प्रश्न :
एक गाँव या कस्बे की तुलना में कोलकाता, चेन्नई या मुंबई जैसे नगर क्यों अधिक जटिल और विविध हैं?
(अध्याय 12 : आधारभूत लोकतंत्र — भाग 3 : नगरीय क्षेत्रों में स्थानीय सरकार, कक्षा 6 सामाजिक विज्ञान, NEW NCERT)
उत्तर :
कोलकाता, दिल्ली, चेन्नई या मुंबई जैसे बड़े नगर को महानगर कहते हैं, क्योंकि इनकी जनसंख्या 10 लाख से अधिक होती है। यहाँ पर स्थानीय शासन के लिए नगर निगम / महानगर निगम (Municipal Corporation / Metropolitan Corporation) सर्वोच्च नगर निकाय के रूप में कार्य करते हैं।
गाँव/कस्बे की तुलना में महानगर अधिक जटिल और विविध होते हैं, जिसके कारण निम्नलिखित हैं —
1. जनसंख्या का आकार:
गाँव या छोटे कस्बे की तुलना में महानगरों में जनसंख्या बहुत अधिक होती है।
उदाहरण: दिल्ली और मुंबई में करोड़ों लोग रहते हैं, जिसके कारण पानी, बिजली, आवास और परिवहन की माँग अत्यधिक होती है और इन्हें पूरा करना चुनौतीपूर्ण बन जाता है।
2. जनसंख्या की विविधता:
बड़े नगरों में अलग-अलग राज्यों, भाषाओं, संस्कृतियों और धर्मों के लोग रहते हैं।
उदाहरण: मुंबई में मराठी, गुजराती, उत्तर भारतीय और दक्षिण भारतीय सभी समुदायों के लोग रहते हैं। यह विविधता प्रशासन को अधिक जटिल बनाती है।
3. आर्थिक गतिविधियाँ:
गाँवों में मुख्यतः कृषि आधारित अर्थव्यवस्था होती है। जबकि नगरों में उद्योग, व्यापार, सेवा क्षेत्र, परिवहन, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी अनेक गतिविधियाँ होती हैं।
उदाहरण: चेन्नई आईटी और ऑटोमोबाइल उद्योग के लिए प्रसिद्ध है, जबकि कोलकाता व्यापार और संस्कृति का केंद्र है।
4. समस्याओं की प्रकृति:
महानगरों में प्रदूषण, यातायात जाम, झुग्गी-झोपड़ी, कचरा निपटान जैसी शहरी समस्याएँ प्रमुख होती हैं।
उदाहरण: दिल्ली में वायु प्रदूषण और मुंबई में ट्रैफिक जाम प्रमुख समस्याएँ हैं।
गाँवों में समस्याएँ मुख्यतः खेती, जलसिंचन और ग्रामीण अवसंरचना से जुड़ी होती हैं।
निष्कर्ष:
कोलकाता, चेन्नई या मुंबई जैसे नगर अधिक जटिल और विविध इसलिए हैं क्योंकि वहाँ जनसंख्या का आकार बहुत बड़ा है, आर्थिक गतिविधियाँ अधिक हैं और सामाजिक-सांस्कृतिक विविधता भी बहुत व्यापक है। इन सभी कारणों से उनका प्रशासन और जीवन गाँव या कस्बे की तुलना में कहीं अधिक जटिल होता है।
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