

इसके बाद जलवायु गर्म होने लगी, जिससे नदियाँ बनीं और परिस्थितियाँ रहने योग्य हो गईं।


स्थायी जीवन की शुरुआत:

मानव ने खेती-बाड़ी शुरू की और जानवरों को पालतू बनाना शुरू किया।

वे नदी किनारे बसने लगे, जहाँ जल और उपजाऊ मिट्टी उपलब्ध थी।

भोजन की भरपूरता से जनसंख्या और समूहों का आकार बढ़ा।


सामाजिक और आर्थिक विकास:

समाज में सरदार या मुखिया होते थे, सामूहिक जीवन था, निजी संपत्ति नहीं थी।

गांवों में वस्तु विनिमय, मिट्टी और धातु की वस्तुएँ, और तकनीकी विकास हुआ।

पहले तांबे तथा बाद में लोहे का प्रयोग करके मजबूत औज़ार और आभूषण बनाए गए।


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