अध्याय 6 “भारतीय सभ्यता का प्रारंभ” (कक्षा 6, सामाजिक विज्ञान – NEW NCERT) संक्षिप्त सारांश:
सभ्यता क्या है?
किसी समाज का उन्नत चरण जिसमें शासन, नगर, व्यापार, लेखन, शिल्प, सांस्कृतिक विचार आदि शामिल होते हैं।
किसी सभ्यता में कम से कम निम्नलिखित की विशेषताएँ होनी चाहिए :
शासन व्यवस्था – समाज के कार्यों को व्यवस्थित करने हेतु।
नगरीकरण – योजनाबद्ध नगर, जल प्रबंधन, नालियाँ आदि।
शिल्प और उद्योग – धातु, पत्थर आदि से वस्तुएँ बनाना।
व्यापार – वस्तुओं का आदान-प्रदान, स्थानीय और बाहरी।
लेखन प्रणाली – सूचना दर्ज करने और संवाद हेतु।
सांस्कृतिक विचार – कला, साहित्य, परंपराएँ, धर्म आदि।
कृषि उत्पादन – गाँवों और शहरों को भोजन उपलब्ध कराना।
आज विश्व के लगभग सभी समाजों में उपरोक्त विशेषता को देखा जा सकता है।
सभ्यता का आरम्भ कब हुआ?
अलग अलग समय पर, विश्व में अनेक सभ्यताओं का आरंभ हुआ। सभ्यता का आरंभ तब होता है जब मानव समाज तकनीकी, सांस्कृतिक और सामाजिक रूप से विकसित होता है।
जैसे -
मेसोपोटामिया सभ्यता (आधुनिक इराक और सीरिया): लगभग 6,000 वर्ष पहले
मिस्र की सभ्यता: ( उत्तरी अफ्रीका में नील नदी के किनारे ): लगभग 5 ,000 वर्ष पहले
सिंधु-सरस्वती / हड़प्पा सभ्यता: ( भारत और पाकिस्तान ) लगभग 4600 पूर्व पहले
सिंधु-सरस्वती सभ्यता भारत की सबसे प्राचीन सभ्यता है, जो अपने नगरीकरण, शासन, और समावेशी सामाजिक ढांचे के कारण अनूठी मानी जाती है।
गाँव से नगर:
सिंधु नदी और इसकी सहायक नदियों (जैसे झेलम, चिनाब, रावी, ब्यास, सतलज) ने पंजाब और सिंध के मैदानी क्षेत्रों को उपजाऊ और कृषि योग्य बनाया।
सरस्वती नदी, जो हिमालय की तलहटी से बहती थी, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान और गुजरात से होकर गुजरती थी।
सरस्वती अब एक मौसमी नदी है, जिसे आज घग्गर-हाकरा कहा जाता है।
लगभग 3500 ईसा पूर्व ( 5500 वर्ष पहले ) गाँव बनने लगे।
2600 ईसा पूर्व तक ये गाँव नगरों और महानगरों में बदल गए।
इस प्रक्रिया को भारत का पहला नगरीकरण कहा जाता है।
इस सभ्यता को कहते हैं:
सिंधु सभ्यता
हड़प्पा सभ्यता
सिंधु-सरस्वती सभ्यता
इसके निवासियों को हड़प्पाई या हड़प्पावासी कहा गया क्योंकि 1920-21 में सबसे पहला उत्खनन हड़प्पा (अब पाकिस्तान में) में हुआ था।
प्रमुख नगर और उनके आधुनिक स्थान:
हड़प्पाई नगर: आधुनिक राज्य/प्रदेश
हड़प्पा: पंजाब (पाकिस्तान)
मोहनजो-दड़ो: सिंध (पाकिस्तान)
धौलावीरा: गुजरात
कालीबंगा: राजस्थान
राखीगढ़ी: हरियाणा
सरस्वती नदी का महत्त्व:
ऋग्वेद में सरस्वती का वर्णन एक देवी और एक पवित्र नदी दोनों रूपों में हुआ है।
बाद के ग्रंथों में इसके सूखने और अंततः लुप्त हो जाने की बात मिलती है।
उपजाऊ नदियों के कारण स्थायी कृषि और फिर नगरों का विकास हुआ।
यह विकास भारत की प्राचीनतम सभ्यता की नींव बना, जिसे आज हम हड़प्पा या सिंधु-सरस्वती सभ्यता के नाम से जानते हैं।
नगर-योजना की विशेषताएँ:
हड़प्पा और मोहनजो-दड़ो सिंधु सभ्यता के पहले खोजे गए दो प्रमुख नगर थे (खोज: 1924, अब पाकिस्तान में)।
नगरों में दो भाग:
ऊपरी नगर – संभवतः अभिजात वर्ग (शासक, पुजारी आदि) के लिए।
निचला नगर – आम नागरिकों के लिए।
धौलावीरा में तीन भागों वाला नगर पाया गया, और वहाँ पत्थरों से नींव बनाई गई थी।
किलेबंदी: नगरों के चारों ओर सुरक्षा हेतु विशाल दीवारें बनाई जाती थीं।
चौड़ी, ग्रिडनुमा सड़कें
पक्की ईंटों से बने मकान (सभी वर्गों में समान गुणवत्ता)
मोहनजो-दड़ो का महास्नानागार: धार्मिक या विशेष प्रयोजन के लिए
जल प्रबंधन और स्वच्छता:
घरों में स्नानघर और विकसित नालियाँ
धौलावीरा का जल प्रबंधन – एक अद्भुत उदाहरण
गुजरात के कच्छ के रण में स्थित धौलावीरा में भारत का सबसे बड़ा जलाशय मिला है:
धौलावीरा में विशाल जलाशय और जल संग्रह प्रणाली
जल स्रोत: कुएँ, तालाब, झरने, जलाशय
मोहनजो-दड़ो में लोग ईंटों से बने कुओं से पानी निकालते थे।
हड़प्पावासियों का खानपान:
फसलें: गेहूँ, जौ, बाजरा, चावल, दालें, सब्जियाँ
कपास की खेती (दुनिया में पहली बार)
पशुपालन: दूध, मांस, कृषि कार्य
भोजन: दूध उत्पाद, हल्दी, अदरक, केला आदि — मिट्टी के बर्तनों की जाँच से प्रमाण
व्यापार और शिल्प:
आंतरिक और विदेशी व्यापार (स्थलीय, जलमार्ग और समुद्री मार्ग)
निर्यात: कपास, कार्नेलियन मनके, आभूषण, तांबे के औजार
आयात: संभवतः तांबा और अन्य धातुएँ
लोथल (गुजरात) में समुद्री बंदरगाह
व्यापार की पहचान के लिए मुहरें (पशु आकृतियों और लेखन वाली)
सभ्यता का ह्रास – अंत अथवा नई शुरुआत:
समय: लगभग 1900 ईसा पूर्व से पतन
नगर खाली हुए, लोग गांवों में बसने लगे
कोई युद्ध या आक्रमण नहीं — शांतिपूर्ण सभ्यता
प्रमुख कारण:
जलवायु परिवर्तन: वर्षा में कमी, सूखा
सरस्वती नदी का सूखना
नई शुरुआत की ओर:
भले ही नगर लुप्त हो गए, लेकिन हड़प्पा की संस्कृति और तकनीक पूरी तरह समाप्त नहीं हुई।
यह संस्कृति आगे चलकर भारतीय सभ्यता के अगले चरण में शामिल हो गई — एक नई शुरुआत के रूप में।
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