प्रश्न.
भविष्य में पर्यावरणीय संरक्षण के लिए कार्बन तटस्थता कैसे आवश्यक है? इस संबंध में राष्ट्रों द्वारा किए गए विभिन्न प्रयासों का वर्णन कीजिए।
(UPSC भूगोल वैकल्पिक 2024)
उत्तर.
कार्बन तटस्थता (Carbon Neutrality) का अर्थ है—कुल ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को या तो समाप्त करना या उसे प्राकृतिक या कृत्रिम कार्बन अवशोषकों (जैसे वन, महासागर) के माध्यम से संतुलित करना।
यह भविष्य में जलवायु स्थिरता, जैव विविधता संरक्षण, और प्राकृतिक संसाधनों के सतत उपयोग के लिए अनिवार्य है, क्योंकि यह सीधे तौर पर वैश्विक तापन (Global Warming) और इससे उत्पन्न संकटों को संबोधित करता है।
कार्बन तटस्थता की प्राप्ति के उपाय:
- नवीकरणीय ऊर्जा का उपयोग (सौर, पवन, जल, बायोमास)
- ऊर्जा दक्षता में सुधार (LED, ग्रीन बिल्डिंग्स)
- सतत परिवहन (इलेक्ट्रिक वाहन, सार्वजनिक परिवहन)
- वन संरक्षण और पुनर्वनीकरण (अफॉरेस्टेशन, एग्रोफॉरेस्ट्री)
- अपशिष्ट प्रबंधन और सर्कुलर इकोनॉमी (Reduce, Reuse, Recycle)
- लाइफस्टाइल बदलाव (भारत की "LiFE" मिशन जैसी पहलें)
भविष्य में पर्यावरणीय संरक्षण हेतु कार्बन तटस्थता की आवश्यकता:
1. जलवायु स्थिरीकरण:
कार्बन तटस्थता से ग्रीनहाउस गैसों का स्तर नियंत्रित होता है।
इससे वैश्विक तापमान वृद्धि को 1.5°C से नीचे रखने का पेरिस समझौता लक्ष्य साकार हो सकता है।
हिमनदों का पिघलना, मरुस्थलीकरण, और समुद्र अम्लीकरण जैसी समस्याएँ रोकी जा सकती हैं।
2. जैव विविधता का संरक्षण:
तापमान वृद्धि से आवास नष्ट होते हैं, प्रवाल भित्तियाँ (coral reefs) नष्ट होती हैं, और प्रजातियाँ विलुप्त होती हैं।
कार्बन तटस्थता इन परिवर्तनों को धीमा कर जैविक तंत्रों की रक्षा करती है।
3. सतत संसाधन प्रबंधन:
नवीकरणीय ऊर्जा, कुशल भूमि उपयोग, और हरित तकनीकों को बढ़ावा देकर प्राकृतिक संसाधनों पर दबाव घटाया जा सकता है।
4. जनस्वास्थ्य और आजीविका की सुरक्षा:
उत्सर्जन घटने से वायु गुणवत्ता में सुधार होता है, जिससे श्वसन संबंधी बीमारियाँ कम होती हैं।
जलवायु-उद्भवित आपदाओं से आजीविका सुरक्षित रहती है।
5. पारिस्थितिकी सेवाओं का संरक्षण:
वन, आर्द्रभूमियाँ, और महासागर—महत्वपूर्ण कार्बन सिंक हैं जिनकी रक्षा कार्बन तटस्थता के माध्यम से होती है।
राष्ट्रों द्वारा किए गए प्रयास:
1. अंतरराष्ट्रीय समझौते:
पेरिस समझौता (2015): 190 से अधिक देशों ने तापमान वृद्धि को 2°C से नीचे रखने हेतु नेट-ज़ीरो लक्ष्य निर्धारित किया।
UN Race to Zero अभियान: 2050 तक नेट-ज़ीरो प्राप्त करने हेतु सरकारों, उद्योगों, और शहरों को प्रेरित करता है।
2. प्रमुख देशों के प्रयास:
1. भारत:
COP26 में "पंचामृत" रणनीति के अंतर्गत 2070 तक नेट-ज़ीरो का लक्ष्य।
500 GW गैर-जीवाश्म ऊर्जा क्षमता
कार्बन तीव्रता में 45% की कमी (2005 के आधार पर)
2. चीन:
2060 तक कार्बन तटस्थता।
वनों का बड़ा विस्तार
सौर और हाइड्रोजन ऊर्जा में निवेश
3. अमेरिका:
2050 तक नेट-ज़ीरो।
स्वच्छ ऊर्जा और ग्रीन टेक्नोलॉजी में भारी निवेश
निष्कर्ष:
पर्यावरण संरक्षण केवल वैज्ञानिक या तकनीकी पहलू नहीं है—यह वैश्विक सहयोग और नैतिक जिम्मेदारी का विषय भी है।
कार्बन तटस्थता के माध्यम से ही हम जलवायु संकट, जैव विविधता हानि, और प्राकृतिक आपदाओं से बच सकते हैं।
इस दिशा में समान लेकिन भिन्न जिम्मेदारियों (CBDR) के सिद्धांत के अनुसार सभी देशों को मिलकर काम करना होगा—तभी भविष्य की पृथ्वी सुरक्षित और संतुलित रह पाएगी।
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