प्रश्न :
पंचायती राज संस्थाएँ क्या हैं? उनके क्या कार्य हैं? शासन और लोकतंत्र में ये क्यों महत्वपूर्ण हैं?
( अध्याय 11 : आधारभूत लोकतंत्र — भाग 2-ग्रामीण क्षेत्रों में स्थानीय सरकार, कक्षा 6 सामाजिक विज्ञान NEW NCERT )
उत्तर।
1. पंचायती राज संस्थाएँ क्या हैं?
भारत के स्थानीय स्वशासन व्यवस्था को पंचायती राज संस्थाए कहते है। यह भारत के तीन स्तरीय सरकार का सबसे निचला स्तर है, जो जनसाधारण से प्रत्यक्ष जुड़ी हुई है।
भारत एक विशाल देश है जहाँ लगभग दो-तिहाई आबादी गाँवों में रहती है। इतनी बड़ी और विविध जनसंख्या की समस्याओं का समाधान केवल राज्य या राष्ट्रीय राजधानी से संभव नहीं है। इसलिए संविधान ने स्थानीय स्तर पर शासन की व्यवस्था बनाई, जिसे पंचायती राज प्रणाली कहा जाता है।
पंचायती राज संस्थाएँ के तीन स्तर है—
- ग्राम पंचायत (ग्राम स्तर)
- पंचायत समिति / जनपद पंचायत (खंड स्तर)
- जिला परिषद (जिला स्तर)
2. पंचायती राज संस्थाओं के कार्य:
पंचायती राज संस्थाओं के निम्नलिखित प्रमुख कार्य है -
1. ग्राम स्तर पर विकास कार्य – सड़क, पानी, सिंचाई, विद्यालय, स्वास्थ्य केंद्र, सफाई जैसी मूलभूत सुविधाएँ उपलब्ध कराना।
2. ग्राम सभा से जुड़े निर्णय – गाँव के विकास और समस्याओं पर चर्चा कर सामूहिक निर्णय लेना।
3. सरकारी योजनाओं का क्रियान्वयन – प्रधानमंत्री आवास योजना, मनरेगा, स्वच्छ भारत आदि योजनाओं का लाभ ग्रामीणों तक पहुँचाना।
4. विवाद निपटारा – भूमि विवाद, चोरी, पारिवारिक या सामाजिक झगड़ों जैसे छोटे मामलों को स्थानीय स्तर पर हल करना।
5. पंचायत समिति (खंड स्तर) – ग्राम पंचायतों की योजनाओं का समन्वय करना और उन्हें जिला स्तर तक पहुँचाना।
6. जिला परिषद (जिला स्तर) – विभिन्न पंचायत समितियों की योजनाओं का समन्वय करना, उनकी देखरेख करना और राज्य सरकार से जुड़कर विकास कार्यों को आगे बढ़ाना।
7. शिक्षा और स्वास्थ्य – विद्यालयों और आँगनबाड़ी केंद्रों का प्रबंधन करना तथा प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाएँ उपलब्ध कराना।
8. सामाजिक कल्याण कार्य – महिलाओं, बच्चों, बुजुर्गों और कमजोर वर्गों के कल्याण हेतु योजनाएँ लागू करना।
9. कृषि और सिंचाई – किसानों को सहूलियत देना, नहरों और तालाबों की देखभाल करना तथा जल संरक्षण के कार्य करना।
10. पर्यावरण संरक्षण – वृक्षारोपण, जल-संरक्षण और स्वच्छता को बढ़ावा देना।
3. शासन और लोकतंत्र में पंचायती राज संस्थाएँ का महत्व:
पंचायती राज संस्थाएँ शासन और लोकतंत्र में कई कारणों से महत्वपूर्ण हैं:
जन भागीदारी सुनिश्चित करना:
गाँव के लोग स्वयं निर्णय प्रक्रिया में शामिल होते हैं।
इससे लोकतंत्र केवल चुनाव तक सीमित न रहकर जनता के जीवन में सक्रिय रूप से उतरता है।
स्थानीय समस्याओं का समाधान:
गाँव की समस्याएँ वही लोग बेहतर समझ सकते हैं जो वहाँ रहते हैं।
इसलिए स्थानीय सरकार त्वरित और उपयुक्त समाधान प्रदान करती है।
स्वशासन का विकास:
ग्रामवासियों को अपने मामलों का प्रबंधन करने का अवसर मिलता है।
यह लोकतांत्रिक मूल्यों को मजबूत करता है।
समानता और समावेशिता:
अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और महिलाओं के लिए आरक्षण का प्रावधान है।
इससे समाज के वंचित वर्ग भी शासन में भाग ले सकते हैं।
विकास को गति देना:
पंचायतें शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि, सड़क, जल-संसाधन, सामाजिक कल्याण और सांस्कृतिक गतिविधियों में कार्य करके ग्रामीण जीवन स्तर सुधारती हैं।
निष्कर्ष:
पंचायती राज संस्थाएँ भारत के लोकतंत्र की जड़ों को मजबूत करती हैं।
ये ग्रामीण जनता को “अपने लिए, अपने स्तर पर निर्णय लेने” का अधिकार देती हैं।
इसी कारण इन्हें लोकतंत्र की आधारशिला कहा जाता है।
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