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Chapter 19 Class 1 Hindi NCERT Solutions | चाँद का बच्चा | Reprint 2025-26

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आनंदमयी कविता "चाँद का बच्चा":


वह देखो वह निकला चाँद,

अम्मा तुमने देखा चाँद!

यह भी क्या बच्चा है अम्मा,

छोटा-सा मुन्ना -सा चाँद।


इतना दुबला, इतना पतला,

कब होता है ऐसा चाँद!

अम्मा उस दिन जो निकला था,

वह था गोल बड़ा-सा चाँद।

बादल से हँस-हँसकर उस दिन,

कैसा खेल रहा था चाँद!


छुप जाता था, निकल आता था

करता था यह तमाशा चाँद।

अपने बच्चे को भेजा है,

घर में बैठा होगा चाँद।

यह भी एक दिन बन जाएगा,

अच्छा गोल बड़ा-सा चाँद।


अच्छा अम्मा कल क्यों तुमने,

मुझको कहा था मेरा चाँद।


– अफ़सर मेरठी


संदर्भ:

प्रस्तुत कविता “चाँद का बच्चा” प्रसिद्ध कवि अफ़सर मेरठी द्वारा रचित है। यह कविता कक्षा 1 के हिंदी पाठ्यपुस्तक " सारंगी " के पाठ 19 में संकलित है। 

इस कविता में कवि ने एक बच्चे की कल्पनाशील और मासूम सोच को बड़ी सुंदरता से प्रस्तुत किया है। बच्चा अपनी माँ से चाँद के बारे में प्रश्न करता है और उसे अपने जैसा ही छोटा बच्चा मान लेता है।


व्याख्या:

कविता में एक बच्चा अपनी माँ से बात करता हुआ कहता है —

देखो अम्मा, वो जो चाँद निकला है, क्या चाँद भी छोटा-सा, मुन्ना सा बच्चा है?

यह चाँद दुबला और पतला कब हो जाता है ?

वह याद करता है कि कुछ दिन पहले जो चाँद निकला था, वह तो बड़ा, गोल और सुंदर था — जो बादलों से खेल रहा था। अब जब छोटा-सा चाँद दिखा, तो उसे ऐसा लगता है जैसे वह उसी बड़े चाँद का बच्चा हो।

बच्चा कल्पना करता है कि बड़ा चाँद शायद घर में बैठा होगा और उसने अपने बच्चे को बाहर भेजा है। फिर वह कहता है कि जैसे-जैसे यह छोटा चाँद बड़ा होगा, यह भी गोल और बड़ा चाँद बन जाएगा।

अंत में बच्चा अपनी माँ से पूछता है — “अम्मा, उकल तुमने मुझे ही ‘मेरा चाँद’ क्यों कहा था?”


नैतिक शिक्षा:

बच्चे की कल्पनाशक्ति असीम होती है, हमें उसे प्रोत्साहित करना चाहिए।

दुनिया को बच्चों की नजर से देखने पर सब कुछ सुंदर लगता है।


बातचीत के लिए:

1. यह कविता किसके विषय में है?

उत्तर :

यह कविता एक बच्चे और चाँद के विषय में है। इस कविता बच्चा अपनी माँ से चाँद को देखकर बातें करता है और उसे छोटा बच्चा समझता है।


2. कविता का नाम ‘चाँद का बच्चा ’ क्यों रखा गया होगा?

उत्तर :

कविता का नाम ‘चाँद का बच्चा’ इसलिए रखा गया है क्योंकि बच्चे को छोटा और पतला चाँद बड़े चाँद ( पूर्णिमा का चाँद ) का बच्चा लगता है। उसे लगता है कि बड़ा चाँद घर में बैठा है और उसका बच्चा आज आसमान में खेलने निकला है।


3. आप इस कविता को क्या नाम देना चाहेंगे और क्यों?

उत्तर :

मैं इस कविता का नाम “छोटा चाँद” रखूंगा, क्योंकि इसमें एक छोटे, प्यारे, दुबले-पतले चाँद की बात की गई है, जो बच्चे को बहुत अच्छा लगता है।


4. क्या चाँद हमेशा गोल ही दिखता है?

उत्तर :

नहीं, चाँद हमेशा गोल नहीं दिखता।

कभी वह अधूरा (अर्धचंद्र), कभी आधा, और कभी पूरा गोल (पूर्णिमा का चाँद) होता है।


5. आपकी माँ आपको क्या कहकर पुकारती हैं?

उत्तर :

मेरी माँ मुझे लल्ला, मुन्ना, बेटा, चाँद , और राजा बेटा कहकर पुकारती हैं। 


शब्दों का खेल:

नीचे दी गई वस्तुये कैसी हैं— गोल, चौकोर, तिकोनी? रेखा खींचकर मिलाइए –

नीचे दी गई वस्तुये कैसी हैं— गोल, चौकोर, तिकोनी? रेखा खींचकर मिलाइए –


उत्तर :

संदूक -चौकोर 

पहिया - गोल 

समोसा -तिकोना 

नीचे दी गई वस्तुये कैसी हैं— गोल, चौकोर, तिकोनी? रेखा खींचकर मिलाइए –


तुक मिलने वाले शब्दों को खोजकर लिखिए –

तुक मिलने वाले शब्दों को खोजकर लिखिए –


उत्तर :

गोल – बोल , मोल , मटोल , खोल 

चाँद – मांद, 

बड़ा –खड़ा , पकड़ा 

छोटा - लोटा , खोटा 


चित्र और बातचीत:

कौए की कहानी (The Story of the Crow):



कौए की कहानी (The Story of the Crow):

गर्मियों का मौसम था। तेज़ धूप से धरती तप रही थी। पेड़ों की पत्तियाँ मुरझा गई थीं और चारों ओर पानी की बहुत कमी थी। एक कौआ कई घंटों से पानी की तलाश में उड़ता फिर रहा था। उसकी प्यास से गला सूख रहा था, पर कहीं भी पानी नहीं मिल रहा था।


थोड़ी दूर उड़ने पर उसे एक बगीचे में एक पुराना घड़ा दिखाई दिया। कौआ तुरंत वहाँ जा पहुँचा और झाँककर देखा। घड़े में पानी तो था, लेकिन वह बहुत नीचे था। कौए की चोंच उस तक नहीं पहुँच पा रही थी। उसने कई बार कोशिश की, पर असफल रहा।


अब कौआ सोच में पड़ गया — “आख़िर क्या करूँ?”

तभी उसकी नज़र पास पड़ी कुछ कंकड़ों पर पड़ी। उसे एक युक्ति सूझी। वह झट से उन कंकड़ों को अपनी चोंच में उठाकर एक-एक करके घड़े में डालने लगा। धीरे-धीरे पानी ऊपर आने लगा। कौए ने धैर्य नहीं खोया और लगातार कंकड़ डालता रहा।


आख़िरकार, पानी इतना ऊपर आ गया कि वह आसानी से पी सके। उसने जी भरकर पानी पिया, अपनी प्यास बुझाई और प्रसन्न होकर उड़ गया।


शिक्षा (Moral of the Story):

“जहाँ चाह वहाँ राह।”

बुद्धिमानी, धैर्य और मेहनत से किसी भी कठिन समस्या का समाधान किया जा सकता है।


आओ कुछ बनाएँ:

अपने आस-पास नीचे गिरे हुए फूल, पत्ते, डंडिया एकत्र कीजिए। छोटे समूह में बैठकर इनसे कुछ आकृतियाँ बनाइए। आप तितली, पेड़ आदि भी बना सकते हैं।

आकृतियाँ बनाने के बाद कक्षा में सभी को बताइए कि आपने ये कैसे बनाई। 

उत्तर :

आप स्वयं करें 


चित्रकारी और लेखन

दिए गए चित्र में आप क्या -क्या देख पा रहे हैं? कुछ नाम लिखिए –

दिए गए चित्र में आप क्या -क्या देख पा रहे हैं? कुछ नाम लिखिए –


उत्तर :

अब इन शब्दों से वाक्य बनाइए –

1. यह एक पेड़ है 

2. दिए गए चित्र में एक सेब का पेड़ है।  

3. उसमे सेब के फल लगे है जो लाल रंग के है। 

4. पेड़ के नीच फूल के पौधे है जिसमे पीले रंग के फूल लगे है। 

5. इस चित्र में एक तोता और एक मोर है। 

6. तोता उड़ रही है और मोर नाच रहा है। 


खोजें-जानें:

आपके घर के आस-पास जो पेड़-पौधे हैं, उनके नाम जानिए। कुछ पेड़-पौधों के चित्र बनाइए। अपने चित्र के साथ कुछ शब्द भी लिखने का प्रयत्न कीजिए। कक्षा में सभी को बताइए।

उत्तर :

मेरे घर के आस-पास जो पेड़-पौधे हैं, उनके नाम है -

  • आम 
  • नीम 
  • अमरुद 
  • निम्बू 
  • प्लास 
  • महुआ 
  • खैर 
  • सागौन 
  • लिप्टस 
  • करम 


खेल-खेल में

इस कविता को मिल कर गाइए।

दो समूह बनाइए। एक समूह प्रश्न पूछेगा और दूसरा समूह उत्तर देगा।

इस कविता को मिल कर गाइए।  दो समूह बनाइए। एक समूह प्रश्न पूछेगा और दूसरा समूह उत्तर देगा।


कौन परिंदा 

कौन परिंदा बोले चूँ चूँ 

कौन परिंदा गटुरू-गू 

कौन परिंदा पीहू-पीहू

कौन परिंदा कुकड़ू-कूँ  ।

कौन परिंदा बोले काँव-काँव

कौन परिंदा बोले कुहू-कुहू

कौन परिंदा बोले टें-टें

नकल उतारे हू-ब-हू!

– श्याम सुशील

उत्तर :

इस कविता में जो पक्षियों ( परिंदा ) की आवाज़ें और उनके नाम बताए गए हैं, वे इस प्रकार हैं:

चूँ-चूँ – चिड़िया (गौरया )

गटुरू-गू – कबूतर

पीहू-पीहू – पपीहा 

कुकड़ू-कूँ – मुर्गा

काँव-काँव – कौआ

कुहू-कुहू – कोयल

टें-टें – तोता / मैना 


शब्दों का खेल

कविता में आए ‘कौन’ शब्द पर घेरा लगाइए। पेड़ पर लगे अक्षरों से शब्द बनाइए –

शब्दों का खेल कविता में आए ‘कौन’ शब्द पर घेरा लगाइए। पेड़ पर लगे अक्षरों से शब्द बनाइए –  उत्तर : पेड़ पर लगे अक्षरों से बने शब्द निम्नलिखित है - डाली  पानी  नमो  तास  हम  रात  नाती  किला


उत्तर :

शब्दों का खेल कविता में आए ‘कौन’ शब्द पर घेरा लगाइए। पेड़ पर लगे अक्षरों से शब्द बनाइए –  उत्तर : पेड़ पर लगे अक्षरों से बने शब्द निम्नलिखित है - डाली  पानी  नमो  तास  हम  रात  नाती  किला


पेड़ पर लगे अक्षरों से बने शब्द निम्नलिखित है -

  • डाली 
  • पानी 
  • नमो 
  • तास 
  • हम 
  • रात 
  • नाती 
  • किला 


पढ़िए और लिखिए

कविता को आगे बढ़ाइए –

हमने तीन चीज़ें देखीं

हमने तीन चीज़ें देखीं, बाबा तीन चीज़ें देखीं  हमने बाग में देखी मकड़ी



उत्तर :

हमने तीन चीज़ें देखीं, बाबा तीन चीज़ें देखीं

हमने बाग में देखी मकड़ी

वह तो खा रही थी .............ककड़ी ...............

उसके पास पड़ी थी .........लकड़ी ..........

हमने तीन चीज़ें देखीं, बाबा तीन चीज़ें देखीं

हमने बाग में देखा भालू

वह तो खा रहा था .........आलू ...................

नाम था उसका ..........गोलू ..................

हमने तीन चीज़ें देखीं, बाबा तीन चीज़ें देखीं

हमने बाग में देखा बंदर

वह तो खा रहा था ..........चुकंदर ..................

नाम था उसका ..................धर्मेन्दर ..........


शब्दों में आए अक्षरों के अनुसार उन्हें ‘ठ’, ‘ध’, ‘ढ’, ‘ष’ के घर में छाँटकर लिखिए –

ठाठ धोती ढक्कन धनुष साठ ढोलक धान

बैठ ढीला उषा ठेला षट्कोण धागा

शब्दों में आए अक्षरों के अनुसार उन्हें ‘ठ’, ‘ध’, ‘ढ’, ‘ष’ के घर में छाँटकर लिखिए –  ठाठ धोती ढक्कन धनुष साठ ढोलक धान  बैठ ढीला उषा ठेला षट्कोण धागा


उत्तर :

"ठ " वाले शब्द : ठाठ, साठ,बैठ, ठेला

‘ध’  वाले शब्द : धोती, धनुष, धान, धागा

 ‘ढ’ वाले शब्द :ढक्कन, ढोलक, ढीला, 

 ‘ष’ वाले शब्द : धनुष, उषा, षट्कोण

शब्दों में आए अक्षरों के अनुसार उन्हें ‘ठ’, ‘ध’, ‘ढ’, ‘ष’ के घर में छाँटकर लिखिए –  ठाठ धोती ढक्कन धनुष साठ ढोलक धान  बैठ ढीला उषा ठेला षट्कोण धागा


अक्षर गीत

अनार दाड़िम भी कहलाता।

आम चूसकर बच्चा खाता॥


इमली तो खट्टी होती है।

ईख सदा मीठी होती है॥


उल्लू रात में जगते रहते।

ऊदबि लाव जल-थल में रहते॥


ऋषि -मुनि आकर हवन कराते।

ॠ तो संस्कृत में ही पाते॥


(ऌ भी संस्कृत में ही होता।

ॡ का तो कुछ पता न चलता॥)


एड़ी में काँटा चुभ जाता।

ऐनक कानों पर चढ़ जाता॥


ओखल में कूटते हैं अनाज।

औषधि करती रोग इलाज॥


स्वर सब यहीं समाप्‍त होते हैं।

अब हम व्यञ्जन पर चलते हैं॥




अंशक अमरूदों के लाओ।

अः अः सब मि ल उनको खाओ॥


कमल ताल में सबको भाते।

खरल में मसाले पिस जाते॥


गमलों में पानी दे आना।

घड़ियालों के पास न जाना॥


क ङ् घे से माँ बाल बनातीं।

क से ङ ध्वनि कण्ठ से आतीं॥


चम्मच से हम खाना खाते।

छतरी बारिश में ले जाते॥


“जन-गण-मन” सब बच्चे गाते।

झण्डा खम्भे पर फहराते॥


प ञ् चम स्वर में कोयल गातीं।

च से ञ ध्वनि तालु से आतीं॥


टट् टू रस्ते में अड़ जाता।

ठठेरा उत्तम पात्र बनाता॥


डलिया  में तुम फूल सजाओ।

ढक्कन शीशी पर लगवाओ॥


पण्डिता हमको पाठ पढ़ा तीं।

ट से ण ध्वनि मूर्धा से आतीं॥


तबला लड़का बजा रहा है।

थर्मस से चाय पिला रहा है॥


दरी बैठ हम गाना गाते।

धनुष उठा हम तीर चलाते॥


नल से नानी पानी लातीं।

त से न ध्वनि दाँत से आतीं॥


पतङ्ग से बच्चे पेच लड़ा ते।

फल पेड़ों से तोड़ कर खाते॥


बन्दर कूद-फाँदकर आए।

भगोने लोटे सब लुढ़काए॥


मटर-कचौरी बुआ बनातीं।

प से म ध्वनि ओष् ठ से आतीं॥


यज्ञ में घी की आहुति देते।

रबड़ी हलवाई से लेते॥


लवण नमक को भी हैं कहते।

वनमानुष जङ्गल में रहते॥


दो-स्वर -मेल से य र ल व आते।

अत: अर्धस्वर ये कहलाते॥


शरीफ़ा पकने पर ही खाओ।

षट्कोण चित्र स्वयं बनाओ॥


सप्‍तर्षि आकाश चमकाते।

हल कि सान खेतों में चलाते॥


श ष स ह ऊष्म कहाते।

अक्षर यहीं समाप्‍त हो जाते॥


यही वर्णमाला हम गाते।

मिल-जुल अपना ज्ञान बढ़ाते!


आपको अब सब अक्षर आते?


– मंजुल भार्गव






 Class 1 Hindi NCERT Solutions | Reprint 2025-26



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