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प्रथम सहस्राब्दी ईसा पूर्व में भारत में कौन-कौन से नए दर्शन/मत उभरे? इनके मुख्य सिद्धांत क्या हैं? | कक्षा 6, सामाजिक विज्ञान NEW NCERT

 प्रश्न। 

प्रथम सहस्राब्दी ईसा पूर्व में भारत में कौन-कौन से नए दर्शन/मत उभरे? इनके मुख्य सिद्धांत क्या हैं?

( अध्याय 7  भारत की सांस्कृतिक जड़ें , कक्षा 6 सामाजिक विज्ञान NEW NCERT )

उत्तर। 

प्रथम सहस्राब्दी ईसा पूर्व का मतलब है — 1000 ईसा पूर्व से 1 ईसा पूर्व तक का समय। 


इसी अवधि में भारत में बौद्ध धर्म , जैन धर्म,और लोक और जनजातीय परंपराओं जैसे नए मत उभरे, महाजनपद बने, और वैदिक संस्कृति से नए दर्शन विकसित हुए।



बौद्ध धर्म के संस्थापक:

बौद्ध धर्म के संस्थापक सिद्धार्थ गौतम (बुद्ध) है , इनका जन्म लगभग 560 ईसा पूर्व, लुंबिनी (वर्तमान नेपाल) में हुआ था।

उन्होंने 29 वर्ष की आयु में गृहत्याग किया और बोधगया में पीपल के वृक्ष के नीचे ज्ञान प्राप्त किया।


बौद्ध धर्म के मुख्य सिद्धांत:

1. चार आर्य सत्य (Four Noble Truths)

जीवन में दुख है।

दुख का कारण तृष्णा (लालसा/आसक्ति) है।

दुख का अंत संभव है।

दुख से मुक्ति का मार्ग अष्टांगिक मार्ग है।


2. अष्टांगिक मार्ग (Eightfold Path)

सम्यक दृष्टि (सही समझ)

सम्यक संकल्प (सही विचार)

सम्यक वाणी (सही बोल)

सम्यक कर्म (सही काम)

सम्यक आजीविका (सही जीवनयापन)

सम्यक प्रयास (सही प्रयास)

सम्यक स्मृति (सही सजगता)

सम्यक समाधि (सही ध्यान)

3. अहिंसा — किसी जीव को हानि न पहुँचाना।

4. मध्यम मार्ग — न तो अत्यधिक भोग, न ही अत्यधिक तपस्या।

5. करुणा और मैत्री — सभी प्राणियों के प्रति दया और मित्रता का भाव।



जैन धर्म के के संस्थापक:

जैन धर्म बहुत प्राचीन है, लेकिन इसके 24वें तीर्थंकर वर्धमान महावीर को इसका अंतिम और प्रमुख प्रवर्तक माना जाता है। इनका जन्म 6वीं शताब्दी ईसा पूर्व, वैशाली (वर्तमान बिहार) में हुआ था। 30 वर्ष की आयु में गृहत्याग, 12 वर्षों की कठोर तपस्या के बाद कैवल्य ज्ञान प्राप्त किया।


जैन धर्म के मुख्य सिद्धांत:

1. अहिंसा — किसी भी जीव को हानि, चोट, या पीड़ा न पहुँचाना।

2. अनेकांतवाद — सत्य के अनेक पहलू होते हैं; एक ही दृष्टिकोण से पूरी सच्चाई नहीं जानी जा सकती।

3. अपरिग्रह — आवश्यकता से अधिक वस्तुएँ न रखना, लोभ और मोह से दूर रहना।

4. जीवों की समानता — सभी जीव, चाहे वे छोटे हों या बड़े, समान रूप से सम्मान के पात्र हैं।

5. स्वअनुशासन और तपस्या — आत्मसंयम से मोक्ष की प्राप्ति।

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